भारत के सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में अपराधीकरण को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। कोर्ट ने सवाल उठाया कि अगर कोई व्यक्ति आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो उसे संसद और विधानसभा में कैसे चुनाव लड़ने का अधिकार मिल सकता है।
यह सवाल खासकर उन नेताओं को लेकर उठ रहा है जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं। कोर्ट ने इस मामले पर भारत के अटॉर्नी जनरल से सहायता मांगी है और जल्द से जल्द इस पर निर्णय लेने की बात कही है।
जनहित याचिका पर विचार के दौरान उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में अपराधीकरण पर सवाल करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति आपराधिक मामले में दोषी है तो उसे संसद या विधानसभा में कैसे आने दिया जा सकता है? अदालत ने यह सवाल भारतीय अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की एक जनहित याचिका पर चर्चा के दौरान किया। इस याचिका में सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे की मांग की गई थी। साथ ही दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया था।
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केंद्र सरकार से तीन सप्ताह में जवाब दे: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने भारत के अटॉर्नी जनरल से इस मामले पर मदद मांगी और केंद्र सरकार से तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने इस बात को जोर देकर कहा कि अगर किसी नेता को दोषी ठहराया जाता है और उसकी सजा बरकरार रखी जाती है, तो ऐसे नेता को संसद या विधानसभा में वापस आने की अनुमति कैसे दी जा सकती है।
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251 सांसदों के खिलाफ चल रहे हैं आपराधिक मामले
कई सांसदों और विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 543 लोकसभा सांसदों में से 251 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं, जिनमें से 170 पर ऐसे आरोप हैं जिनके तहत 5 साल से अधिक की सजा हो सकती है। इसके अलावा, कई विधायक भी अपने खिलाफ आपराधिक मामलों के बावजूद विधायक बने हुए हैं।
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बड़ी पीठ को इस मामले में निर्णय लेना चाहिए: SC
कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक बड़ी पीठ को इस मामले में निर्णय लेना चाहिए और इसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए पहले ही निर्णय लिया जा चुका है, और इस फैसले को फिर से खोलने का कोई मतलब नहीं है।