इसलिए कहलाते हैं भगवान विष्णु को 'श्री हर', जानें ग्रंथों में छिपा रहस्य

भगवान विष्णु को' श्री हर' कहा जाता है क्योंकि वे भक्तों के सभी पापों और संकटों को हर लेते हैं। गुरुवार को उनकी पूजा गरुड़ की कठोर तपस्या और गुरु बृहस्पति के विष्णु स्वरूप से जुड़े होने के कारण विशेष फलदायी मानी जाती है।

author-image
Kaushiki
New Update
vishnu
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को कई नामों से जाना जाता है, लेकिन उनमें से एक विशेष नाम है 'श्री हर'। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि 'हरि हरति पापानि', जिसका मतलब है भगवान हरि अपने भक्तों के पापों का नाश करते हैं और उन्हें सभी संकटों से मुक्त कर देते हैं। 'हरि' का शाब्दिक अर्थ है 'हर लेने वाला' या 'दूर करने वाला'।

इसीलिए ऐसा माना जाता है कि, जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से लक्ष्मीपति नारायण की उपासना करते हैं, उसे सभी पापों से मुक्ति प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस कारण से भक्तगण उन्हें 'हरि' या 'श्री हरि' के नाम से श्रद्धापूर्वक पुकारते हैं। गुरुवार के दिन लक्ष्मीपति नारायण के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

ये खबर भी पढ़ें...

माघ पूर्णिमा पर क्यों की जाती है सत्यनारायण भगवान की पूजा, जानें व्रत और पूजा का महत्व

भगवान विष्णु और गुरुवार का विशेष संबंध

हिंदू धर्म में सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होते हैं। इसी तरह गुरुवार का दिन विशेष रूप से विष्णु भगवान की आराधना के लिए माना जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि, गुरुवार को विष्णु भगवान की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन व्रत और पूजन करने से विशेष लाभ मिलता है और भक्तों को शुभ फल की प्राप्ति होती है।

गुरुवार की पूजा का रहस्य

एक पौराणिक कथा के मुताबिक, पक्षियों में सबसे विशाल और शक्तिशाली गरुड़ ने कठिन तपस्या करके लक्ष्मीपति नारायण को प्रसन्न किया था। उनकी कठोर तपस्या से खुश होकर लक्ष्मीपति नारायण ने उन्हें अपना वाहन बना लिया और गरुड़ को अपने समीप स्थान दिया। 'गुरु' का अर्थ होता है 'भारी' और गरुड़ भी पक्षियों में सबसे भारी माने जाते हैं।

गरुड़ की तपस्या के प्रभाव से गुरुवार का दिन लक्ष्मीपति नारायण को समर्पित हो गया। ऐसा माना जाता है कि, इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

ये खबर भी पढ़ें..

महाकाल मंदिर में पूजा का समय बदला, शिवरात्रि पर विशेष व्यवस्था

गुरु बृहस्पति और विष्णु का अद्भुत संबंध

कुछ विद्वानों का मानना है कि गुरुवार को लक्ष्मीपति नारायण की पूजा इसलिए की जाती है, क्योंकि गुरु बृहस्पति स्वयं विष्णु भगवान के ही स्वरूप माने जाते हैं। माना जाता है कि, बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं और ज्ञान, धर्म तथा शुभता के प्रतीक माने जाते हैं। लक्ष्मीपति नारायण भी धर्म और सृष्टि के पालनकर्ता हैं, इसीलिए गुरुवार को उनकी आराधना करना विशेष रूप से फलदायी होता है।

गुरुवार के दिन पूजा करना

ऐसा माना जाता है कि, गुरुवार को लक्ष्मीपति नारायण की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। विद्वानों का मानना है कि, जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर होता है, उन्हें इस दिन लक्ष्मीपति नारायण की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर लक्ष्मीपति नारायण की आराधना करने से आर्थिक संकट दूर होते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

ये खबर भी पढ़ें..

महाशिवरात्रि 2025: चार प्रहर की पूजा से दूर होंगे जीवन के सभी संकट, जानें कैसे

गुरुवार के दिन व्रत

माना जाता है कि, गुरुवार को लक्ष्मीपति नारायण की पूजा करने के लिए भक्तगण विशेष रूप से उपवास रखते हैं। इस दिन पीले रंग की चीजों का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्त भगवान विष्णु को हल्दी, चने की दाल, पीले फूल और केले अर्पित करते हैं। इस दिन व्रत कथा सुनना और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है।

जीवन में क्या परिवर्तन आते हैं

माना जाता है कि, जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक गुरुवार के दिन लक्ष्मीपति नारायण की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह दिन विशेष रूप से धन, विद्या और उन्नति के लिए शुभ माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि जिन लोगों को विवाह में बाधा आ रही होती है, वे यदि गुरुवार का व्रत रखते हैं तो उन्हें योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है।

इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में समृद्धि बनी रहती है। यह दिन उनके प्रिय वाहन गरुड़ की कठोर तपस्या से जुड़ा हुआ है। साथ ही, गुरु बृहस्पति को लक्ष्मीपति नारायण का स्वरूप माना जाता है, इसलिए गुरुवार को श्री हरि की पूजा विशेष फलदायी होती है।

ये खबर भी पढ़ें..

नवग्रहों के राजा सूर्य देव की पूजा से बाधाओं का होगा अंत, ऐसे मिलेगी सुख-शांति

FAQ

गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा क्यों की जाती है?
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को इसलिए समर्पित है क्योंकि यह उनके वाहन गरुड़ की तपस्या और गुरु बृहस्पति से जुड़ा हुआ है।
गुरुवार को पूजा करने से क्या लाभ होते हैं?
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से आर्थिक संकट दूर होते हैं, वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
गुरुवार के दिन कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
गुरुवार के दिन "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है।
भगवान विष्णु को श्री हरि क्यों कहा जाता है?
भगवान विष्णु को श्री हरि इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे अपने भक्तों के सभी पापों और संकटों को हर लेते हैं।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

latest news देश दुनिया न्यूज Lord Vishnu गुरुवार पौराणिक कथाएं देवगुरु बृहस्पति धर्म ज्योतिष न्यूज worship of Lord Vishnu नारायण Devguru Jupiter