मध्य प्रदेश से संत रविदास जी का है गहरा नाता, इसीलिए तैयार हो रहा 101 करोड़ का प्रोजेक्ट

संत रविदास का जीवन मुख्य रूप से वाराणसी (उत्तर प्रदेश) से जुड़ा रहा है, उनके अनुयायी पूरे भारत में फैले हुए हैं, जिनमें मध्य प्रदेश भी शामिल है। उनकी शिक्षाओं, अनुयायियों, मंदिरों और सरकारी पहलों में स्पष्ट रूप से दिखता है।

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Kaushiki
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SANT RAVIDAS JAYANTI
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Sant Ravidas Jayanti: संत रविदास भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे, जिनकी शिक्षाओं का प्रभाव पूरे उत्तर भारत में देखा जाता है, जिसमें मध्य प्रदेश भी शामिल है। सामाजिक समानता, भक्ति और मानवता के उनके संदेश ने इस क्षेत्र में गहरी जड़ें जमा लीं। मध्य प्रदेश के ग्वालियर, सागर, दमोह, जबलपुर, सीहोर और उज्जैन जैसे शहरों में उनके अनुयायियों की बड़ी संख्या है।

यहां उनके सम्मान में मंदिर और आश्रम स्थापित किए गए हैं, जहां उनकी शिक्षाओं का प्रचार किया जाता है। हर साल उनकी जयंती भव्य रूप से मनाई जाती है, जो उनके प्रति लोगों की गहरी श्रद्धा को दर्शाती है। उनके विचारों और शिक्षाओं का इस क्षेत्र पर विशेष प्रभाव पड़ा है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं…

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संत रविदास की पृष्ठभूमि और मध्य प्रदेश

संत रविदास (1377-1528 ई.) भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे। वे उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जन्मे थे, लेकिन उनकी शिक्षाओं का प्रभाव पूरे उत्तर भारत में फैला, जिसमें मध्य प्रदेश भी शामिल है। मध्य प्रदेश में उन्हें विशेष रूप से दलित समुदाय और भक्ति परंपरा के अनुयायियों द्वारा सम्मानित किया जाता है।

मध्य प्रदेश में रविदास की लोकप्रियता

  • ग्वालियर, सागर, दमोह, और जबलपुर में प्रभाव: इन क्षेत्रों में संत रविदास के अनुयायियों की बड़ी संख्या है। यहां उनके मंदिर और आश्रम स्थापित हैं, जहां उनकी शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार किया जाता है।
  • सीहोर और उज्जैन में भक्तों की उपस्थिति: संत रविदास के विचारों को अपनाने वाले अनुयायियों का बड़ा समूह इन शहरों में रहता है। यहां हर साल उनके जयंती उत्सव आयोजित किए जाते हैं।
  • सागर और दमोह में संत रविदास के अनुयायी: इन जिलों में संत रविदास के उपदेशों को मानने वाले समाजों की महत्वपूर्ण संख्या है।

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मध्य प्रदेश सरकार की पहल

मध्य प्रदेश सरकार ने रविदास जी के सम्मान में कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं…

  • संत रविदास महाकुंभ: 2023 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने संत रविदास महाकुंभ का आयोजन किया, जिसमें लाखों अनुयायियों ने भाग लिया।
  • संत रविदास जयंती पर सार्वजनिक अवकाश: मध्य प्रदेश सरकार संत रविदास जयंती को विशेष रूप से मनाती है, और कई जगहों पर इस दिन अवकाश घोषित किया जाता है।
  • संत रविदास मंदिरों का जीर्णोद्धार: राज्य सरकार ने विभिन्न स्थानों पर संत रविदास से जुड़े मंदिरों और सामाजिक स्थलों के पुनर्निर्माण और विस्तार की योजनाएँ बनाई हैं।

मध्य प्रदेश में रविदास जी के प्रमुख स्थल

  • संत रविदास मंदिर, भोपाल: यह मंदिर संत रविदास के अनुयायियों के लिए एक बड़ा केंद्र है, जहां उनकी शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार किया जाता है।
  • ग्वालियर का रविदास मंदिर: यह मंदिर ग्वालियर के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है, जहाँ संत रविदास के विचारों पर आधारित प्रवचन होते हैं।
  • उज्जैन में संत रविदास से जुड़े स्थान: यहां संत रविदास के अनुयायियों की अच्छी संख्या है, और यहां उनका भव्य जयंती समारोह मनाया जाता है।

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संत रविदास की शिक्षाओं का मध्य प्रदेश पर प्रभाव

  • सामाजिक समानता: संत रविदास जातिवाद के विरोधी थे और समाज में समानता की वकालत करते थे। उनकी यह सोच मध्य प्रदेश में भी व्यापक रूप से स्वीकृत हुई।
  • भक्ति आंदोलन का प्रभाव: संत रविदास की भक्ति परंपरा ने मध्य प्रदेश में भक्तिकालीन संतों पर गहरा प्रभाव डाला।
  • दलित जागरूकता: संत रविदास को दलित चेतना के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, और मध्य प्रदेश में उनके विचारों के आधार पर सामाजिक सुधार आंदोलनों को बल मिला।

