शनिश्चरी अमावस्या पर शनि मंदिर में जूते-चप्पल छोड़ने की परंपरा, जानें क्या है मान्यता

आज शनिश्चरी अमावस्या के दिन उज्जैन के त्रिवेणी घाट पर जूते-चप्पल और कपड़े छोड़कर शनि देव की पूजा करते हैं। इस दिन के साथ विशेष दान और पूजन से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।

author-image
Kaushiki
New Update
शनि नवग्रह मंदिर
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

शनिश्चरी अमावस्या: आज शनिश्चरी अमावस्या है। ऐसे में उज्जैन के त्रिवेणी घाट पर स्थित नवग्रह शनि मंदिर में शनिश्चरी अमावस्या के दिन एक खास परंपरा है, जो कई वर्षों से चली आ रही है। इस दिन भक्तों का तांता लगता है और वे शनि देव की पूजा अर्चना के साथ-साथ कुछ खास काम भी करते हैं। इस परंपरा के मुताबिक, श्रद्धालु स्नान करने के बाद जूते-चप्पल और कपड़े छोड़ जाते हैं, जिन्हें पनौती के रूप में छोड़ा जाता है।

ये खबर भी पढ़ें... शनि अमावस्या 2025: 2 हजार साल बाद बन रहा ऐसा दुर्लभ संयोग, ये एक उपाय कर देगा मंगल ही मंगल

घाट पर भक्तों का तांता

चैत्र माह की शनिश्चरी अमावस्या और नवरात्रि के आरंभ के चलते, श्रद्धालु घाटों पर डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। मध्यप्रदेश के विभिन्न घाटों पर देर रात से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगनी शुरू हो गई है और स्नान का सिलसिला शनिवार दोपहर तक जारी रहेगा।

उज्जैन में शुक्रवार रात 12 बजे से ही लोग त्रिवेणी घाट और शिप्रा तट पर पहुंचने लगे थे। स्नान के बाद श्रद्धालु शनि देव और नवग्रह का पूजन कर रहे हैं। अनुमान है कि लगभग तीन लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए श्री शनि नवग्रह मंदिर पहुंचेंगे। 

जिला प्रशासन शक्त

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए, जिला प्रशासन ने शनि मंदिर, त्रिवेणी घाट और शिप्रा तट पर स्नान और सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। नर्मदापुरम में सुबह 5 बजे से ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का सिलसिला शुरू हो गया था। शहर के सेठानी घाट, विवेकानंद घाट, गोंदरी घाट, पोस्ट ऑफिस घाट, पर्यटन घाट, कोरी घाट और बांद्राभान घाट पर हजारों श्रद्धालु मौजूद हैं, जहां वे पूजन, पाठ और दान कर रहे हैं। मान्यताओं के मुताबिक, इसे भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है, जिसके चलते तंत्र साधक भी घाटों पर पूजन करने आए हैं।

ये खबर भी पढ़ें...शनि गोचर 2025 : न्याय के देवता शनि देव का मीन राशि में प्रवेश, जानें क्या होंगे इसके प्रभाव

जूते-चप्पल क्यों छोड़े जाते हैं

मान्यताओं के मुताबिक, शनि अमावस्या पर भक्त शिप्रा नदी के त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं, जो पुण्य और मोक्ष देने वाली मान्यता रखता है। विशेष रूप से, इस दिन जूते, चप्पल और कपड़े छोड़ने की परंपरा का संबंध शनि देव की साढ़े साती और ढैय्या से है। मान्यता है कि जूते, चप्पल और कपड़े छोड़ने से व्यक्ति को शनि की साढ़े साती और ढैय्या का असर कम होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

पुजारी बताते हैं कि पनौती को छोड़कर जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। भक्त इन वस्त्रों और जूतों को छोड़ कर शनि देव की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में बदलाव की उम्मीद रखते हैं।

शनि अमावस्या पर विशेष दान

ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, शनिश्चरी अमावस्या पर लोहा, तिल, नमक, काला कपड़ा और तेल का दान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, भक्तों को गण गौरी पूजा का महत्व भी बताया गया है, जो विशेष रूप से 1 अप्रैल 2025 को सुबह 9:28 बजे के बाद की जाएगी। यह समय शनि देव की कृपा पाने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्तम माना जाता है।

ये खबर भी पढ़ें...Grah Gochar: 30 साल बाद शनि और राहु की युति, इन राशियों को मिलेगी अपार सफलता

शनि अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़

शनि अमावस्या के दिन श्रद्धालु पहले से ही शिप्रा नदी के किनारे भजन-कीर्तन करते हुए पहुंच जाते हैं। इस दिन की महत्वता को देखते हुए प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को संभालने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। लाखों श्रद्धालु शनि देव की पूजा, स्नान और दान करने के बाद सुख-समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।

ये खबर भी पढ़ें...400 साल पुराने इंदौर के इस राधा कृष्ण मंदिर में मूर्तियों की नहीं वस्त्रों की होती है पूजा

शनिश्चरी अमावस्या शनि का राशि परिवर्तन शनि ग्रह मध्यप्रदेश मध्यप्रदेश न्यूज MP News Ujjain Madhya Pradesh धर्म ज्योतिष न्यूज