लक्ष्मी पूजा में कौड़ी और कमलगट्टा का क्यों होता है उपयोग ? जानें इसके पीछे का गहरा रहस्य

सनातन धर्म और ज्योतिष में, कमलगट्टा को मां लक्ष्मी का प्रिय आसन होने के कारण पवित्र माना जाता है। पीली कौड़ी को मां लक्ष्मी की बहन माना जाता है। यह पुराने समय की मुद्रा होने के कारण आर्थिक स्थिरता को दर्शाती है।

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Kaushiki
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Latest Religious News: हमारे सनातन धर्म और ज्योतिष में कुछ ऐसी खास चीजें हैं, जिन्हें हम साक्षात देवी-देवताओं का रूप मानते हैं। जब बात धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की आती है तो उनकी पूजा में कुछ विशेष चीजों का होना जरूरी माना गया है। इनमें से दो वस्तुएं सबसे खास हैं कौड़ी और कमलगट्टा।

दिवाली या धनतेरस की रात को हर घर में माता लक्ष्मी को बुलाया जाता है। ये दोनों चीजें धन और समृद्धि को अपनी ओर खींचने वाले चुम्बक की तरह काम करती हैं।

आइए जानें सदियों से चली आ रही इस धार्मिक परंपरा के पीछे आखिर क्या गहरा रहस्य छिपा है। मां लक्ष्मी की पूजा में इन्हें शामिल करना इतना शुभ क्यों माना जाता है। इस बार दिवाली 20 अक्टूबर को है तो ऐसे में आइए जानें कौड़ी और कमलगट्टा का महत्व...

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कमलगट्टा: महालक्ष्मी का आसन

कमलगट्टा दरअसल कमल का बीज होता है। कमल का फूल देवी लक्ष्मी का प्रिय आसन है। शास्त्रों में कहा गया है कि मां लक्ष्मी हमेशा कमल पर ही विराजमान होती हैं। इसलिए उन्हें 'कमलवासिनी' भी कहा जाता है।

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कमलगट्टा का महत्व

कमलगट्टा (कमल के बीज) को माता लक्ष्मी की पूजा में बहुत पवित्र माना गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है स्थिरता और शुद्धता, क्योंकि कमल कीचड़ में उगकर भी हमेशा साफ रहता है। मान्यता है कि कमलगट्टा मां लक्ष्मी को घर की ओर आकर्षित करता है।

यदि पूजा में कमलगट्टे की माला से जाप किया जाए या इन्हें अर्पित किया जाए, तो देवी की कृपा तुरंत मिलती है। कहते हैं कि यह दरिद्रता नाशक होता है यानी गरीबी को दूर करता है। मान्यता के मुताबिक दिवाली पर शुद्ध और साबुत कमलगट्टे (जैसे 11 या 108) मां के चरणों में अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

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कौड़ी: खुशहाली की निशानी

आज भले ही हम रुपए-पैसों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन पहले कौड़ी को ही मुद्रा के रूप में उपयोग किया जाता था। इसका सीधा संबंध व्यापार, धन-संपत्ति और संपन्नता से रहा है।

कौड़ी का धार्मिक कारण-

  • समुद्र मंथन का वरदान: 

    धार्मिक कथाओं के मुताबिक, मां लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। कौड़ी भी समुद्र से ही आती है, इसलिए इसे मां लक्ष्मी की बहन माना जाता है। कौड़ी में स्वयं देवी लक्ष्मी का वास होता है।

  • आर्थिक स्थिरता: 

    कौड़ी का इस्तेमाल धन के लेन-देन में होता था, इसलिए यह आर्थिक स्थिरता का प्रतीक है। दिवाली पर इसे पूजा में रखने का अर्थ है कि आप मां लक्ष्मी से आपके धन को स्थिर और वृद्धिमान बनाने का आग्रह कर रहे हैं।

  • पीली कौड़ी: 

    विशेष रूप से पीली कौड़ी को सबसे शुभ माना जाता है। दिवाली की पूजा के बाद इन पीली कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या धन रखने के स्थान पर रखना बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से तिजोरी कभी खाली नहीं होती और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद सदैव बना रहता है।

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लक्ष्मी पूजा की सही विधि

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, दिवाली पर इन दोनों सामग्री का इस्तेमाल एक विशेष तरीके से किया जाता है:

  • कमलगट्टा: 

    मां लक्ष्मी के सामने एक नया लाल कपड़ा बिछाएं। उस पर कमलगट्टे की माला रखें या ग्यारह कमलगट्टे चढ़ाएं। पूजा के बाद इन कमलगट्टों को वापस न हटाएं, बल्कि मंदिर में ही रहने दें।

  • कौड़ी: 

    सात या ग्यारह पीली कौड़ियों को हल्दी लगाकर, मां लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें। अगले दिन पूजा संपन्न होने के बाद, इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या व्यापार स्थल पर रख दें।

दिवाली 2025 में इन विधियों से जब आप कौड़ी और कमलगट्टा का उपयोग करते हैं, तो यह सीधे तौर पर धन की देवी के प्रति आपकी अटूट श्रद्धा और धन को आकर्षित करने की आपकी इच्छा को दर्शाता है।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | Hindu Newsकब है दिवाली n 

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