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मध्य प्रदेश के सागर जिले में 100 करोड़ की लागत से भव्य संत रविदास मंदिर का निर्माण

सागर में बन रहा भव्य संत रविदास मंदिर 

मध्य प्रदेश के सागर जिले के बड़तूमा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और भव्य रविदास मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि संस्कृति, अध्यात्म और सामाजिक संवाद का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस मंदिर की आधारशिला रखी गई है, जो 101 करोड़ रुपये की लागत से 11.21 एकड़ भूमि में निर्मित होगा।

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मंदिर की वास्तुकला और निर्माण

मंदिर परिसर का मुख्य आकर्षण 5 हजार 5 सौ वर्गफीट में बनने वाला भव्य मंदिर होगा, जो पारंपरिक नागर शैली में निर्मित किया जाएगा। इस मंदिर में गर्भगृह, अंतराल मंडप तथा अर्धमंडप का निर्माण किया जाएगा, जो इसकी आध्यात्मिकता और सुंदरता को और बढ़ाएंगे। यह स्थान केवल पूजा-अर्चना के लिए नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं की जानकारी देने वाला केंद्र भी होगा।

कला संग्रहालय और जलकुंड

मंदिर परिसर में एक आधुनिक कला संग्रहालय भी निर्मित किया जाएगा, जिसमें रविदास के जीवन, उनकी शिक्षाओं, समाज के प्रति उनके योगदान और भक्ति आंदोलन में उनकी भूमिका को प्रदर्शित किया जाएगा। इस संग्रहालय के प्रवेश द्वार के सामने एक विशाल जलकुंड भी निर्मित किया जाएगा, जिससे परिसर की सुंदरता में चार चांद लगेंगे। यह जलकुंड न केवल सौंदर्य बढ़ाने का कार्य करेगा, बल्कि अध्यात्म और शांति का अनुभव भी प्रदान करेगा।

पुस्तकालय और संगत सभाखंड

मंदिर परिसर में 10 हजार वर्गफीट में एक विशाल पुस्तकालय भी बनाया जाएगा, जिसमें संत रविदास के जीवन और कार्यों पर आधारित पुस्तकों का संग्रह होगा। इसके अलावा, अन्य धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथ भी यहां उपलब्ध रहेंगे। साथ ही, संगत सभाखंड का निर्माण भी किया जाएगा, जिसका आकार फूलों की पंखुड़ियों जैसा होगा। यह सभाखंड व्याख्यान, कार्यशाला और संगोष्ठियों का प्रमुख स्थल बनेगा, जहां धार्मिक और आध्यात्मिक चर्चाएं आयोजित की जाएंगी।

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भक्त निवास की सुविधा

परिसर में 12 हजार 5 सौ वर्गफीट में भक्त निवास का निर्माण भी किया जाएगा, जिसमें संत रविदास के अनुयायियों, विद्वानों और यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था होगी। इस भक्त निवास में 15 वातानुकूलित कमरे और 50 लोगों के लिए छात्रावास की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे श्रद्धालु यहां आरामदायक तरीके से ठहर सकें।

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रविदास जी के विचार और समाज पर प्रभाव

रविदास जी सामाजिक समानता, प्रेम और आध्यात्मिक जागरूकता के प्रतीक थे। उन्होंने जाति-व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाई और भक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके विचार आज भी समाज को एकता और समरसता का संदेश देते हैं। इस मंदिर का निर्माण उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाने और नई पीढ़ी को प्रेरित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

संस्कृति और अध्यात्म का अनूठा संगम

रविदास मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल न होकर, एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल संत रविदास के विचारों और शिक्षाओं से परिचित होंगे, बल्कि भारतीय संस्कृति, भक्ति आंदोलन और आध्यात्मिकता की गहराइयों को भी महसूस कर सकेंगे।

यह मंदिर रविदास की शिक्षाओं और मूल्यों को जीवंत रखने का एक प्रयास है, जिससे समाज में समानता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया जा सके। यह परियोजना मध्य प्रदेश को एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सागर के बड़तूमा से इनका क्या है रिश्ता

रविदास का सागर के बड़तूमा से कोई ऐतिहासिक या प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। हालांकि, मध्य प्रदेश सरकार ने संत रविदास के सम्मान में सागर के बड़तूमा में एक भव्य मंदिर और सांस्कृतिक परिसर बनाने की योजना बनाई है। यह मंदिर संत रविदास की शिक्षाओं और उनके सामाजिक सुधारों को समर्पित होगा, जिससे उनके विचारों का प्रचार-प्रसार हो सके।

क्यों चुना गया बड़तूमा

  • सामरिक महत्व – बड़तूमा, सागर जिले में एक उपयुक्त स्थान है, जहां पर्याप्त भूमि उपलब्ध थी।
  • सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकास – यह स्थान धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा, जिससे संत रविदास के अनुयायियों और अन्य श्रद्धालुओं को एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल प्राप्त होगा।
  • राज्य सरकार की पहल – मध्य प्रदेश सरकार ने संत रविदास की शिक्षाओं को व्यापक रूप से प्रचारित करने और उनके अनुयायियों को एक संगठित केंद्र देने के उद्देश्य से इस स्थान को चुना है।

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