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Latest Religious News: मार्गशीर्ष माह की शुरुआत हो चुकी है और यह कोई साधारण महीना नहीं है। यह सीधे देवकीनंदन श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। स्वयं प्रभु ने गीता में इसे अपनी विभूति बताया है। पुराणों और गीता में स्वयं श्रीहरि ने कहा है कि "महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं।" यह माह आपकी भक्ति, पूजा और जप के फल को कई गुना बढ़ा देता है।
इस पावन अवसर पर पापों का नाश होता है और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलती है। मार्गशीर्ष महीना में की गई भक्ति से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि धन-वैभव की देवी माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं।
इस परिचय के बाद, आइए जानें कि आपको अपने प्यारे कृष्ण जी को किन चीजों से स्नान कराना चाहिए। भक्ति का पूरा लाभ पाने के लिए इस पूरे महीने आपको क्या करना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए। यह महीना आपकी आध्यात्मिक उन्नति का सबसे सुनहरा अवसर है।
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देवकीनंदन को किससे कराएं स्नान
मार्गशीर्ष मास (मार्गशीर्ष मास का महत्व) में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष विधान है। अगर आप चाहते हैं कि आपके बड़े-बड़े पाप धुल जाएं और भगवान आपकी हर इच्छा पूरी करें, तो इन चीजों से स्नान जरूर कराएं:
गाय का दूध:
शास्त्रों के मुताबिक, खासकर द्वादशी या पूर्णिमा तिथि (मार्गशीर्ष पूर्णिमा) को भगवान कृष्ण को गाय के दूध से स्नान कराना सबसे उत्तम माना जाता है। इससे भगवान अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं और आपके सभी पापों का नाश कर देते हैं।
शहद (मधु) और शक्कर:
यह भी कहा गया है कि जो भक्त मार्गशीर्ष मास में भगवान को शहद और शक्कर से स्नान कराता है या उन्हें अर्पित करता है, वह श्री कृष्ण को बहुत प्रिय होता है।
जल से स्नान:
भगवान कृष्ण स्वयं कहते हैं कि जो मनुष्य प्रातःकाल उठकर मार्गशीर्ष में विधिपूर्वक स्नान करता है, उसके लिए वह हमेशा उपस्थित रहते हैं।
गोपीचंदन का तिलक:
स्नान के बाद भगवान को गोपीचंदन लगाना भी बहुत शुभ होता है। मान्यता है कि जो भक्त ऐसा करते हैं, उन्हें अपने सत्कर्मों का फल कई गुना अधिक मिलता है और माता लक्ष्मी उनके घर में हमेशा निवास करती हैं। गोपीचंदन लगाने से किसी भी प्रकार की पीड़ा या कष्ट नहीं होता है।
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मार्गशीर्ष मास में क्या करें और क्या न करें
यह महीना जप, तप और दान के लिए सर्वोत्तम है। अपनी भक्ति को सही दिशा देने के लिए इन बातों का ध्यान रखें:
क्या करें
प्रातःकाल स्नान:
रोज सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
तुलसी पूजा:
इस महीने में तुलसी माता की पूजा का विशेष विधान है। रोज़ तुलसी को जल दें और दीपक जलाएं।
विष्णु सहस्रनाम पाठ:
भगवान विष्णु के हजार नामों (विष्णु सहस्रनाम) का पाठ और कीर्तन करना बहुत अधिक फलदायी माना गया है।
व्रत और साधना:
इस महीने में आने वाली एकादशी (उत्पन्ना और मोक्षदा) तथा पूर्णिमा का व्रत अवश्य करें।
दान:
अपनी क्षमतानुसार अन्न, वस्त्र, या गाय का दान करना बहुत पुण्यकारी होता है।
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क्या न करें
तेल मालिश:
इस महीने में सिर में तेल मालिश करने से बचना चाहिए।
जीरा और दाल:
कुछ मान्यताओं के मुताबिक, मार्गशीर्ष में जीरा, उड़द और मसूर जैसी दालों का सेवन वर्जित माना जाता है।
अपमान:
किसी का अपमान न करें और झूठ बोलने से बचें। मन को शांत और सात्विक बनाए रखें।
यह महीना केवल पूजा-पाठ का नहीं, बल्कि स्वयं को भगवान श्री कृष्ण से जोड़ने का सबसे सुनहरा अवसर है!
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