BHOPAL. मेरा समाधि में जाने का समय आ गया है। मैं ये समाधि गुरु आशुतोष जी महाराज को वापस लाने के लिए ले रही हूं। गुरु महाराज ने 28 जनवरी 2014 को समाधि ली थी, अब जिनका जागना अत्यंत आवश्यक है। मेरी समाधि से किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसे मैंने ईश्वर के आदेश पर लिया है। मेरे लिए प्रार्थना करें।’
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23 दिनों से न सांसें चल रही हैं, ना ही दिल धड़क रहा है।
जानकारी के मुताबिक करीब 6 मिनट के वीडियो में ये आखिरी मैसेज देकर साध्वी आशुतोषाम्वरी ने समाधि ले ली। 42 साल की साध्वी आशुतोषाम्वरी UP की राजधानी लखनऊ में आनंद आश्रम चलाती थीं। 28 जनवरी, 2024 की सुबह 4:30 बजे उन्होंने समाधि ले ली। 23 दिन बीत गए, न उनकी सांसें चल रही हैं, ना ही दिल धड़क रहा है। साध्वी के शरीर का कोई हिस्सा काम नहीं कर रहा है, लेकिन आश्रम के सेवादार उनकी सेवा में लगे हैं। उनका दावा है कि गुरु मां जल्द समाधि से लौटने वाली हैं।
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नोटिस बोर्ड पर लिखी हैं दो बातें
लखनऊ के बख्शी का तालाब एरिया में छठामील बस्ती है। इसी बस्ती में आनंद आश्रम है। दो मंजिला बिल्डिंग की बाहरी दीवार पर साध्वी आशुतोषाम्वरी की फोटो वाला बैनर लगा है। लोहे के गेट के पास ही नोटिस बोर्ड पर दो बातें लिखी हैं। पहली, बाहरी व्यक्ति को पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य है। दूसरी, चेकिंग पॉइंट पर तलाशी होने के बाद ही अंदर एंट्री मिलेगी। हमने गेट खटखटाया, अंदर से आवाज आई- वहीं खड़े रहिए, आते हैं। आश्रम के सेवादार ने गेट खोला। उसके हाथ में मेटल डिटेक्टर था। स्कैनिंग और थोड़ी पूछताछ के बाद उसने हमें अंदर जाने दिया।
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28 जनवरी, को लिया था समाधि में जानें का फैसला
आश्रम में एंट्री करते ही आंगन है। यहां हर तरफ आशुतोष महाराज और साध्वी आशुतोषाम्वरी के पोस्टर लगे हैं। आंगन पार करके हम रिसेप्शन रूम में पहुंचे। वहां आश्रम के सेवादार बाबा महादेव बैठे थे। उनकी कुर्सी के पीछे साध्वी आशुतोषाम्वरी की बड़ी फोटो लगी है। हमने बाबा महादेव से साध्वी के बारे में पूछा। बाबा महादेव कहते हैं, ‘28 जनवरी, 2024 की सुबह गुरु मां ने समाधि में जाने का फैसला लिया। उन्होंने प्रण लिया है कि वे ध्यान मुद्रा में गुरुदेव आशुतोष महाराज से संपर्क करेंगी और उन्हें वापस ले आएंगी। अभी मां उस स्टेज में हैं, जहां न तो उनकी सांस चल रही है, न हृदय काम कर रहा है।’
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मृत घोषित करने के बाद भी, अंतिम संस्कार नहीं
साध्वी आशुतोषाम्वरी के गुरु आशुतोष महाराज ने 1983 में जालंधर के नूर महल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की स्थापना की थी। 28 जनवरी, 2014 को दूध पीते-पीते आशुतोष महाराज के सीने में दर्द हुआ। आश्रम के लोग बताते हैं कि सेवादार आशुतोष महाराज को संभालने पहुंचे, लेकिन उन्होंने रोक दिया। कहा कि मेरा समाधि में जाने का वक्त आ गया है। आप लोग संस्थान की सेवा में लगे रहिए। समाधि लेते वक्त आशुतोष महाराज ने शिष्यों से कहा था कि वे अपने शरीर में फिर से लौटकर आएंगे। इतना कहकर वे शांत हो गए। नूर महल में रहने वाले शिष्यों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया, लेकिन उनके शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। आशुतोष महाराज का शरीर अब भी दिव्य ज्योति जागृति संस्थान में डीप फ्रीजर में रखा है। 10 साल पहले समाधि ले चुके गुरु को वापस लाने के लिए साध्वी आशुतोषाम्वरी ने समाधि लेने का फैसला लिया। इसके लिए उन्होंने तारीख भी वही चुनी, जिस दिन आशुतोष महाराज ने समाधि ली थी।
