भारत में वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई हो रही है। इस विवाद में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं। हालांकि, कोर्ट ने केवल पांच प्रमुख याचिकाओं पर ही सुनवाई करने का निर्णय लिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 15 मई, 2024 को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 17 अप्रैल को केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर जवाब देने के लिए सात दिन का समय दिया था। साथ ही, वक्फ बोर्ड में नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी और वक्फ संपत्तियों पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ की बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में दावा किया कि पिछले 12 वर्षों में वक्फ संपत्तियों का विस्तार हुआ है और यह 20 लाख एकड़ से अधिक बढ़ गई हैं। इस कारण से कई बार निजी और सरकारी भूमि पर विवाद उत्पन्न हुए हैं। केंद्र सरकार ने यह दावा 25 अप्रैल को अपने हलफनामे में किया था। सरकार के अनुसार, नया वक्फ कानून पूरी तरह से संवैधानिक है और संसद द्वारा पारित होने के बाद इसे रोका नहीं जा सकता।
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याचिकाकर्ता ने सरकार के आंकड़ों को गलत बताया
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सरकार के हलफनामे में दिए गए आंकड़ों को गलत बताते हुए कोर्ट से यह मांग की कि झूठा हलफनामा देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। AIMPLB के मुताबिक, सरकार ने जो आंकड़े प्रस्तुत किए हैं, वे सही नहीं हैं।
वक्फ कानून की संवैधानिकता पर सवाल
नए वक्फ कानून पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने इसे संविधान के विभिन्न प्रावधानों के खिलाफ बताया है। उनका कहना था कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता (Article 25), अल्पसंख्यक अधिकार (Article 29), और संपत्ति के अधिकार (Article 300A) का उल्लंघन करता है।
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वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को शामिल करना
केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून में वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को भी शामिल करने का प्रावधान है। इस पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह सरकार का हस्तक्षेप है और इससे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो सकता है।
इस मसले पर कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे प्रमुख वकील सरकार के खिलाफ तर्क दे रहे हैं। वे यह कहते हैं कि सरकार को वक्फ संपत्तियों के मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
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नए वक्फ कानून का विरोध
नया वक्फ कानून अप्रैल में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हुआ था। लोकसभा और राज्यसभा में इसे भारी समर्थन मिला था, लेकिन कई विपक्षी दलों ने इस कानून का विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इस कानून के तहत, वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन और प्रबंधन में सरकार का दखल बढ़ा दिया गया है, जिसे कई लोग धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मानते हैं।
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वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन
इस कानून के तहत वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे विवादों का सामना करना पड़ रहा है। कई वक्फ संपत्तियां सैकड़ों साल पुरानी हैं और इनका रजिस्ट्रेशन करना मुश्किल हो रहा है।
वक्फ बोर्ड में बदलाव और सरकारी हस्तक्षेप
नए कानून के तहत वक्फ बोर्ड में बदलाव किए गए हैं। अब वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को भी सदस्य बनाया जाएगा, जो वक्फ संपत्तियों से संबंधित फैसले लेंगे। याचिकाकर्ता इस बदलाव का विरोध करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन मानते हैं।