लाड़लियों को ' लक्ष्मी ' बनाने में क्यों एकमत हो रहे हैं राजनीतिक दल

राजनीतिक पार्टियों ने देश की आधी आबादी को 'लाड़ली' (Ladli) मान उन्हें 'लक्ष्मी' स्वरूप बनाने का मन बना लिया है। इसी सोच को ध्यान में रखते ये दल इन लाड़लियों (Women Empowerment) का विशेष ध्यान रख रहे हैं। इन्हें लाभ पहुंचाने कई योजनाएं संचालित हैं।

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BP shrivastava
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देश की राजनीतिक पार्टियों का अधिकांश फोकस आधी आबादी यानी महिलाओं पर है। इसलिए महिलाओं के लिए सीधे नकद लाभ की योजनाएं संचालित हैं।

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NEW DELHI. लगता है राजनीतिक पार्टियों ने देश की आधी आबादी को 'लाड़ली' (Ladli) मान उन्हें 'लक्ष्मी' स्वरूप बनाने का मन बना लिया है। इसी सोच को ध्यान में रखते ये दल इन लाड़लियों ( Women Empowerment ) का विशेष ध्यान रख रहे हैं और उन्हें रिझाने के लिए 'धनवर्षा' स्टाइल में स्कीमें (Direct Cash Benefite) ला रहे हैं। पार्टियों का एक ही टारगेट है कि किसी न किसी तरह से देश की महिला ( आधी ) आबादी के वोट उन्हें हासिल हो जाएं और वे चुनाव में जीत दर्ज कर सत्ता हासिल कर लें। इन दलों के नेता मान रहे हैं कि बीजेपी ने इसी तरह का खेल खेला था, जिसके बाद मुखिया नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उसकी सरकार सरपट दौड़ रही है। 

महिलाओं के लिए बन रहा वन-प्वॉइंट प्रोग्राम

महिलाओं को कथित तौर धनरूपा बनाने का वन-प्वॉइंट प्रोग्राम सभी दलों को भा रहा है। इसीलिए लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए वे लगातार महिलाओं को फोकस में रखकर भाषण दे रहे हैं, घोषणाएं कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि अगर उनकी सरकार बनती है तो महिलाओं को किसी प्रकार का आर्थिक कष्ट नहीं होगा। असल में देश की महिलाओं के बैंक अकाउंट में नकद राशि डालने के वादा कर कुछ राज्यों में सरकार भी बन चुकी हैं और वहां की महिलाओं के कष्ट भी कम हुए हैं। लेकिन कुछ पार्टियों ने ऐसी घोषणा कर सरकार तो बना ली, लेकिन उस पर अमल नहीं किया। इसके बावजूद उनकी सरकार चल तो रही ही है। हम आपको बताते हैं कि 'लाडली' योजना की कहानी। 

मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में 'लक्ष्मीरूपा' ने पलटी बाजी

सबसे पहले हम बात करते हैं मध्यप्रदेश की। यहां के लाड़ले मामा शिवराज सिंह चौहान ने लाड़लियों को ऐसा रिझाया कि राज्य में आसानी से बीजेपी की सरकार बन गई, यह अलग बात है कि इस बार मामाजी राज्य के सीएम नहीं बन पाए, लेकिन आधी आबादी ने बीजेपी का दामन तो मजबूती से पकड़ ही लिया। पिछले साल मार्च में मामाजी ने 'लाड़ली बहना' नाम से योजना शुरू की और तीन माह की कवायद के बाद ही वहां 21 साल से ऊपर की महिलाओं के खाते में नकद 1000 पहुंच गए। जब नवंबर में चुनाव हुए तो लाड़ली बहनाओं ने 'अर्थ' का फर्ज निभाया फिर से बीजेपी की सरकार बना दी। इसी तरह का जादू छत्तीसगढ़ में चला। वहां बीजेपी ने महिलाओं को हर साल 12 हजार रुपए देने की घोषणा की। जिसका परिणाम यह निकला कि वहां कांग्रेस सरकार धराशायी हो गई। माना जा रहा है कि नारी-शक्ति-वंदन के चलते ही बीजेपी ने राजस्थान में कांग्रेस का गढ़ ढहा दिया। असल में पीएम नरेंद्र मोदी ने उस वक्त चुनाव प्रचार के दौरान महिलाओं की भूमिका और समाज में उनकी जिम्मेदारियों को खूब उकेंरा था, जो बीजेपी के लिए हितकारी रहा। 

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पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में लाड़लियां बनीं बलवान

पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने महिलाओं का खूब सम्मान किया, जिसके चलते उन्होंने तीसरी बार विजय हासिल की। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने राज्य की सामान्य वर्ग की महिलाओं को 500 और दलित महिलाओं 1000 रुपए देने का वादा किया। उनकी लक्ष्मी-भंडार नाम की इस योजना ने चमत्कार कर उन्हें फिर से सीएम बना दिया। माना जाता है कि महिलाओं के लिए यह योजना देश में पहली बार डायरेक्ट कैश बेनिफिट थी। कर्नाटक में भी पिछले चुनाव में वहां की सरकार ने महिलाओं को आर्थिक मदद के रूप में हर माह 2 हजार रुपए देने की घोषणा की थी। जीत के बाद सिद्धरमैया सरकार ने इस योजना को लागू कर दिया है। उसके बाद तो यह योजना चल निकली और जिस राज्य में भी चुनाव घोषित हुए वहां महिलाओं को आर्थिक रूप से लाभ देने के लिए लगातार वादे किए जाते रहे। 

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वादा किया, लेकिन लागू नहीं किया

कुछ राज्यों में ऐसा भी हुआ है कि जहां चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टी ने इसी प्रकार की घोषणा की। सरकार बन गई, लेकिन मामला 'ठन-ठन-गोपाल' ही बना रहा। पहला मसला पंजाब का है। वहां दो साल पहले हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषण की थी राज्य में उनकी पार्टी की सरकार बनी तो महिलाओं को हर माह 1000 रुपए दिए जाएंगे। उनकी पार्टी प्रचंड बहुमत से जीती, लेकिन पंजाब की महिलाओं को अभी तक लक्ष्मी होने का लाभ नहीं मिला है। इसी तरह का मसला हिमाचल प्रदेश का है। वहां भी पिछले चुनाव में कांग्रेस ने सरकार बनने पर महिलाओं को 'इंदिरागांधी प्यारी बहना' स्कीम के तहत हर माह 1500 रुपए देने की घोषणा की थी। कांग्रेस नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू वहां सरकार बना चुके हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक इस योजना को लागू नहीं किया है। 

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नेताओं के लिए 'लाडली' क्यों है जरूरी

असल में आंकड़े बताते हैं कि लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में जिस भी पार्टी को महिलाओं ने अधिक वोट दिया, वहां उसी की सरकार बन गई। लेटेस्ट उदाहरण हिमाचल प्रदेश है। दूसरे, अब वोट देने के लिए महिलाएं आगे आ रही हैं। राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वोट देने वाले करीब 55 करोड़ लोगों में से करीब 26 करोड़ महिलाएं थी तो वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट देने वाले 62 करोड़ लोगों में से अंदाजन 30 करोड़ महिलाएं थीं। अब लोकसभा का चुनाव आने को हैं। इसे देखते हुए दिल्ली की आप सरकार ने अपने बजट में महिलाओं को हर माह 1000 रुपए देने की घोषणा की है। संभावना है कि इस चुनाव को ध्यान में रखते हुए अन्य दल भी महिलाओं के हित में घोषणाएं करेंगे।

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