स्कूल में पीरियड्स की जांच के लिए बच्चियों के उतरवाए कपड़े, प्रिंसिपल हिरासत में, 8 पर केस दर्ज

ठाणे के एक प्राइवेट स्कूल में कक्षा 5 से 10 तक की बच्चियों से उनके पीरियड्स के बारे में पूछकर कपड़े उतरवाकर जांच की गई। इस घटना से पेरेंट्स में गुस्सा फूट पड़ा और स्कूल के बाहर हंगामा हुआ।

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Sandeep Kumar
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स्कूल में कक्षा 5 से 10 तक की बच्चियों से पीरियड्स को लेकर विवादास्पद और घिनौनी जांच की गई। बच्चियों ने बताया कि स्कूल के टॉयलेट में खून के धब्बे पाए गए थे। इसके बाद सभी लड़कियों को कन्‍वेंशन हॉल में बुलाकर उनके पीरियड्स के बारे में पूछा गया।

जिन लड़कियों ने पीरियड्स की पुष्टि की, उनके उंगलियों के निशान लिए गए। जिन लड़कियों ने नकारात्मक जवाब दिया, उन्हें टॉयलेट में ले जाकर कपड़े उतरवाए गए और प्राइवेट पार्ट्स की जांच की गई। दरअसल ये पूरा मामला महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक प्राइवेट स्कूल का है ।

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पुलिस ने प्रिंसिपल को हिरासत में लिया

जब बच्चियों ने यह घटना अपने पेरेंट्स को बताई, तो पेरेंट्स ने स्कूल के बाहर हंगामा किया। उन्होंने प्रिंसिपल की गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस ने स्कूल पहुंचकर प्रिंसिपल को हिरासत में लिया और शहापुर पुलिस स्टेशन ले गई।

इस घटनाक्रम पर स्कूल ने वकील अभय पितळे को भेजा। हालांकि, अभिभावकों ने उन्हें स्कूल से बाहर निकाल दिया। अभिभावकों ने वकील को घेर लिया और उनकी पिटाई करने की कोशिश की। हालांकि, पुलिस की तत्परता से वकील बच गए।

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POCSO के तहत मामला दर्ज

स्कूल की प्रिंसिपल और अटेंडेंट पर POCSO के तहत मामला दर्ज किया गया है। एक मां ने अपनी शिकायत में कहा, “आरोपी का कृत्य लड़कियों के लिए मानसिक उत्पीड़न के समान है।”

पुलिस ने बताया कि एक अभिभावक ने स्कूल की प्रिंसिपल, चार शिक्षकों, अटेंडेंट और दो ट्रस्टियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। पुलिस गवाहों की पहचान कर रही है और स्टूडेंट्स से और सबूत जुटा रही है।

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एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार लोगों को गुरुवार को अदालत में पेश किया जाएगा। ठाणे ग्रामीण पुलिस के अनुसार, अभिभावकों के विरोध प्रदर्शन के बाद स्कूल प्रबंधन और प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की गई। सभी पर पॉक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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लड़कियां क्यों छोड़ी देती है स्कूल? 

यह घटना एक बड़े सामाजिक मुद्दे की ओर इशारा करती है, खासकर लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की। 2019 में UNICEF के सर्वे में यह सामने आया था कि भारत में हर साल 2.3 करोड़ लड़कियां पीरियड्स शुरू होते ही स्कूल छोड़ देती हैं। इसके कारण कई लड़कियों को कम उम्र में शादी के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है।

शिक्षा मंत्रालय की एडवाइजरी

शिक्षा मंत्रालय ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए स्कूलों के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी। इसमें कहा गया था कि जिन लड़कियों को बोर्ड एग्जाम के दौरान पीरियड्स हों, उनके लिए फ्री सैनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जाएं और उन्हें ब्रेक दिया जाए। इसके अलावा, एग्जाम सेंटर्स पर रेस्टरूम की व्यवस्था भी की जाए।

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