संचार साथी ऐप के प्री-इंस्टॉल का आदेश वापस, विपक्ष के कड़े विरोध के बाद सरकार बैकफुट पर

केंद्र सरकार ने संचार साथी ऐप को मोबाइल पर प्री-इंस्टॉल करने का आदेश वापस ले लिया है। विपक्ष के विरोध के बाद, सरकार ने इसे ऑप्शनल कर दिया है। जानें संचार साथी ऐप से जुड़ी अहम बातें...

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Amresh Kushwaha
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केंद्र सरकार ने संचार साथी ऐप को मोबाइल फोन पर प्री-इंस्टॉल करने का फैसला वापस लिया है। यह निर्णय विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बाद लिया गया है। सरकार का कहना था कि यह ऐप साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए था। इसके बावजूद विपक्ष ने इसे नागरिकों की प्राइवेसी का उल्लंघन मानते हुए विरोध किया था।

प्री-इंस्टॉलेशन की अनिवार्यता समाप्त

टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने कहा कि संचार साथी ऐप की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए अब इसे मोबाइल में प्री-इंस्टॉल करना जरूरी नहीं रहेगा। विभाग ने बताया कि 3 दिसंबर दोपहर 12 बजे तक ऐप के 1.40 करोड़ डाउनलोड हो चुके थे। सिर्फ दो दिन में इसकी डाउनलोड संख्या 10 गुना बढ़ी है। इससे साफ है कि अब यूजर्स अपनी मर्जी से इस ऐप को डाउनलोड कर रहे हैं।

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विपक्ष का आरोप: यह एक जासूसी ऐप

संचार साथी ऐप को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने इसे सीधे तौर पर प्राइवेसी पर हमला बताया है। उनका कहना था कि यह ऐप एक जासूसी टूल है। इससे सरकार नागरिकों की निगरानी करना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि साइबर सुरक्षा के नाम पर सरकार लोगों की निजी जानकारी की निगरानी कर रही है।

संचार साथी ऐप की खबर पर एक नजर...

  • केंद्र सरकार ने संचार साथी ऐप को मोबाइल पर प्री-इंस्टॉल करने की अनिवार्यता को वापस लिया, विपक्ष के विरोध के बाद यह फैसला लिया गया।

  • संचार साथी ऐप को साइबर सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, लेकिन विपक्ष ने इसे प्राइवेसी का उल्लंघन बताया।

  • ऐप की डाउनलोड संख्या 3 दिसंबर तक 1.40 करोड़ तक पहुंच गई, और अब इसे स्वेच्छा से डाउनलोड किया जा सकता है।

  • केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ऐप को ऑप्शनल और सुरक्षित बताया, और कहा कि इसे हटाया जा सकता है।

  • संचार साथी ऐप का उद्देश्य साइबर धोखाधड़ी, फर्जी IMEI नंबर और मोबाइल चोरी से निपटना है, और इसके जरिए अब तक 7 लाख से अधिक चोरी हुए फोन वापस मिले हैं।

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मंत्री सिंधिया का जवाब: ऐप ऑप्शनल और सुरक्षित

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विपक्ष के आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि यह ऐप ऑप्शनल है। मंगलवार, 02 दिसंबर को संसद में उन्होंने साफ किया कि यूजर्स इसे जब चाहें हटा सकते हैं।

इसके अलावा, ऐप पर रजिस्टर करने की कोई अनिवार्यता नहीं है। यदि कोई रजिस्टर नहीं करता, तो ऐप इनएक्टिव रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि ऐप का उद्देश्य सिर्फ फर्जी कॉल्स और फ्रॉड को रोकना है, जासूसी करना नहीं।

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सरकार का आदेश और विपक्ष की प्रतिक्रिया

28 नवंबर को, दूरसंचार विभाग ने सभी मोबाइल कंपनियों को आदेश दिया था। आदेश में कहा गया था कि वे भारत में बिकने वाले सभी नए और पुराने स्मार्टफोनों में संचार साथी ऐप इंस्टॉल करें।

इसके मुताबिक, ऐप को डिलीट या डिसेबल नहीं किया जा सकता था। हालांकि, विपक्ष ने इस आदेश का विरोध किया था। विपक्ष ने इसे नागरिकों की प्राइवेसी का उल्लंघन मानते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था।

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संचार साथी ऐप में क्या है खास

संचार साथी ऐप सरकार का एक साइबर सुरक्षा टूल है। इसका उद्देश्य साइबर धोखाधड़ी, फर्जी IMEI नंबर और मोबाइल चोरी से निपटना है। इस ऐप से यूजर्स कॉल, मैसेज या वॉट्सऐप चैट रिपोर्ट कर सकते हैं।

यूजर्स चोरी या खोए हुए फोन को IMEI नंबर से ब्लॉक भी कर सकते हैं। सरकार का कहना है कि इस ऐप से 7 लाख से ज्यादा चोरी हुए फोन वापस मिले हैं। यह ऐप 17 जनवरी 2025 को लॉन्च हुआ था। तब से यह ऐप ऐप्पल और गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है।

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