WHO ने पॉपुलर GLP-1 Drug पर जारी की ग्लोबल गाइडलाइन, क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

WHO ने पॉपुलर GLP-1 वेट लॉस दवाओं के लिए ग्लोबल गाइडलाइन जारी की है। ये मोटापे के खिलाफ एक जरूरी कदम है। इनकी हाई कॉस्ट और सभी तक पहुंच एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

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Kaushiki
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वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने आखिरकार पॉपुलर वेट लॉस दवाओं के इस्तेमाल पर ग्लोबल गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। इन ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1 (GLP-1) थेरेपी का इस्तेमाल बड़ों में मोटापे के इलाज के लिए किया जा रहा है।

1 दिसंबर को जारी WHO की गाइडलाइंस में, ऐसी थेरेपी के इस्तेमाल का मुख्य हिस्सा सभी तक पहुंच को बताया गया है। उन्हें मोटापे के खिलाफ कार्रवाई के पूरे हिस्से के तौर पर पढ़ा गया है।

WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहोनोम घेब्रेय ने कहा, "हालांकि सिर्फ दवा से यह ग्लोबल हेल्थ संकट हल नहीं होगा। लेकिन GLP-1 थेरेपी लाखों लोगों को मोटापे से उबरने और उससे जुड़े नुकसान को कम करने में मदद कर सकती है।"

इन गाइडलाइंस पर WHO ने क्या कहा

गाइडलाइंस के साथ, WHO ने माना है कि GLP-1 क्लास की दवाएं सच में असरदार हैं। मोटापे की ग्लोबल कॉस्ट पर उनका असर पड़ने की संभावना है।

इसके हेल्थ पर असर के अलावा, मोटापे की ग्लोबल इकोनॉमिक कॉस्ट 2030 तक सालाना 3 खरब डॉलर (लगभग 249 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंचने का अनुमान है। 

WHO की सिफारिशों में दो मुख्य बातें हैं। GLP-1 थेरेपी का यूज एडल्ट, गर्भवती महिलाओं को छोड़कर, मोटापे के लंबे समय के इलाज के लिए, शर्तिया तौर पर कर सकते हैं। दवाओं के साथ-साथ खान-पान और शारीरिक गतिविधियों में गहन व्यवहार संबंधी बदलाव जारी रखने होंगे। 

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मोटापा एक जटिल पुरानी बीमारी है

WHO ने ये भी बताया कि मोटापे के इलाज और ब्लड प्रेशर में सुधार में इन थेरेपी का असर है-

WHO की गाइडलाइंस के मुताबिक, ऐसी थेरेपी (ObesityInIndia) के इस्तेमाल में सभी तक बराबर पहुंच सबसे जरूरी है। टैबोलिक और दूसरे नतीजों से साफ था इसलिए यह कंडीशनल रिकमेंडेशन दे रहा था।

इसका एक कारण ये था कि दवाओं के लंबे समय तक असर, सुरक्षा और बंद करने पर होने वाले संभावित नतीजों पर डेटा कम था। दूसरा कारण यह था कि उनकी कीमतें इतनी ज्यादा थीं कि वे कई लोगों की पहुंच से बाहर थीं।

ये नॉन-कम्युनिकेबल बीमारियों, जैसे कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों, टाइप 2 डायबिटीज और कुछ तरह के कैंसर का मुख्य कारण है। इससे उन मरीजों के लिए भी बुरे नतीजे आते हैं।

इन्हें इंफेक्शन वाली बीमारियां होती हैं। हाल के सालों में ही मोटापे के इलाज में क्रांति आई है। एसी दवाएं आई हैं जो न सिर्फ काफी वजन कम करती हैं। लोगों को कई तरह के मेटाबोलिक फायदे भी देती हैं।

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इक्विटेबल एक्सेस

JAMA के हाल के अंक में एक खास जानकारी में कहा गया है कि "सिर्फ दवा से दुनियाभर में मोटापे (मोटापे से जुड़ी बीमारियों का इलाज) का बोझ हल नहीं हो सकता।

