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Photograph: (the sootr)
NEW DELHI. सऊदी अरब में 50 साल से ज़्यादा पुरानी 'कफाला सिस्टम' (Kafala System) को आखिरकार खत्म कर दिया गया है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इसे खत्म करने का आदेश दे दिया है। इस सिस्टम को अक्सर 'आधुनिक दौर की गुलामी' कहा जाता था।
इस सिस्टम में विदेशी मजदूरों की जिंदगी पर उनके मालिक यानी 'कफील' का पूरा कंट्रोल होता था। मजदूर कहां रहेंगे, कब नौकरी बदलेंगे या यहां तक कि देश छोड़कर कब जा पाएंगे, ये सब कुछ कफील तय करता था।
विजन 2030 के तहत बड़ा फैसला
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अपने 'विजन 2030' के तहत इस व्यवस्था को पूरी तरह खत्म कर दिया है। इस बड़े बदलाव से सऊदी अरब में काम कर रहे करीब 1.3 करोड़ विदेशी श्रमिकों को सीधा फायदा होगा। इनमें अकेले लगभग 25 लाख भारतीय मजदूर शामिल हैं।
मानवाधिकार संगठन पिछले कई दशकों से इस सिस्टम को 'मानव तस्करी' को बढ़ावा देने वाली व्यवस्था बता रहे हैं। यह फैसला सऊदी अरब की दुनिया भर में छवि को सुधारने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम माना जा रहा है।
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कफाला सिस्टम (Kafala System) क्या था?
कफाला शब्द का मूल अर्थ “स्पॉन्सरशिप” है। सऊदी अरब समेत कई खाड़ी देशों में यह प्रणाली 1950 के दशक से लागू थी। इसके प्रमुख विशेषताएं:
| प्रमुख विशेषता | प्रभाव |
|---|---|
| पासपोर्ट कफील के पास | श्रमिक कहीं भाग नहीं सकते थे |
| नौकरी बदलने की अनुमति नहीं | श्रमिक शोषण झेलने को मजबूर |
| शिकायत का अधिकार नहीं | न्याय तक पहुंच नहीं |
| महिलाओं का भारी शोषण | यौन, मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न |
सऊदी अरब ने कफाला सिस्टम को खत्म क्यों किया?
1. अंतरराष्ट्रीय दबाव
एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वॉच और ILO जैसी संस्थाओं ने लगातार इस पर रिपोर्ट जारी की। कफाला सिस्टम को आधुनिक गुलामी के बराबर बताया गया।
2. छवि सुधार की आवश्यकता
सऊदी अरब अब खुद को तेल-आधारित अर्थव्यवस्था से आगे ले जाना चाहता है। विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए श्रमिक अधिकार कानून लागू करना आवश्यक हो गया हैं।
3. विजन 2030 का लक्ष्य
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का लक्ष्य है कि सऊदी अरब को “बड़ा निवेश केंद्र” बनाया जाए। इसके लिए श्रमिकों को स्वतंत्रता प्रदान करना अनिवार्य था।
नए नियमों में श्रमिकों को क्या-क्या अधिकार मिले?
| नया अधिकार | विवरण |
|---|---|
| नौकरी बदलने की स्वतंत्रता | नियोक्ता की अनुमति के बिना |
| पासपोर्ट और दस्तावेज़ अपने पास | जब्त नहीं किए जा सकेंगे |
| ई-वर्क कॉन्ट्रैक्ट | पारदर्शिता और सुरक्षा |
| वीज़ा नवीनीकरण | सरकारी पोर्टल से सीधे |
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भारतीय मजदूरों को मिलेंगे यह फायदे
भारत सऊदी अरब को सबसे अधिक श्रमिक भेजता है। वहां लगभग 25 लाख भारतीय काम करते हैं। पहले वे शोषण का मुकाबला नहीं कर पाते थे क्योंकि उनके पास कानूनी शक्ति नहीं थी। अब उन्हें नौकरी बदलने की स्वतंत्रता मिलेगी। शोषण की जल्द शिकायत कर सकेंगे। कामकाजी महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा।
इन देशों में अब भी कफाला सिस्टम है मौजूद
कुवैत
ओमान
कतर (आंशिक सुधार)
लेबनान
सऊदी अरब का यह फैसला इन देशों के लिए भी दबाव का संकेत है कि सुधारों की दिशा में वे भी आगे बढ़ें।
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