गरु मां ने 2 महीने पहले बताया समाधि के बारे में
आश्रम के सेवादार बाबा महादेव का कहना है कि ‘गुरु मां ने हमें समाधि लेने से 2 महीने पहले ही बता दिया था कि वे 28 जनवरी, 2024 को ब्रह्मज्ञान की साधना पर जाएंगी। समाधि लेने से पहले वे बिल्कुल स्वस्थ और खुश थीं। उन्होंने कहा था कि मेरे समाधि में जाने के बाद संस्थान का दायित्व महाराज आशुतोषाम्वर संभालेंगे।’ हमने आश्रम के सेवादार बाबा महादेव से साध्वी को दिखाने के लिए कहा। उन्होंने ऊपर मैसेज भिजवाया कि कुछ लोग गुरु मां के दर्शन करना चाहते हैं। समाधि तक जाने से पहले सेवादारों ने मोबाइल समेत पूरा सामान बाहर जमा करवा लिया। फिर आश्रम की पहली मंजिल तक ले गए, जहां आशुतोषाम्वरी ने समाधि ली है। कमरे में दो महिला सेवादार मौजूद थीं। एक ने हमारे हाथ-पैर सैनिटाइज किए और दूसरी सेविका ने मेटल डिटेक्टर से जांच की। इसके बाद हमें एक खिड़की के सामने खड़ा कर दिया, इसी के पीछे साध्वी की समाधि है।
गुरु मां ने कहा था समाधि के समय उनका सिर हमेशा उठा रहना चाहिए
महिला सेवादार ने खिड़की खटखटाई। अंदर मौजूद लोगों ने खिड़की खोल दी। सामने एक डबल बेड नजर आया। इस पर एक तरफ आशुतोष महाराज की फोटो रखी है और उसके ठीक बगल में साध्वी आशुतोषाम्वरी को लिटाया गया है। बेड पर साध्वी के उत्तराधिकारी आशुतोषाम्वर महाराज उनका सिर पकड़कर बैठे थे। सेवादार ने बताया कि गुरु मां ने कहा था समाधि के समय उनका सिर हमेशा उठा रहना चाहिए। इसलिए 28 जनवरी से आशुतोषाम्वर उनका सिर गोद में लेकर बैठे हैं।
इन्हीं फूलों के रास्ते से गुरु मां आएंगीं वापस
सेवादार महादेव बाबा ने बताया, ‘इन्हीं फूलों के रास्ते से गुरु मां वापस आएंगीं। वे पहली बार समाधि में नहीं गई हैं। इससे पहले 10 बार साधना कर चुकी हैं। कभी 24 घंटे, तो कभी एक हफ्ते तक ब्रह्मज्ञान में लीन रहीं, लेकिन पहली बार इतने दिन की समाधि में गई हैं।’ आनंद आश्रम के सेवादार बताते हैं कि गुरु मां ने समाधि में जाने से पहले कहा था कि मेरे जाने के बाद पुलिस, डॉक्टर और मीडिया वाले यहां आएंगे, लेकिन हमें अपना कर्म नहीं छोड़ना है। आश्रम में हर दिन वैसे ही पूजा-पाठ और ध्यान होगा, जैसा बाकी दिनों में होता रहा है। साध्वी आशुतोषाम्वरी के समाधि लेने के बाद उनका पहला चेकअप 3 फरवरी को हुआ। कम्युनिटी हेल्थ सेंटर के प्रभारी डॉ. जेपी सिंह ने 5 लोगों की टीम को आश्रम भेजा था। साध्वी की ECG की गई, लेकिन मशीन में कोई रीडिंग नहीं आई।
अब तक 16 डॉक्टर गुरु मां को देखने आ चुके हैं
इसके बाद सेवादारों ने प्राइवेट हॉस्पिटल से डॉक्टरों को बुलाया। 6 फरवरी को प्राइवेट हॉस्पिटल BKT से मेडिकल टीम जांच के लिए आश्रम आई। डॉ. आनंद शर्मा और नर्स विष्णुमति ने 45 मिनट तक साध्वी की जांच की। जांच में साध्वी का ब्लड प्रेशर और पल्स रिकॉर्ड में नहीं आया। 7 फरवरी को साध्वी का तीसरा मेडिकल चेकअप हुआ। इस बार उन्नति हॉस्पिटल के डॉक्टर शैलेंद्र सिंह ने चेकअप किया। आश्रम के सेवादारों का दावा है कि 28 जनवरी से अब तक 16 डॉक्टर गुरु मां को देखने आ चुके हैं। इस मामले में हमने साइकेट्रिस्ट और कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट के मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट डॉ. देवाशीष शुक्ला से बात की। देवाशीष कहते हैं, ‘मिस्र में लोगों की मौत के बाद उनके शरीर पर जड़ी-बूटी का लेप लगाते थे, ताकि बॉडी हजारों साल तक खराब न हो। इस प्रक्रिया में किसी का दोबारा जिंदा होना नामुमकिन है।’
