सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल का निधन, बने थे देश के सबसे युवा गवर्नर

बीजेपी की प्रमुख नेता सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल का 4 दिसंबर को निधन हो गया। वे मिजोरम के सबसे युवा गवर्नर रहे थे और सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील थे।

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Amresh Kushwaha
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Sushma Swaraj husband Swaraj Kaushal passes away
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बीजेपी की प्रमुख नेता सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल का 4 दिसंबर को दिल्ली में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। स्वराज कौशल सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील रहे हैं। उनका राजनीतिक करियर भी शानदार था। इनके निधन को भारतीय राजनीति और कानूनी क्षेत्र में बड़ा नुकसान माना जा रहा है।

आपकी बेटी होना सबसे बड़ा गौरव- बांसुरी स्वराज

बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि पापा स्वराज कौशल, आपका स्नेह, अनुशासन, सरलता, राष्ट्रप्रेम और धैर्य मेरी जिंदगी की रोशनी हैं। आपका जाना हृदय में गहरी पीड़ा छोड़ गया है, लेकिन विश्वास है कि आप अब मां के साथ ईश्वर के पास हैं। आपकी बेटी होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा गौरव है। आपके मूल्य, आशीर्वाद और विरासत ही मेरी आगे की यात्रा का आधार बनेंगे।

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मिजोरम के गवर्नर के तौर पर ऐतिहासिक योगदान

स्वराज कौशल ने महज 37 वर्ष की उम्र में 1990 में मिजोरम के गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला था। इस समय वे देश के सबसे युवा गवर्नर बने थे। उनकी कार्यकुशलता और कड़ी मेहनत के कारण मिजोरम में शांति स्थापित करने में अहम भूमिका अदा की थी।

वे 9 फरवरी 1993 तक इस पद पर कार्यरत रहे थे। एक दिलचस्प तथ्य यह है कि उनकी पत्नी सुषमा स्वराज देश की सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड रखती थीं।

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राजनीतिक और कानूनी करियर में उल्लेखनीय योगदान

स्वराज कौशल का राजनीतिक जीवन बहुत ही प्रेरणादायक था। 1998 में उन्होंने हरियाणा विकास पार्टी से राज्यसभा का चुनाव लड़ा था। वे 1998 से 2004 तक राज्यसभा के सदस्य रहे थे। यह उनके करियर का अहम मोड़ था, जब वे सुषमा स्वराज के साथ समानांतर कार्य कर रहे थे। दोनों के लिए यह एक अभूतपूर्व स्थिति थी।

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इमरजेंसी के दौरान रही अहम कानूनी भूमिका

स्वराज कौशल ने इमरजेंसी के दौरान अपनी कानूनी विशेषज्ञता का लोहा मनवाया था। जब जॉर्ज फर्नांडीज और 24 अन्य लोगों पर झूठे आरोप लगे, स्वराज ने उनकी कानूनी मदद की। वे उत्तर-पूर्वी भारत के मामलों के विशेषज्ञ माने जाते थे।

1979 में मिजो लीडर लालदेंगा की रिहाई में उनकी अहम भूमिका थी। बाद में वे मिजो नेशनल फ्रंट के संवैधानिक सलाहकार बने थे। उनकी कड़ी मेहनत से मिजोरम शांति समझौता संभव हुआ था। साथ ही, 20 साल पुराना विद्रोह समाप्त हुआ था।

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कानूनी क्षेत्र में भी रहा था शानदार करियर

स्वराज कौशल का कानूनी करियर भी बहुत शानदार था। 1986 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया गया था। एक साल बाद, वे एडवोकेट जनरल बने थे। उनका समाजवादी विचारधारा से संबंध था और उन्होंने हमेशा न्याय की स्थापना के लिए काम किया था।

स्वराज कौशल का निजी जीवन

स्वराज कौशल की शादी 13 जुलाई 1975 को सुषमा स्वराज से हुई थी। सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति की एक और दिग्गज नेता थीं। उनकी बेटी बांसुरी स्वराज, जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं। साथ ही, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बैरिस्टर हैं।

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