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Latest Religious News:दिवाली की रौनक खत्म होते ही हर किसी को इंतजार होता है भाई-बहन के प्यार भरे त्योहार भाई दूज का। यह पर्व न केवल प्रेम का प्रतीक है, बल्कि इसका संबंध धर्मराज यम और उनकी बहन यमुना से भी जुड़ा है। इसीलिए इसे 'यम द्वितीया' भी कहा जाता है।
ऐसे में हर साल की तरह इस बार भी लोगों में थोड़ी कन्फ्यूजन है कि भाई दूज आज (22 अक्टूबर) है या कल (23 अक्टूबर) है। इसी कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए उज्जैन के जाने-माने आचार्य आनंद भारद्वाज ने वैदिक पंचांग के आधार पर सही तिथि और तिलक लगाने का सबसे शुभ समय बताया। आइए जानें...
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भाई दूज 2025 की सही तिथि क्या है
आचार्य आनंद भारद्वाज के मुताबिक, भाई दूज का पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
द्वितीया तिथि का आरंभ: 22 अक्टूबर 2025, रात 8 बजकर 17 मिनट पर।
द्वितीया तिथि का समापन: 23 अक्टूबर 2025, रात 10 बजकर 47 मिनट पर।
कोई भी हिंदू पर्व उदया तिथि के मुताबिक मनाया जाता है, इसलिए भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार को मनाना ही शास्त्र सम्मत होगा। तो ऐसे में भाई दूज आज नहीं, बल्कि कल है।
तिलक लगाने का सबसे शुभ मुहूर्त
बहनें अपने भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए जो तिलक लगाती हैं, उसका सबसे ज्यादा फल शुभ मुहूर्त में ही मिलता है। 23 अक्टूबर को तिलक लगाने का सबसे सही समय है:
भाई को टीका करने का मुहूर्त
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इस समय बहनें पूरे विधि-विधान से भाई को तिलक कर सकती हैं, आरती उतार सकती हैं और उनके कल्याण की कामना करते हुए पूजा-अर्चना कर सकती हैं।
भाई दूज पूजा विधि
बहनें सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा की थाली तैयार करें, जिसमें चावल, रोली/कुमकुम, मिठाई, नारियल, सुपारी, और दीपक रखें।
भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन पर बिठाएं।
बहन सबसे पहले भाई के माथे पर रोली/कुमकुम का तिलक लगाएं।
तिलक के ऊपर चावल (अक्षत) लगाएं।
दीपक जलाकर भाई की आरती उतारें और उनकी लंबी उम्र की कामना करें।
भाई को मिठाई खिलाएं और सूखा नारियल (गोला) भेंट करें।
भाई अपनी सामर्थ्य अनुसार बहन को प्रेम स्वरूप उपहार या दक्षिणा दें।
यम और यमुना की भाई दूज कथा पढ़ें या सुनें।
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क्यों मनाया जाता है भाई दूज
भाई दूज (bhai dooj) का त्योहार भाई और बहन के रिश्ते की मजबूती और प्यार का प्रतीक है। इसके पीछे एक पौराणिक कहानी है:
माना जाता है कि मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्यार करते थे, लेकिन अपने काम में व्यस्तता के कारण उनसे मिलने नहीं जा पाते थे।
एक दिन जब कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे, तो यमुना ने अपने भाई का खूब सत्कार किया। उन्हें प्रेम से भोजन कराया और माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारी। जाते समय यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा।
यमुना ने मांगा कि इस दिन हर साल आप मेरे घर आओ और जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाए, उसे अकाल मृत्यु का भय न हो। यमराज ने यह वरदान दिया और तभी से इस तिथि को यम द्वितीया और भाई दूज के रूप में मनाया जाने लगा।
इस दिन तिलक करवाने वाले भाई को अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता और बहन के सौभाग्य की वृद्धि होती है। तिलक करने के बाद बहनें भाई को प्रेम स्वरूप नारियल का गोला (सूखा नारियल) उपहार में देती हैं।
पौराणिक कथा के मुताबिक यमुना ने भी अपने भाई यमराज को नारियल ही भेंट किया था। यह पर्व हमें सिखाता है कि रिश्ते सिर्फ खून के नहीं होते, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव से भी बनते हैं।
सनातन धर्म में नारियल को 'श्रीफल' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'शुभ और पवित्र फल'। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, नारियल को बहुत शुद्ध माना जाता है और इसे भगवान गणेश व माता लक्ष्मी को भी अर्पित किया जाता है।
भाई दूज पर बहन जब भाई को नारियल देती है, तो इसका मतलब है कि वह उसके जीवन में पवित्रता और शुभता का वास चाहती है। इसे रक्षा का प्रतीक भी माना जाता है, जो भाई को सभी संकटों से बचाता है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | Hindu News
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