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नवरात्रि 2025: सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह नौ दिनों का समय मां दुर्गा की आराधना और उनकी शक्तियों का जश्न मनाने के लिए होता है।
साल में कुल चार नवरात्रि आती हैं, जिनमें से दो को गुप्त नवरात्रि और बाकी दो को चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। हर नवरात्रि का अपना एक विशेष महत्व और पूजा विधि होती है।
इस साल शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू हो गई है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि ये चारों नवरात्रियां एक दूसरे से अलग कैसे हैं? आइए आज हम शारदीय नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि के बीच के अंतरों को विस्तार से समझेंगे...
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हिंदू नववर्ष का पावन पर्व चैत्र नवरात्रि
हिंदू पंचांग के मुताबिक, चैत्र नवरात्रि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। यह नवरात्रि हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
समय: यह नवरात्रि मार्च या अप्रैल के महीने में आती है, जब वसंत ऋतु का समापन होता है और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है।
पूजा विधि: चैत्र नवरात्रि में भी कलश स्थापना करके मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
धार्मिक महत्व: इस नवरात्रि (मां दुर्गा के 9 रूप) की नवमी तिथि को राम नवमी मनाई जाती है, क्योंकि त्रेतायुग में इसी दिन प्रभु श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। यही कारण है कि चैत्र नवरात्रि को श्री राम जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
विशेषताएं: इस दौरान दुर्गा पूजा के बड़े-बड़े पंडाल नहीं सजाए जाते और न ही रामलीला का मंचन होता है। यह पर्व मुख्य रूप से व्यक्तिगत साधना और घर पर पूजा-पाठ पर केंद्रित होता है।
मां दुर्गा का पृथ्वी पर आगमन शारदीय नवरात्रि
शारदीय नवरात्रि सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से मनाई जाने वाली नवरात्रि है। यह पर्व पितृ पक्ष के समापन के बाद शुरू होता है और इसे त्योहारों के आगमन का प्रतीक माना जाता है।
समय: हिंदू पंचांग के मुताबिक, यह नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर दशमी तक चलती है। यह शरद ऋतु में आती है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।
पूजा विधि: इस नवरात्रि में भी कलश स्थापना की जाती है और माँ दुर्गा के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा होती है।
धार्मिक महत्व: मान्यताओं के मुताबिक, मां दुर्गा कैलाश से धरती पर अपने मायके आती हैं। उनके साथ उनके पुत्र कार्तिकेय, गणेश और शिव गण भी होते हैं। इस दौरान दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन होता है, खासकर पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में।
विशेषताएं: इस नवरात्रि की दशमी को विजयादशमी और दशहरा का उत्सव मनाया जाता है, जिसमें रावण के पुतले का दहन होता है। इस समय रामलीला का मंचन भी होता है जो पूरे देश में बहुत उत्साह के साथ देखा जाता है।
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तंत्र-मंत्र और सिद्धियों का पर्व गुप्त नवरात्रि
हिंदू पंचांग के मुताबिक, साल में दो बार आने वाली गुप्त नवरात्रि का महत्व आम लोगों में कम प्रचलित है लेकिन तंत्र-मंत्र और सिद्धि साधना करने वाले साधकों के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है।
समय: पंचांग के मुताबिक, पहली गुप्त नवरात्रि माघ मास में (जनवरी-फरवरी) और दूसरी आषाढ़ मास में (जून-जुलाई) आती है।
पूजा विधि: इन नवरात्रियों में कलश स्थापना तो होती है, लेकिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के बजाय 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
धार्मिक महत्व: ये नवरात्रि गुप्त साधनाओं, तंत्र-मंत्र और विशेष सिद्धियों की प्राप्ति के लिए समर्पित होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान की गई पूजा का फल गुप्त रूप से मिलता है।
विशेषताएं: 10 महाविद्याओं में काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला शामिल हैं। इनकी कृपा से व्यक्ति को सिद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तीनों नवरात्रियों के बीच मुख्य अंतर
चैत्र नवरात्रि हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा के पृथ्वी पर आगमन और दुर्गा पूजा का पर्व है, जबकि गुप्त नवरात्रि तंत्र-मंत्र और सिद्धियों की साधना के लिए है।
देवी स्वरूप: चैत्र और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है, जबकि गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की आराधना की जाती है।
समय और ऋतु: चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु के अंत में आती है, शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु में और गुप्त नवरात्रियां माघ (सर्दी) और आषाढ़ (गर्मी) के महीने में आती हैं।
सार्वजनिक उत्सव: शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजा और दशहरा जैसे बड़े सार्वजनिक उत्सव मनाए जाते हैं, जबकि चैत्र नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि में ऐसे बड़े आयोजन नहीं होते।
साल में आने वाली ये चारों नवरात्रियां भले ही अलग-अलग नामों से जानी जाती हों और इनके उद्देश्य भिन्न हों, लेकिन इन सभी का मूल सार एक ही है - देवी शक्ति की पूजा और आराधना।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
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