सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में चुनावों से पहले राजनीतिक पार्टियों द्वारा मुफ्त सुविधाओं के वादे करने पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि इससे लोगों की काम करने की इच्छा पर नकारात्मक असर पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें मुफ्त राशन और पैसे मिल रहे हैं, जिससे उनके भीतर काम करने की प्रेरणा खत्म हो रही है। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट में बेघर लोगों को शहरी क्षेत्रों में आश्रय स्थल प्रदान करने की मांग पर चल रही सुनवाई के दौरान आई।
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बिना किसी काम के मिल रहे पैसे : SC
न्यायमूर्ति बी आर गवई ने कहा, दुर्भाग्य से, इन मुफ्त सुविधाओं के कारण लोग काम करने को तैयार नहीं हैं। उन्हें मुफ्त राशन मिल रहा है और बिना कोई काम किए पैसे मिल रहे हैं। उनके इस बयान ने उन योजनाओं की ओर इशारा किया है जिनके तहत चुनावों में मुफ्त सुविधाओं का एलान किया जाता है। उनका कहना था कि इससे समाज में काम करने की इच्छा कमजोर हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट की पहले की टिप्पणी
यह पहली बार नहीं है जब Supreme Court ने मुफ्त योजनाओं के बारे में ऐसी टिप्पणी की है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी कोर्ट ने राज्य सरकारों की मुफ्त योजनाओं पर सवाल उठाए थे। Supreme Court ने तब कहा था कि राज्य सरकारों के पास मुफ्त योजनाओं के लिए पैसा है, लेकिन जजों की सैलरी और पेंशन के लिए पैसा नहीं है। यह बयान चुनावों में मुफ्त वादों की बढ़ती प्रथा पर कटाक्ष था।
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फ्रीबीज पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
इसके अलावा, पिछले साल अक्टूबर में भी सुप्रीम कोर्ट ने फ्रीबीज को लेकर एक याचिका पर सुनवाई की थी। याचिकाकर्ता ने चुनावों के दौरान मुफ्त की रेवड़ियों के वादों को रोकने की मांग की थी और कोर्ट से यह निर्देश देने की अपील की थी कि चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों को ऐसे वादे करने से रोके। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
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SC ने कोर्ट में क्या कहा?
1. पीठ ने कहा, हम उनके प्रति आपकी चिंता की सराहना करते हैं। मुफ्त राशन और पैसा देने की जगह क्या ये अच्छा नहीं होगा कि इन लोगों को समाज की मुख्य धारा में शामिल किया जाए और देश के विकास में इन्हें भी योगदान देने का मौका मिले।
2. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पीठ को बताया कि केंद्र शहरी गरीबी मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, जो शहरी बेघरों के लिए आश्रय के प्रावधान सहित विभिन्न मुद्दों का समाधान करेगा।
3. पीठ ने अटॉर्नी जनरल से केंद्र से यह साफ करने को कहा कि शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन कितने समय के अंदर लागू किया जाएगा।
4. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह हफ्ते के लिए टाल दी।