क्या गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों में छिपा है गुप्त ब्रह्मांडीय रहस्य, जानें इसकी सही विधि

गायत्री मंत्र सिर्फ एक प्रार्थना नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की रहस्यमयी ऊर्जा को जागृत करने की कुंजी है। क्या इसका नियमित जाप सच में जीवन को बदल सकता है या यह सिर्फ एक आस्था है? आइए जानें...

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Kaushiki
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GAYATRI MANTRA
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गायत्री मंत्र सनातन धर्म का एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। इसे मंत्रों का राजा भी कहा जाता है। यह मंत्र वेदों में कथित है और इसकी रचना महर्षि विश्वामित्र ने की थी। इस मंत्र का पहला उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है, जो लगभग 25 सौ से 35 सौ वर्ष पूर्व लिखा गया था। यह मंत्र केवल एक प्रार्थना ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और चेतना को जागृत करने का माध्यम भी है। 

ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र में ब्रह्मांड का सम्पूर्ण ज्ञान समाहित है। यह मंत्र न केवल मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है, बल्कि शरीर को भी ऊर्जा और सकारात्मकता प्रदान करता है। माना जाता है कि, जो व्यक्ति नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करता है, वह नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त होकर अपने जीवन में सुख-शांति और सफलता प्राप्त कर सकता है।

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गायत्री मंत्र और उसका अर्थ

गायत्री मंत्र संस्कृत भाषा में लिखा गया है और इसमें 24 अक्षर होते हैं। इस मंत्र का उच्चारण ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से किया जाता है। मंत्र इस प्रकार है:

"ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्। भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।"

इसका अर्थ है:
"हे दिव्य मां, आपका शुद्ध प्रकाश हमारे अस्तित्व के सभी स्तरों को प्रकाशित करे। कृपया हमारे हृदय से अज्ञानता और अंधकार को दूर करें और हमें सच्चे ज्ञान की ओर प्रेरित करें।"  इस मंत्र का अर्थ अत्यंत गहरा और आध्यात्मिक है। यह मंत्र ब्रह्मांड की दिव्य ऊर्जा को अपने भीतर समाहित करने का आह्वान करता है।

इस मंत्र के प्रत्येक शब्द का विशेष अर्थ है

  • ॐ - ब्रह्मांड की मूल ध्वनि, ईश्वर का प्रतीक
  • भूर् - भौतिक संसार, पृथ्वी
  • भुवः - ऊर्जा, जीवन शक्ति
  • स्वः - आत्मा, आध्यात्मिक संसार
  • तत् - वह दिव्य शक्ति
  • सवितु: - सूर्य, ऊर्जा का स्रोत
  • वरेण्यं - सर्वोत्तम, पूजा करने योग्य
  • भर्गः - प्रकाश, आत्मज्ञान
  • देवस्य - दिव्यता, ब्रह्मांडीय शक्ति
  • धीमहि - ध्यान करना, चिंतन करना
  • धियो - बुद्धि, ज्ञान
  • यो - जो
  • नः - हमारा
  • प्रचोदयात् - प्रेरित करना, प्रकाशित करना

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इस मंत्र जाप के अद्भुत लाभ

ये मंत्र केवल आध्यात्मिक उत्थान के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक, शारीरिक और सामाजिक जीवन में भी कई लाभ प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करता है, उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। ये हमें

  • मानसिक शांति और एकाग्रता
    इस मंत्र का नियमित जाप करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक तनाव दूर होता है। यह मन को केंद्रित करने और स्मरण शक्ति को बढ़ाने में भी सहायक है।
  • शारीरिक ऊर्जा और रोगों से बचाव
    गायत्री मंत्र का जाप शरीर में ऊर्जा प्रवाह को नियंत्रित करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसकी ध्वनि तरंगें शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जावान बनाती हैं।
  • नकारात्मकता और भय से मुक्ति
    यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है और व्यक्ति को भय, क्रोध, ईर्ष्या और चिंता से मुक्त करता है।
  • पापों से मुक्ति और कर्म सुधार
    यह कहा जाता है कि गायत्री मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति को अपने पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और उसके कर्मों में सुधार आता है।
  • आध्यात्मिक जागृति और आत्मज्ञान
    यह मंत्र व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायता करता है और आत्मज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है। यह ईश्वर से जुड़ने का एक माध्यम है।

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इस मंत्र जाप की विधि

गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। यदि सही विधि से इसका जाप किया जाए, तो माना जाता है कि यह अत्यंत प्रभावशाली हो सकता है। जैसे

  • समय का ध्यान रखें
    गायत्री मंत्र का जाप प्रातः काल सूर्योदय से पहले या संध्या समय किया जाना सबसे शुभ माना जाता है।
  • शुद्धता और ध्यान
    मंत्र का जाप करने से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और शांत स्थान पर बैठें। जाप के दौरान ध्यान भंग न हो।
  • माला का प्रयोग करें
    जाप करते समय तुलसी या रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें। इस मंत्र का 108 बार जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • शुद्ध उच्चारण करें
    मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और सही ढंग से करें। गलत उच्चारण से मंत्र की ऊर्जा प्रभावित हो सकती है।
  • सूर्य के प्रकाश की कल्पना करें
    मंत्र का जाप करते समय सूर्य की ऊर्जा को अपने शरीर और मन में प्रवाहित होते हुए महसूस करें।

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FAQ

Gayatri Mantra का जाप कब और कितनी बार करना चाहिए?
Gayatri Mantra का जाप सुबह और शाम को 108 बार करना सबसे अच्छा माना जाता है।
Gayatri Mantra किसने लिखा था?
ऋषि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की थी, जिसे ऋग्वेद में अंकित किया गया है।
क्या Gayatri Mantra सभी लोग जप सकते हैं?
हां, यह मंत्र सभी के लिए लाभकारी है और इसे किसी भी जाति, धर्म या लिंग के व्यक्ति जप सकते हैं।
Gayatri Mantra का जाप करने से क्या लाभ होते हैं?
यह मंत्र मानसिक शांति, शारीरिक ऊर्जा, आत्मज्ञान और नकारात्मकता से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
Gayatri Mantra का सही उच्चारण क्यों जरूरी है?
सही उच्चारण से इसकी ध्वनि तरंगें प्रभावी होती हैं, जिससे अधिक लाभ मिलता है। गलत उच्चारण से इसका प्रभाव कम हो सकता है।

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