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हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा में अभिषेक का विशेष महत्व है। मान्यता है कि, शिवलिंग पर अलग-अलग पवित्र सामग्रियों से अभिषेक करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। अभिषेक का अर्थ है, जल या अन्य पवित्र सामग्री से स्नान कराना।
प्रत्येक सामग्री का अपना धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, जो भक्तों को सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करता है। शिवपुराण में भी इस विधि को अत्यंत फलदायी बताया गया है। इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। तो आइए, जानते हैं शिवजी के अभिषेक में उपयोग की जाने वाली इन सामग्रियों के महत्व के बारे में जिसका जिक्र शिवपुराण में किया गया है।
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गंगाजल से अभिषेक
गंगा नदी को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र नदी माना गया है। माना जाता है कि, शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाने से आत्मा की शुद्धि होती है और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। यह भी मान्यता है कि गंगा स्वयं भगवान शिव की जटाओं में निवास करती हैं, इसलिए गंगाजल से अभिषेक करना विशेष महत्व रखता है।
दूध से अभिषेक
दूध को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि, शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से घर में शांति, सुख और समृद्धि का वातावरण बना रहता है। यह मानसिक शांति और तनाव दूर करने में भी सहायक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, दूध चढ़ाने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
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दही से अभिषेक
दही से शिवलिंग का अभिषेक करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान होता है। यह अभिषेक विशेष रूप से शीतलता प्रदान करने के लिए किया जाता है। भक्तों का विश्वास है कि, दही शिवजी को शांति और आनंद प्रदान करता है, जिससे वे अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
शहद से अभिषेक
शहद से अभिषेक करने का अर्थ है जीवन में मिठास और समृद्धि लाना। माना जाता है कि, यह शुभ सामग्री भगवान शिव को प्रिय मानी जाती है और इसे चढ़ाने से पारिवारिक संबंधों में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है। शहद के उपयोग से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य और धन-वैभव की वृद्धि होती है।
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घी से अभिषेक
घी को ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि, शिवलिंग पर घी चढ़ाने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है। यह अभिषेक विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जो शारीरिक और मानसिक कमजोरी का अनुभव कर रहे होते हैं।
चीनी या शक्कर से अभिषेक
चीनी या शक्कर से अभिषेक करने का अर्थ है अपने जीवन में मिठास और खुशियों को आमंत्रित करना। धार्मिक दृष्टिकोण से यह सामग्री सुख-समृद्धि और आनंद का प्रतीक है। इसे चढ़ाने से परिवार में आपसी संबंध मधुर बने रहते हैं।
सुगंधित जल या इत्र से अभिषेक
सुगंधित जल या इत्र से अभिषेक करने का उद्देश्य भगवान शिव को शुद्ध और सुगंधित माहौल प्रदान करना है। माना जाता है कि, यह अभिषेक भक्तों के जीवन में आकर्षण, सौंदर्य और मनोबल बढ़ाने का कार्य करता है।
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बिल्वपत्र और अन्य पत्तों का उपयोग
बिल्वपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होते हैं। माना जाता है कि, अभिषेक के बाद शिवलिंग पर बिल्वपत्र अर्पित करने से भक्तों को प्राकृतिक संतुलन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही, यह पत्ते स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ावा देने वाले माने जाते हैं।
शिव अभिषेक की विधि और लाभ
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, शिव अभिषेक करते समय भक्तजन मंत्रों का जाप करते हैं और चार प्रहर की पूजा करते हैं। प्रत्येक प्रहर में अलग-अलग सामग्रियों से अभिषेक करने का विधान है। यह विधि भक्तों के समस्त पापों का नाश करने और उन्हें आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करने में सहायक होती है।
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