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छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी नवगठित आदिवासी बहुल जिले से एक गंभीर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जिसमें जनहित निर्माण कार्यों की राशि को मिलकर गबन किए जाने का आरोप स्थानीय भाजपा नेता, ठेकेदार और अधिकारियों पर लगा है।
करीब 2 करोड़ से अधिक राशि विकास कार्यों के नाम पर कागजों में खर्च हुई, लेकिन जमीन पर घटिया निर्माण या फिर काम ही अधूरा है।
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बिना एग्रीमेंट बांटे गए निर्माण कार्य, स्लैब मिट्टी पर!
मामला तब उजागर हुआ जब मोहला विकासखंड के करमरी ग्राम पंचायत के आश्रित गांव नाटीपार में एक नाले की मिट्टी पर बिना सेंटरिंग के ही स्लैब डालकर पुल बना दिया गया। 15 लाख रुपये की लागत वाले इस पुल के साथ ही कई और जगहों पर भी इसी तरह के घटिया और अधूरे निर्माण कार्य सामने आए हैं।
स्थानीय डोंगरगांव निवासी भाजपा नेता व ठेकेदार सागर वर्मा को, आरोपों के अनुसार, एक ही वर्क ऑर्डर में बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया और एग्रीमेंट के ठेका सौंप दिया गया।
कैसे जारी हुए आदेश?
1 अक्टूबर 2024 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अवर सचिव आर.के. शर्मा द्वारा जिले की 12 ग्राम पंचायतों को विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए मंजूरी दी गई, लेकिन ये मंजूरी स्थानीय स्तर पर न तो सार्वजनिक की गई और न ही पंचायत प्रतिनिधियों से साझा की गई।
सूत्रों के मुताबिक, तत्कालीन जनपद सीईओ केश्वरी देवांगन और मानपुर सीईओ हनीश खान ने पंचायत सचिव और सरपंच को कहा कि, “सागर वर्मा को काम देना है, वह स्वीकृति लेकर आया है।” नतीजा – न टेंडर निकाला गया, न प्रस्ताव पारित हुआ, और न कोई एग्रीमेंट।
घोटाले से जुड़े प्रमुख निर्माण कार्य
ग्राम पंचायत | कार्य | लागत |
---|---|---|
करमरी | पुल निर्माण | ₹15 लाख |
कोड़े (कोहका) | पुल निर्माण | ₹15 लाख |
हलोरा | सीसी रोड | ₹15 लाख |
कोसमी | सीसी रोड | ₹18 लाख |
सरोली | सीसी रोड | ₹18 लाख |
संबलपुर (सरोली का आश्रित) | सीसी रोड | ₹18 लाख |
कुम्हारी | पुल निर्माण | ₹15 लाख |
उमरपाल | मुरमीकरण सड़क | ₹18 लाख |
माडियानवाडवी | सीसी रोड | ₹16 लाख |
पाटन खास | बस स्टैंड कंक्रीटीकरण | ₹16 लाख |
उसमाल | सीसी रोड | ₹18 लाख |
घोवड़ेटोला | सीसी रोड | ₹18 लाख |
इन कार्यों की स्वीकृति अंडर टेबल बिना पंचायत प्रस्ताव के की गई और कई जगह नाममात्र निर्माण कर पैसे निकाले गए।
जांच भी संदेह के घेरे में
मीडिया में मामला सामने आने के बाद, जिला पंचायत सीईओ भारती चंद्राकर ने करमरी पुल प्रकरण पर 4 सदस्यीय जांच टीम बनाई, जिसकी अध्यक्षता सुभाष चंद्र गोरे (अनुविभागीय अधिकारी, ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा) को दी गई है। लेकिन यह वही विभाग है जिसकी ज़िम्मेदारी पुलिया निर्माण की गुणवत्ता जांचने की थी, ऐसे में निष्पक्ष जांच पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
सरपंच-सचिव की भूमिका भी संदिग्ध
पंचायत प्रतिनिधियों ने भी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता या स्वीकृति पर सवाल नहीं उठाए। उन्होंने अधिकारियों के कहने पर निर्माण की जिम्मेदारी सागर वर्मा को सौंपी और लगातार भुगतान करते रहे। चुनावी समय में विकास का दावा करने वाले जनप्रतिनिधि अब चुप्पी साधे हुए हैं।
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स्थानीय आदिवासियों में नाराजगी, आंदोलन की चेतावनी
लगातार भ्रष्टाचार की खबरों और प्रभावी कार्रवाई न होने से स्थानीय आदिवासी और ग्रामीण समुदायों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि विकास कार्यों के नाम पर लूट चल रही है, और प्रशासन कागजी कार्रवाई तक सीमित है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि समय पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो वे जिलेभर में आंदोलन की शुरुआत करेंगे।
छत्तीसगढ़ के इस आदिवासी बहुल जिले में यह घोटाला सिर्फ धन का नहीं, भरोसे का भी है। राज्य सरकार की योजनाओं के नाम पर अगर ऐसे ही साजिशें रची जाती रहीं, तो यह नवगठित जिला अपनी पहचान विकास से नहीं, भ्रष्टाचार के मामलों से बनाएगा। जनता अब जवाब और न्याय दोनों चाहती है।
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