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BHOPAL. मध्यप्रदेश में जहरीली कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले ने सबको हिला दिया है। सरकार ने इस सिरप को चार साल तक के बच्चों के लिए दो साल पहले ही प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद यह सिरप बाजार में बिकती रही। इस सिरप के कारण अब तक 25 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है, जिससे स्वास्थ्य और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
WHO की गहरी चिंता
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई है। WHO ने भारतीय अधिकारियों से 'Coldrif' के निर्यात के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है। वे यह जानना चाहते हैं कि क्या यह सिरप विदेश भेजा गया है, ताकि अगर जरूरत पड़ी तो अलर्ट जारी किया जा सके। WHO की सक्रियता से यह साफ है कि यह मुद्दा सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीर है।
सरकारी आदेश के बावजूद कफ सिरप की बिक्री
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने 18 दिसंबर 2023 को आदेश जारी किया था। इसके अनुसार, Coldrif जैसे सिरप जिसमें क्लोरफेनिरामाइन मेलिएट और फेनाइलफ्राइन एचसीएल का मिश्रण हो, उन्हें चार साल तक के बच्चों को नहीं देना चाहिए। यह आदेश अनदेखा किया गया, और सिरप का इस्तेमाल जारी रहा, जिसके परिणामस्वरूप बच्चों की मौतें हुईं।
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तमिलनाडु सरकार ने सील की एक फार्मा फैक्ट्री
तमिलनाडु सरकार ने कांचीपुरम स्थित एक फार्मास्युटिकल फैक्ट्री को सील कर दिया है, जहां यह जहरीली कफ सिरप बनाई जा रही थी। 4 अक्टूबर 2023 को खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग ने सिरप के नमूनों को मिलावटी घोषित किया था। हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने इस फैक्ट्री को बंद कर देने के बाद इस मामले से पल्ला झाड़ लिया है। राज्य के ड्रग कंट्रोलर और अधिकारियों ने जानकारी देने से साफ इनकार किया है कि कितनी मात्रा में अवैध सॉल्वेंट्स का इस्तेमाल किया गया था।
मध्यप्रदेश में मौतों का आंकड़ा बढ़ा
मध्यप्रदेश में 'Coldrif' सिरप के सेवन से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 25 हो गई है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि वे मामले की गंभीरता को समझते हैं और इस पर कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार को विस्तृत जानकारी भेजी गई है। यह सिरप मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी सप्लाई की जा रही थी, और अब इसके वितरण नेटवर्क की जांच शुरू कर दी गई है।
दवा कंपनियां नहीं मान रहीं नियम
केंद्र ने दवा कंपनियों के लिए डब्ल्यूएचओ प्रमाणपत्र अनिवार्य किया था। 5308 दवा कंपनियों में से 1470 ने इसके लिए आवेदन नहीं किया। यह संकेत करता है कि कई कंपनियां मानकों का पालन नहीं कर रही हैं। डब्ल्यूएचओ प्रमाणपत्र के बिना इन कंपनियों के उत्पादन की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठते हैं।
कई राज्यों में मची हलचल
यह मामला न केवल मध्यप्रदेश, बल्कि तमिलनाडु और अन्य राज्यों में भी फैला हुआ है। इस घटना ने यह भी साफ किया कि जब तक राज्यों और केंद्र सरकार सख्त कार्रवाई नहीं करती, ऐसे जहरीले कारोबारों को रोका नहीं जा सकता। कई राज्य स्वास्थ्य विभाग अब सक्रिय हो गए हैं और इस Coldriff Syrup के वितरण और बिक्री की जांच शुरू हो चुकी है।