देश में मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि राम मंदिर जैसा मुद्दा किसी और जगह न उठाया जाए। भागवत ने बिना किसी का नाम लिए उन हिंदूवादी नेताओं को नसीहत दी, जो इस तरह के विवादों को उछालकर खुद को 'हिंदुओं का नेता' साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। संघ प्रमुख ने पहले भी इस तरह की अपील की थी, लेकिन अब दोबारा इस तरह की नसीहत देने की नौबत क्यों आई, इसकी वजहों पर भी नजर डालते हैं।
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संघ प्रमुख ने क्या कहा
पुणे के एक कार्यक्रम में 'विश्वगुरु भारत' विषय पर बोलते हुए मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि राम मंदिर (Ram Mandir) आस्था का विषय था, और इसका निर्माण होना चाहिए था। लेकिन अब अन्य स्थलों को लेकर नफरत और दुश्मनी के कारण नए विवाद उठाना गलत है। भागवत ने कहा कि कुछ लोग इस तरह के मुद्दे उठाकर खुद को 'हिंदुओं का नेता' साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने सभी धर्मों और पूजा पद्धतियों के सह-अस्तित्व की बात की और कहा कि भारत में कोई बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक नहीं है, सभी एक समान हैं।
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पहले भी दी जा चुकी है यही नसीहत
यह पहली बार नहीं है जब भागवत ने इस मुद्दे पर बात की है। जून 2022 में भी उन्होंने मंदिर-मस्जिद विवाद (Temple-Mosque Dispute) से बचने की नसीहत दी थी। तब बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) और ताजमहल (Taj Mahal) पर विवाद गरमाया हुआ था। उन्होंने तब कहा था कि हर मस्जिद में शिवलिंग (Shivling) क्यों ढूंढना, झगड़े क्यों बढ़ाना? अब दोबारा इस तरह की नसीहत देने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि हाल के दिनों में बदायूं, संभल, अजमेर और कई अन्य जगहों पर नए मंदिर-मस्जिद विवाद (New Temple-Mosque Dispute) सामने आए हैं।
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नए मंदिर-मस्जिद विवादों की बाढ़
अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद, संभल, बदायूं , फतेहपुर सिकरी और अजमेर जैसे कई इलाकों में मंदिर-मस्जिद विवाद सामने आए। संभल में कोर्ट के आदेश पर जामा मस्जिद का सर्वे किया जा रहा था, जिस पर हिंसा हुई और 5 लोगों की मौत हो गई। इसी तरह बदायूं और अजमेर शरीफ दरगाह को मंदिर बताने के दावे किए गए। जौनपुर की अटाला मस्जिद को भी लेकर विवाद उठ चुका है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, अब नए मामले नहीं होंगे दर्ज
मंदिर-मस्जिद विवाद की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (Places of Worship Act) की वैधता पर कोर्ट का फैसला आने तक किसी भी नई याचिका को स्वीकार नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने पुराने मामलों में भी आदेश देने पर रोक लगा दी है। इस आदेश का उद्देश्य नए विवादों को रोकना और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद नई जगहों पर मंदिर-मस्जिद विवाद खड़ा करने की कोशिशों पर रोक लगाई जा सकेगी।
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