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Photograph: (the sootr)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आवारा कुत्तों के मामले में अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने 11 अगस्त के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि जो आवारा कुत्ते पकडे़ गए है, उन्हें रैबीज वैक्सीनेशन के बाद छोड़ दिया जाए। इसमें खतरनाक और रेबीज संक्रमित कुत्तों को ही सेल्टर होम्स में रखा जाएगा।
कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर इन्हें खाना देने पर भी प्रतिबंध लगा दिया हैै। इस पूरी कार्रवाई में कोई भी संस्था शासकीय कार्य में बाधा नहीं डाल पाएगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने वाले डाॅग लवर्स को 25 हजार व एनजीओ को दो लाख रुपए जमा कराने के आदेश भी दिए है।
सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाने पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाने पर रोक लगा दी है, साथ ही उन लोगों और संस्थाओं को जुर्माना भी लगाने का आदेश दिया है, जो इस नियम का उल्लंघन करेंगे।
इस आदेश के तहत कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर भोजन नहीं दे सकता। इसके बजाए, इस काम के लिए विशेष फीडिंग जोन (Feeding Zones) बनाए जाएंगे। यह फैसला उन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जहां कुत्तों को गलत तरीके से खाना खिलाने के कारण हिंसक घटनाएं घटित हुई हैं।
इस निर्णय के बाद, आवारा कुत्तों के पुनर्वास की प्रक्रिया भी सख्त होगी, जिसमें कुत्तों को पहले नसबंदी और टीकाकरण कराकर ही छोड़ा जाएगा, सिवाय उन कुत्तों के जो रेबीज से संक्रमित हैं या जिनका व्यवहार आक्रामक है। यह कदम कुत्तों और इंसानों दोनों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 3 महत्वपूर्ण बिंदुसुप्रीम कोर्ट के फैसले में तीन महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं:
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आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने का दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 11 अगस्त को डॉग बाइटस और रेबीज के बढ़ते मामलों को लेकर दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को दो महीने के भीतर शहर की सड़कों से हटाकर शेल्टर होम भेजने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि इस काम में रुकावट डालने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट के इस आदेश का देशभर में व्यापक विरोध किया गया था। पशु प्रेमियों सहित अन्य संस्थाओं द्वारा दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया था, साथ ही कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के विरोध में लगााई गई थी। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इस मामले में 13 अगस्त को कांफ्रेंस ऑफ हयूमन राइटस एनजीओ की याचिका पर तीन जजों की स्पेशल बेंच को यह मामला सौंप दिया था।
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देश में डाॅग बाइट के दस हजार मामले
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की स्पेशल बेंच द्वारा 14 अगस्त को इस मामले में सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस सुनवाई के दौरान साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जानकारी देते हुए कहा था कि 2024 में देशभर में 37 लाख 15 हजार डाॅग बाइट के मामले सामने आए थे। यह आंकड़ा प्रतिदिन दस हजार के करीब बैठता है। उन्होंने इसे गंभीर समस्या बताया था।
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