साध्वी ब्रेन डेड हो चुकी है ब्रेन डेड
‘जड़ी-बूटियों के लेप लगाना सिर्फ एक प्रक्रिया है, ताकि मृत शरीर से दुर्गंध न आए। रही बात EEG जांच में हलचल दिखने की, तो ये टेक्निकल फॉल्ट भी हो सकता है। EEG जांच कोई बहुत गंभीर जांच नहीं है, इसे मिर्गी के पेशेंट्स के लिए यूज किया जाता है। कई केस में मशीन ने रोगी की रीडिंग न लेकर डिवाइस पकड़ने वाले व्यक्ति के हाथों का वाईब्रेशन दिखाया। इसलिए इसे बहुत ऑथेंटिक नहीं माना जा सकता।’ सूचना मिलने पर हमारी टीम आनंद आश्रम गई थी। साध्वी की ECG टेस्टिंग में सीधी लाइनें दिखीं, जिससे साबित होता है कि उनके शरीर में जान नहीं है। आश्रम ने प्राइवेट हॉस्पिटल से EEG टेस्ट करवाया, इस बारे में हमें नहीं पता है। सभी जांचें पूरी होने के बाद ही फाइनल रिपोर्ट CMO, लखनऊ को भेजेंगे।’ हमारा हॉस्पिटल आनंद आश्रम के सबसे करीब है। सेवादारों ने साध्वी की मेडिकल जांच के लिए मुझे वहां बुलाया था। मेडिकल चेकअप में मैंने पाया कि साध्वी ब्रेन डेड हो चुकी हैं। ब्रेन और न्यूरोलॉजिकल जांचों के लिए मैंने सेवादारों से उन्हें एक बार हायर सेंटर ले जाने के लिए कहा था।
आशुतोषाम्वरी का जन्म बिहार में
42 साल की साध्वी आशुतोषाम्वरी का जन्म बिहार के दरभंगा में हुआ था। वे बचपन में पिता के साथ दिल्ली आ गईं। यहीं पीतमपुरा के दिव्य ज्योति जागृति संस्थान में वे पहली बार आशुतोष महाराज से मिली थीं। उन्होंने महाराज से दीक्षा ली और धर्म प्रचारक बन गईं। 2014 तक उन्होंने प्रचारक के तौर पर काम किया। आशुतोष महाराज के समाधि लेने के बाद 2014 में साध्वी आशुतोषाम्वरी धर्म प्रचारक से संन्यासी बन गईं। उन्होंने दिव्य ज्योति जागृति संस्थान से खुद को अलग कर लिया और 2015 से 2018 तक बस्ती में अपने मुख्य सेवादार बाबा महादेव के साथ आनंद आश्रम के काम में लगी रहीं। 2019 में उन्होंने लखनऊ के बख्शी का तालाब ब्लॉक में आनंद आश्रम खोला। तभी से वे आश्रम चला रही थीं। आशुतोष महाराज का जन्म 1946 में बिहार के दरभंगा जिले के नखलोर गांव में हुआ था। उनका नाम महेश कुमार झा था। 30 साल की उम्र में उन्होंने संन्यास लिया और 1982 में पंजाब के नकोदर जिले के हरिपुर गांव में रहने लगे। यहीं महेश कुमार झा को नया नाम मिला- आशुतोष महाराज।
देशभर में संस्थान के 350 आश्रम
1983 में उन्होंने दिव्य ज्योति जागृति संस्थान बनाया। अभी देशभर में संस्थान के 350 आश्रम हैं। इनमें 65 सिर्फ पंजाब में हैं। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की प्रॉपर्टी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में भी है। आश्रम की नेटवर्थ 800 से 1000 करोड़ रुपए है। साल 2009 में आशुतोष महाराज पर सिखों की धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगा था। इससे नाराज सिख संगठनों ने मनमोहन सरकार से दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की एक्टिविटी पर रोक लगाने की मांग की थी।