कभी सोचा है ! वोटर की उंगली पर क्यों लगाई जाती है न मिटने वाली अमिट स्याही!

वोटिंग के दौरान बाएं हाथ की तर्जनी (अंगूठे की बगल वाली) उंगली पर लगने वाली नीले रंग की स्याही को लेकर आपके मन में उठने वाले सभी सवालों के जवाब आपको मिलेंगे...

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Amresh Kushwaha
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वोटिंग के दौरान लगने वाली नीली स्याही

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BHOPAL. चुनाव की वोटिंग के दौरान आपके बाएं हाथ की अंगूठे की बगल वाली उंगली ( Index finger ) पर नीले रंग की स्याही लगाई जाती है। जिसे देखकर आपके मन में अनेक सवाल आते होंगे। जैसे यह स्याही क्यों लगाई जाती है? इसे कितना भी मिटाने का प्रयास करें, यह मिटती क्यो नहीं है? आखिरकार यह बनती कहां है? इसे बनाया कैसे जाता है और क्या है इसका इतिहास? तो आइए इस अमिट स्याही ( Indelible ink ) के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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आखिर क्यों लगाई जाती है अमिट स्याही

देश में पहली बार 1951-52 में आम चुनाव हुए थे। उस चुनाव में कई लोगों ने एक से अधिक बार वोटिंग की तो कइयों की जगह दूसरों ने वोट डाले। इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की गई। चुनाव आयोग ने फैसला लिया कि मतदाता की उंगली पर एक निशान बनाया जाए, जिससे यह पता लग सके कि वोटर ने वोट दिया है या नहीं।

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पहली बार किस चुनाव के दौरान किया गया उपयोग

देश में 1951-52 के चुनाव में हुए फर्जीवाड़े को देखते हुए इसे रोकने के लिए चुनाव आयोग फैसला लिया। वो यह था कि वोटिंग के दौरान वोटर की उंगली पर अमिट स्याही लगाई जाए। देश में पहली बार ये अमिट स्याही 1962 के तीसरे आम चुनाव में इस्तेमाल कि गई। नतीजा यह रहा कि उंगली पर अमिट स्याही लगाने का ये फैसला बेहद कारगर रहा। अभी तक इसके विकल्प के बारे में सोचा तक नहीं गया है। ये बताता है कि उंगली पर स्याही लगाने का विचार और फैसला किस कदर काम आया है।

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अमिट स्याही क्या होती है , इसे बनाया कैसे जाता है

अमिट स्याही को बनाने के लिए चुनाव आयोग ने नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया (NPL) से संपर्क किया। जिसका मुख्यालय नई दिल्ली स्थित है। एनपीएल ने यह स्याही बनाने के लिए कर्नाटक के मैसूर शहर में स्थित पेंट एंड वार्निश कंपनी को दिया। जिसे मैसूर पेंट एंड वार्निश कंपनी (Mysore Paints and Varnish Limited, MPVL) के नाम से जाना जाता है। इसके बाद एमपीवीएल ने ऐसी अमिट स्याही तैयार की, जिसे ना तो पानी से और ना ही किसी केमिकल से हटाया जा सकता था। स्याही को लगाते ही यह 60 सेकेंड में ही सूख जाती है। सूत्रो के मुताबिक इस स्याही के निशान को 15 दिनों से पहले नहीं मिटाया जा सकता।
इसको बनाने के तरीके कि बात करे तो एमपीवीएल ने स्याही को बनाने के तरीके को सार्वजनिक नहीं किया। इसका कारण बताया गया कि अगर फॉर्मूले को सार्वजनिक किया गया, तो लोग इसके मिटाने का तरीका खोज लेंगे और इसका उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा। हालांकि, जानकारों का कहना है कि स्याही में सिल्वर नाइट्रेट मिला होता है। इंक को तैयार करने में पूरी सुरक्षा और गोपनीयता का ध्यान रखा जाता है।

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इसका निर्यात कई देशों में किया जाता है

एमपीवीएल की बनी अमिट स्याही का प्रयोग सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई देश मे किया जाता है। सूत्रो के मुताबिक इस स्याही को एमपीवीएल के द्वारा 28 देशों में निर्यात किया जाता हैं। इन देशों में दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, मलेशिया, मालदीव, कंबोडिया, अफगानिस्तान, तुर्की, नाइजीरिया, नेपाल, घाना, पापुआ न्यू गिनी, बुर्कीना फासो, बुरुंडी, टोगो और सिएरा लियोन आदि शामिल हैं।

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