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सनातन धर्म में माघ महीने की पूर्णिमा तिथि को सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। इसे माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की विशेष पूजा की जाती है। धर्मग्रंथों के मुताबिक, इस दिन पवित्र नदियों, विशेष रूप से गंगा और यमुना में स्नान करना मोक्ष प्राप्ति और पापों से मुक्ति के लिए अत्यंत शुभ होता है।
इस दिन दान-पुण्य के कार्य करने से साधक को कई गुना अधिक पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस बार यह पावन तिथि 12 फरवरी को पड़ी है। इस वर्ष माघ पूर्णिमा पर सौभाग्य और शोभन योग का शुभ संयोग बन रहा है, जिससे इस दिन के धार्मिक कार्यों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
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माघ पूर्णिमा की तिथि और शुभ योग
वैद्रिक पंचांग के मुताबिक, माघ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 फरवरी को शाम 6 बजकर 55 मिनट पर होगी और इसका समापन 12 फरवरी को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर होगा। तो ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक, माघ पूर्णिमा 12 फरवरी को मनाई जाएगी। इस बार इस दिन सौभाग्य और शोभन योग का विशेष संयोग बन रहा है। यह शुभ योग स्नान-दान के कार्यों के महत्व को और अधिक बढ़ा देता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ऐसे शुभ संयोगों में किया गया पुण्य कर्म साधक को कई गुना अधिक लाभ प्रदान करता है।
स्नान-दान का धार्मिक महत्व
माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा या अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। गंगा स्नान से साधक को आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन अन्न, धन, तिल, गुड़ और घी का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही जरूरतमंदों को भोजन कराना और पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने का विशेष महत्व होता है।
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मोक्ष प्राप्ति और पुण्य लाभ की मान्यता
शास्त्रों के मुताबिक, माघ पूर्णिमा पर स्नान और दान करने से साधक को जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि, इस दिन किए गए दान-पुण्य के कार्य से साधक को मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। ऐसा माना जाता है कि, जो लोग ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करते हैं, उन्हें मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन किए गए पुण्य कर्म कई गुना अधिक फलदायी होते हैं।
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पिंडदान का महत्व
शास्त्रों के मुताबिक, माघ पूर्णिमा पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा है। इस दिन श्राद्ध कर्म करके पितरों को तृप्त किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है। इसके अतिरिक्त, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना भी अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किए गए दान और सेवा कार्यों से पितरों को मोक्ष मिलता है और साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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