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MP NEWS: मैहर जिले के ग्राम पंचायत भदनपुर निर्वाचित सरपंच बद्री प्रसाद विश्वकर्मा को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से एक बड़ी राहत मिली है। जबलपुर हाईकोर्ट की डिविजनल बेंच ने उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत सिंगल बेंच द्वारा उन्हें सरपंच पद से हटाने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने प्रथम दृष्टया सिंगल बेंच के आदेश को तथ्यात्मक और विधिक रूप से त्रुटिपूर्ण पाया है। इस निर्णय से न केवल सरपंच बद्री प्रसाद को न्याय की उम्मीद मिली है, बल्कि ग्राम पंचायत के लोगों की लोकतांत्रिक भावना को भी मजबूती मिली है।
सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का था आरोप
पूरा विवाद उस समय शुरू हुआ जब ग्राम पंचायत भदनपुर के निवासी रविंद्र प्रताप सिंह ने एस.डी.ओ. मैहर के समक्ष एक चुनाव याचिका दायर की। इसमें आरोप लगाया गया कि सरपंच बद्री प्रसाद विश्वकर्मा ने कथित रूप से सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है और इस कारण से उनका निर्वाचन शून्य घोषित किया जाए। इस याचिका की विधिवत सुनवाई करते हुए एस.डी.ओ. ने सभी पक्षकारों को बुलाया, गवाही दर्ज की और दस्तावेजी साक्ष्यों का परीक्षण किया। सुनवाई में यह सामने आया कि जिस जमीन पर अतिक्रमण का आरोप लगाया गया था, वह वास्तव में सरकारी नहीं थी। ये जमीन सरपंच के पूर्वजों की आवासीय भूमि थी, जिस पर उनका परिवार पीढ़ियों से निवास कर रहा है। इन तथ्यों के आधार पर एस.डी.ओ. ने 23 दिसंबर 2024 को याचिका को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था। इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा था।
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सरपंच को पद से हटाने का आदेश
एस.डी.ओ. के इस आदेश से असंतुष्ट याचिकाकर्ता ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के समक्ष याचिका क्रमांक 3326/2025 दाखिल की। यह याचिका जस्टिस विवेक अग्रवाल की अदालत में प्रस्तुत की गई, जहां याचिकाकर्ता के वकीलों ने तर्क दिया कि एस.डी.ओ. ने पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों की अनदेखी की है। जस्टिस अग्रवाल ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए एस.डी.ओ. के आदेश को निरस्त कर दिया और सरपंच बद्री प्रसाद को उनके पद से हटाने का आदेश दिया। यह आदेश सरपंच और उनके समर्थकों के लिए बेहद चौंकाने वाला था, क्योंकि इसने निर्वाचित जनप्रतिनिधि की वैधता को चुनौती दी।
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डिवीजन बेंच ने खारिज किया एकल पीठ का आदेश
सिंगल बेंच के इस निर्णय को चुनौती देते हुए बद्री प्रसाद विश्वकर्मा ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में रिट अपील क्रमांक 1073/2025 दाखिल की। यह अपील चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत की गई। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल सुनवाई की और पूरे मामले के दस्तावेजों और कानूनी प्रावधानों का गहन परीक्षण किया। कोर्ट ने यह पाया कि सिंगल बेंच का निर्णय प्रथम दृष्टया कानूनी मानकों पर खरा नहीं उतरता और उसमें तथ्यों की सम्यक विवेचना नहीं की गई। इस आधार पर डिविजनल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर स्थगन दे दिया, जिससे सरपंच फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे।
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दुर्भावना के चलते लगाए गए थे आरोप
इस अपील में सरपंच की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह और अधिवक्ता ओ.पी. द्विवेदी ने प्रभावशाली पैरवी की। अधिवक्ताओं ने न्यायालय के समक्ष पुराने मामलों, पारिवारिक एवं राजस्व अभिलेखों के आधार पर यह साबित किया कि सरपंच के विरुद्ध लगाए गए आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत थे। दुर्भावनापूर्ण भी प्रतीत होते हैं। उनके तर्कों ने न्यायालय को इस बात के लिए सहमत किया कि सिंगल बेंच के आदेश में विधिक दृष्टि से गंभीर त्रुटियां हैं और उस पर तत्काल रोक आवश्यक है।