Waqf Act: वक्फ कानून पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, केंद्र को जारी किया नोटिस

वक्फ कानून के खिलाफ दायर 100 से अधिक याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने कानून पर रोक लगाने से इनकार किया। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को शामिल करने को तैयार है।

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Sandeep Kumar
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देश दुनिया न्यूज: भारत में वक्फ बोर्ड कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दो घंटे की सुनवाई हुई। इस कानून के खिलाफ 100 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, लेकिन कानून के लागू होने पर कोई रोक नहीं लगाई। 

वक्फ को लेकर SC में बहस

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून (Waqf Act ) को लेकर करीब दो घंटे तक सुनवाई हुई। 100 से ज्यादा याचिकाओं के तहत यह मामला अब देश में संवैधानिक और धार्मिक अधिकारों की बहस का केंद्र बन चुका है। कोर्ट ने फिलहाल कानून पर रोक लगाने से इनकार किया है लेकिन कई तीखे सवाल केंद्र सरकार से पूछे।

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अंतरिम आदेश पर टली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अंतरिम आदेश जारी करने के पक्ष में था। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की आपत्ति के बाद कोर्ट ने फैसला टाल दिया। अब इस मामले में अगली सुनवाई गुरुवार को दोपहर 2 बजे होगी।

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कानून के विरोध में हिंसा पर कोर्ट सख्त

देशभर में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में कई जगहों पर हिंसा भड़की है, खासतौर पर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में। इस पर कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई। सॉलिसिटर जनरल ने भी कहा कि हिंसा का इस्तेमाल अदालत पर दबाव बनाने के लिए नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने दो टूक कहा कि वह इस पर विधिसम्मत निर्णय देगा, न कि दबाव में आकर।

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क्या मुसलमान हिंदू ट्रस्टों में शामिल हो सकते हैं?

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बहस के दौरान कहा कि नए वक्फ कानून के तहत अब बोर्ड में हिंदुओं को भी सदस्य बनाया जाएगा। इससे मुस्लिम धार्मिक संस्थानों के अधिकारों का उल्लंघन है। इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया है।  कोर्ट ने कहा है कि "क्या सरकार मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों जैसे तिरुपति या अन्य संस्थानों के बोर्ड में सदस्य बनने की अनुमति देगी?"

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कोर्ट में वकीलों ने क्या दीं दलीलें 

कपिल सिब्बल और अन्य वकीलों ने कहा नए कानून में गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है। वहीं केंद्र सरकार की ओर से SG तुषार मेहता का कहना है कि कानून का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है, न कि धार्मिक हस्तक्षेप।

 

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