देशों को न सिर्फ बीमारी के पूरे मैनेजमेंट तक, बल्कि हेल्थ प्रमोशन और प्री-केयर तक भी सभी की बराबर पहुंच पक्की करनी चाहिए। आम लोगों और ज्यादा रिस्क वाले लोगों को टारगेट करके बनाई गई रोकथाम पॉलिसी और इंटरवेंशन।" 

नेशनल डायबिटीज, ओबेसिटी और कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन के डायरेक्टर अनूप मिश्रा ने कहा: "मेरा मानना ​​है कि WHO का यह बयान दुनिया भर में मोटापे के मैनेजमेंट की दिशा में एक आगे बढ़ने वाला कदम है।

भारत के लिए, इन दवाओं की कीमतें एक रुकावट हैं जिसके लिए और ज्यादा कोशिशों, इंश्योरेंस कवरेज और जेनेरिक दवाओं के डेवलपमेंट की जरूरत है।"

मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के चेयरमैन वी. मोहन ने कहा: "यह अच्छी बात है कि WHO (WORLD HEALTH ORGANISATION) की गाइडलाइंस में यह बताया गया है कि सिर्फ दवाएं काफी नहीं होंगी।" 

उन्होंने कहा, "आपकी डाइट और एक्सरसाइज सबसे जरूरी हैं और जब वे काम न करें। जब आपको सच में किसी दवा की जरूरत हो या आप बहुत ज्यादा मोटे हों, तभी आप इन दवाओं का इस्तेमाल करें।"

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क्या खाने से हो रहा डायबिटीज

  • शुगरी ड्रिंक्स (मीठे पेय): सोडा, कोल्ड ड्रिंक्स और पैकेटबंद जूस में बहुत ज्यादा चीनी होती है।

  • रिफाइंड कार्ब्स (सफेद अनाज): सफेद ब्रेड, सफेद चावल और मैदा से बनी चीजें तेजी से शुगर बढ़ाती हैं।

  • प्रोसेस्ड फूड: चिप्स, पैकेज्ड स्नैक्स और फास्ट फूड में अनहेल्दी फैट और शुगर होती है।

  • बहुत ज्यादा मीठा: केक, पेस्ट्री, और मिठाइयों का अत्यधिक सेवन इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ाता है।

  • सैचुरेटेड और ट्रांस फैट: तली हुई चीजें और रेड मीट इंसुलिन संवेदनशीलता को कम कर सकते हैं।

GLP-1 weight loss drugs leave users low on key nutrients, study finds

GLP-1 दवा क्या है और इससे क्या होता है

GLP-1 दवाएं एक ऐसे हार्मोन की नकल करती हैं जो हमारे शरीर में खाना खाने के बाद खुद बनता है। इसका पूरा नाम ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1 है। इससे 

  • भूख कम करना: 

    यह दवा दिमाग को संकेत देती है कि पेट भर गया है। इससे आपकी भूख और खाने की क्रेविंग कम हो जाती है।

  • वजन कम करना: 

    भूख कम होने के कारण लोग कम खाते हैं और उनका वजन घटाने में मदद मिलती है।

  • शुगर कंट्रोल: 

    यह पैंक्रियास से इंसुलिन बनाने में मदद करती है। इससे डायबिटीज (टाइप-2) के मरीजों का ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है।

  • पाचन धीमा करना: 

    यह पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देती है, जिससे आपको लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है। यह दवा मोटापे और टाइप-2 डायबिटीज के इलाज में गेम चेंजर मानी जा रही है।

WHO ने GLP-1 Drug के लिए ग्लोबल गाइडलाइंस जारी की हैं जो मोटापे के प्रबंधन में जरूरी हैं। ये असरदार दवाएं लाखों को फायदा दे सकती हैं।

3 खरब डॉलर (लगभग 249 लाख करोड़ रुपए) की ग्लोबल कॉस्ट के कारण इनकी किफायती पहुंच एक बड़ी चुनौती है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि दवा के साथ डाइट, एक्सरसाइज और प्रिवेंशन पॉलिसी भी बेहद जरूरी हैं।

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