सेबी ने अरशद वारसी और उनकी पत्नी समेत 59 लोगों को शेयर बाजार में कारोबार से रोक दिया है। आरोप है कि उन्होंने भ्रामक वीडियो के जरिए निवेशकों को गुमराह किया। इनके खिलाफ जुर्माना भी लगाया गया है। ये कार्रवाई साधना ब्रॉडकास्ट कंपनी के शेयरों के संबंध में की गई है। बाजार नियामक ने आरोपियों को एक से पांच साल तक प्रतिबंधित किया है। यह कदम निवेशकों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है।
SEBI का आदेश और जुर्माना
सेबी ने अरशद वारसी और उनकी पत्नी पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके साथ ही, इन्हें प्रतिभूति बाजार (Securities Market) से एक साल तक कारोबार करने से प्रतिबंधित किया गया है। अन्य 57 संस्थाओं और व्यक्तियों को पांच साल तक का प्रतिबंध और पांच लाख से पांच करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है।
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मामला: साधना ब्रॉडकास्ट के शेयरों में भ्रामक सलाह
इस पूरे मामले का केंद्र साधना ब्रॉडकास्ट (Sadhna Broadcast) है, जो अब क्रिस्टल बिजनेस सिस्टम लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। आरोप है कि यूट्यूब चैनलों पर भ्रामक वीडियो के माध्यम से निवेशकों को इस कंपनी के शेयर खरीदने के लिए प्रेरित किया गया।
भ्रामक प्रचार का असर
यूट्यूब चैनल जैसे मनीवाइज (Moneywise), द एडवाइजर (The Advisor), और प्रॉफिट यात्रा (Profit Yatra) पर ऐसी वीडियो डाली गईं, जिनमें साधना ब्रॉडकास्ट को अत्यंत लाभकारी निवेश विकल्प बताया गया। ये वीडियो बाजार की गतिविधियों के अनुसार समयबद्ध तरीके से पोस्ट किए गए ताकि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।
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अवैध लाभ और धनवापसी का आदेश
सेबी ने पाया कि अरशद वारसी को ₹41.70 लाख और उनकी पत्नी मारिया को ₹50.35 लाख का अवैध लाभ हुआ है। कुल 59 संस्थाओं को संयुक्त रूप से ₹58.01 करोड़ के अवैध लाभ को 12% वार्षिक ब्याज सहित वापस करने का निर्देश भी दिया गया है।
SEBI ने मास्टरमाइंड्स की पहचान की
सेबी ने इस पूरे ऑपरेशन के पीछे मास्टरमाइंड्स के रूप में गौरव गुप्ता, राकेश कुमार गुप्ता और मनीष मिश्रा को नामित किया है। इनके साथ-साथ साधना ब्रॉडकास्ट लिमिटेड के आरटीए निदेशक सुभाष अग्रवाल ने भी योजना में मध्यस्थ की भूमिका निभाई।
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अन्य संलिप्त व्यक्ति और संस्थाएं...
- पीयूष अग्रवाल और लोकेश शाह ने अपने खातों का इस्तेमाल इस हेरफेर में किया।
- जतिन शाह ने योजना के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- अन्य संस्थाएं भी इस योजना को संचालित करने और फंड जुटाने में शामिल थीं।
109 पन्नों का आदेश
सेबी के 109 पन्नों के विस्तृत आदेश में बताया गया कि शामिल संस्थाओं ने जानकारी देने, हेरफेर वाले ट्रेडों में सहायता देने का काम किया लेकिन अपने खातों से सीधे कारोबार नहीं किया।
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SEBI का निवेशकों के लिए संदेश
यह मामला सेबी की उस नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य निवेशकों को गलत सूचना और धोखाधड़ी से बचाना है। भ्रामक प्रचार के जरिए निवेशकों को गुमराह करना गैरकानूनी है और इसके लिए सख्त कार्रवाई की जाती है।
भ्रामक वीडियो वायरल
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