CBSE 2026 Board Exam की नई गाइडलाइन जारी, अब इन छात्रों को ही मिलेगा एग्जाम में बैठने का मौका

सीबीएसई ने 2026 की बोर्ड परीक्षाओं के लिए नए नियम जारी किए हैं, जिनके तहत छात्रों को परीक्षा में बैठने के लिए कम से कम 75% उपस्थिति और दो साल का आंतरिक मूल्यांकन पूरा करना अनिवार्य होगा।

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Kaushiki
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Big decision of CBSE: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2026 में होने वाली 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के लिए कुछ इम्पोर्टेन्ट गाइडलाइन्स जारी किए हैं। ये नियम छात्रों के साथ-साथ स्कूलों के लिए भी काफी अहम हैं।

बोर्ड ने साफ कर दिया है कि अब सिर्फ पढ़ाई ही नहीं बल्कि स्कूल में रेगुलर अटेंडेंस भी सफलता के लिए जरूरी है। ये बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अकॉर्डिंग हैं जिसका उद्देश्य छात्रों को समग्र रूप से विकसित करना है।

इन नए नियमों के मुताबिक, बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए छात्रों को कुछ जरूरी शर्तें पूरी करनी होंगी। यह बदलाव 2026 की परीक्षाओं से लागू होगा जिससे छात्रों और स्कूलों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

Explainer | सीबीएसई 75% उपस्थिति नियम: बोर्ड परीक्षा के छात्रों के लिए यह  पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण क्यों है?

75% उपस्थिति का नियम

सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि 10वीं और 12वीं (10th-12th board CBSE exam) की पढ़ाई एक दो साल का कार्यक्रम है। इसका मतलब है कि 9वीं और 10वीं, या 11वीं और 12वीं में छात्रों को लगातार संबंधित विषय पढ़ने होंगे।

इस दो साल की ड्यूरेशन में छात्रों के लिए कम से कम 75% उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। पहले कई बार छात्र सिर्फ परीक्षा की तैयारी के लिए स्कूल जाना कम कर देते थे लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा।

सीबीएसई का मानना है कि नियमित रूप से स्कूल जाने से छात्र सिर्फ विषयों का ज्ञान ही नहीं बल्कि कक्षा में होने वाली डिसकशंस, एक्टिविटीज और शिक्षकों के साथ बातचीत का भी लाभ उठा पाते हैं। यह उनके होलिस्टिक  डेवलपमेंट के लिए जरूरी है।

यहां से डाउनलोड करें नोटिफिकेशन

CBSE Board Examination 2026 NEW Official Notice

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अटेंडेंस सीधे इंटरनल असेसमेंट से जुड़ी

बोर्ड (सीबीएसई एग्जाम) ने यह भी बताया है कि उपस्थिति को अब सीधे इंटरनल असेसमेंट से जोड़ा गया है। इंटरनल असेसमेंट कोई एक दिन का टेस्ट नहीं बल्कि पूरे दो साल की एजुकेशनल एक्टिविटीज पर आधारित होता है। इसमें क्लास टेस्ट, प्रोजेक्ट्स, प्रैक्टिकल और अन्य गतिविधियां शामिल होती हैं।

यदि कोई छात्र नियमित रूप से स्कूल नहीं आता है तो स्कूल के लिए उसका इंटरनल असेसमेंट करना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे छात्रों का परिणाम घोषित नहीं किया जाएगा और उन्हें ‘नेसेसरी रिपिटिशन’ की श्रेणी में डाला जा सकता है।

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सीबीएसई बोर्ड में नए सख्त नियम लागू, 10वीं-12वीं के लिए अनिवार्य 75%  अपस्थिति | Navbharat Live

एडिशनल सब्जेक्ट्स पर भी नए नियम

सीबीएसई (सीबीएसई का बड़ा फैसला) ने एडिशनल सब्जेक्ट्स को लेकर भी नियम तय किए हैं।

  • कक्षा 10वीं के छात्र: 5 अनिवार्य विषयों के अलावा अधिकतम दो अतिरिक्त विषय ले सकते हैं।
  • कक्षा 12वीं के छात्र: केवल एक एडिशनल सब्जेक्ट्स चुन सकते हैं।

यह ध्यान रखना जरूरी है कि इन एडिशनल सब्जेक्ट्स का स्टडी भी पूरे दो साल तक करना होगा। यह सुनिश्चित करता है कि छात्र जिस विषय को चुन रहे हैं, उसमें पूरी तरह से पारंगत हों।

इसके अलावा, बोर्ड ने स्कूलों के लिए भी एक अहम नियम जारी किया है। जिन विषयों के लिए स्कूलों के पास ट्रेंड टीचर्स, लैब, या बोर्ड से अनुमति नहीं है वे उन विषयों को ऑफर नहीं कर सकते। यह नियम छात्रों को गलत विषय चुनने से बचाएगा, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो।

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कंपार्टमेंट और रिपीट के लिए भी नए नियम

जिन छात्रों के किसी विषय में कंपार्टमेंट या रिपीट है उन्हें उस पेपर में प्राइवेट कैंडिडेट के तौर पर फिर से परीक्षा देने की अनुमति होगी। हालांकि जिन छात्रों की अटेंडेंस और इंटरनल असेसमेंट अधूरा है, वे प्राइवेट कैंडिडेट बनकर भी अतिरिक्त विषयों की परीक्षा नहीं दे पाएंगे। इसका सीधा मतलब है कि नियमितता और इंटरनल एक्टिविटीज में हिस्सा लेना हर छात्र के लिए जरूरी है। 

बता दें कि, ये सभी बदलाव सीबीएसई द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत किए गए हैं। एनईपी 2020 का मुख्य जोर रटने की बजाय योग्यता-आधारित शिक्षा और निरंतर मूल्यांकन पर है।

नए नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि छात्र सिर्फ परीक्षा पास करने के लिए नहीं बल्कि सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें। इन बदलावों से छात्रों और स्कूलों को अपनी आदतों को सुधारने और परीक्षा के लिए बेहतर तरीके से तैयार होने का मौका मिलेगा। 2026 की बोर्ड परीक्षाओं से पहले, सभी को इन नए नियमों का पालन करना होगा।

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