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भारतीय संविधान के निर्माण में मध्य प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वतंत्रता के बाद Constitution सभा का गठन हुआ, जिसमें विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए। संविधान निर्माण में मध्य प्रदेश के योगदान को समझने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है
1. संविधान सभा में मध्य प्रदेश के प्रतिनिधि
मध्य प्रदेश से constituent Assembly के लिए कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों का चयन हुआ, जिन्होंने Constitution निर्माण प्रक्रिया में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई। इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं:
डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर: यद्यपि उनका जन्म मध्य प्रदेश में नहीं हुआ, लेकिन उनका जुड़ाव मध्य प्रदेश के महू क्षेत्र से रहा। वे संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे और भारतीय Constitution के निर्माण में उनकी भूमिका केंद्रीय थी।
राव साहब पटवर्धन
कृष्णचंद्र शर्मा
इन नेताओं ने constituent Assembly में विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत किए और मध्य प्रदेश की जरूरतों और अपेक्षाओं को संविधान में शामिल करने का प्रयास किया।
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2. समाज सुधार और आदिवासी मुद्दों पर जोर
मध्य प्रदेश एक आदिवासी बहुल राज्य है, और Constitution निर्माण के दौरान आदिवासियों के अधिकारों और उनके संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया। मध्य प्रदेश के प्रतिनिधियों ने आदिवासी समुदायों के लिए विशेष प्रावधानों की मांग की, जिनका परिणाम पांचवीं और छठी अनुसूचियों के रूप में सामने आया।
भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर आदिवासियों के अधिकारों को संरक्षित किया गया।
शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के लिए विशेष नीतियों की वकालत की गई।
3. हिंदी को राजभाषा बनाने में योगदान
मध्य प्रदेश के प्रतिनिधियों ने हिंदी को राजभाषा बनाने के समर्थन में जोरदार तर्क प्रस्तुत किए। यह राज्य हिंदी भाषी क्षेत्र का हिस्सा है, और इसके प्रतिनिधियों ने तर्क दिया कि हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए, ताकि देश में एकता और समरसता बनी रहे।
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4. ग्राम पंचायत और स्थानीय स्वशासन
मध्य प्रदेश कृषि प्रधान राज्य रहा है और यहां के प्रतिनिधियों ने ग्राम पंचायतों और स्थानीय स्वशासन के महत्व को Constitution में स्थान दिलाने में मदद की। संविधान के भाग IX में ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने वाले प्रावधान शामिल किए गए, जिसमें मध्य प्रदेश के अनुभवों और विचारों का योगदान था।
5. संविधान के मूल सिद्धांतों में योगदान
मध्य प्रदेश के प्रतिनिधियों ने समानता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय जैसे मूल सिद्धांतों पर बल दिया। इन सिद्धांतों को संविधान के प्रस्तावना (Preamble) और मूल अधिकारों में प्रमुख स्थान दिया गया।
6. शैक्षणिक और वैचारिक योगदान
मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि ने संविधान सभा में विचारशीलता को प्रेरित किया। राज्य के शैक्षणिक और सांस्कृतिक नेतृत्व ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया को समृद्ध किया।
महात्मा गांधी और आचार्य विनोबा भावे के विचारों का प्रभाव भी मध्य प्रदेश के नेताओं पर पड़ा, जिससे उन्होंने ग्रामीण विकास और सामुदायिक एकता पर जोर दिया।
7. संविधान निर्माण के बाद प्रशासनिक सुधार
मध्य प्रदेश ने Constitution लागू होने के बाद राज्यों के पुनर्गठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के दौरान मध्य प्रदेश के भूभाग का पुनर्निर्धारण हुआ और राज्य को वर्तमान स्वरूप मिला।