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भारत में मेडिकल एजुकेशन के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आया है। यूनियन कैबिनेट ने सेंट्रली स्पॉन्सर्ड स्कीम (CSS) के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट सीटों में भारी वृद्धि को मंजूरी दे दी है।
इस फैसले से कुल 10 हजार 23 सीटें बढ़ाई जाएंगी, जिनमें 5023 यूजी (MBBS) सीटें और 5000 पीजी सीटें शामिल हैं।यह ग्रोथ भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ी राहत है, जो हर साल नीट यूजी (NEET UG) और नीट पीजी (NEET PG) जैसी कठिन प्रवेश परीक्षाओं में कॉम्पटीशन करते हैं।
इस विस्तार का मेन उद्देश्य देश में डॉक्टरों की संख्या (Number of Doctors) को बढ़ाना और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना है। यह योजना 2025-26 से शुरू होकर 2028-29 तक लागू की जाएगी।
प्रजेंट और फ्यूचर की सीटों का गणित
यह ग्रोथ मेडिकल कॉलेजों की वर्तमान क्षमता को काफी बढ़ा देगी:
श्रेणी | ग्रोथ से पहले | ग्रोथ | ग्रोथ के बाद |
यूजी (MBBS) सीटें | 1.18 लाख | 5,023 | 1.23 लाख |
पीजी (PG) सीटें | 54 हजार | 5,000 | 60 हजार |
इस बड़ी छलांग से न केवल अधिक छात्रों को डॉक्टर बनने का मौका मिलेगा, बल्कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीट मिलने से वे कम फीस (Low Fees) में अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएंगे, जिससे इकोनॉमिक बर्डन कम होगा।
कम खर्च में MBBS और PG
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क के सचिव, डॉ. शंकुल द्विवेदी के अनुसार, इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा छात्रों को होगा।
अब Government Medical College में अधिक सीटें होने से छात्र कम फीस में एमबीबीएस (MBBS) पूरी कर सकेंगे। इसके साथ ही छात्र भारत से ही मेडिकल की पढ़ाई करना पसंद करेंगे।
यह बात बहुत जरूरी है क्योंकि हर साल हजारों भारतीय छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए चीन, रूस, यूक्रेन और फिलीपींस जैसे देशों में जाते हैं, जिसके पीछे मुख्य कारण भारत में सीटों की सीमित संख्या और निजी कॉलेजों की उच्च फीस (High Fees) थी।
सीटों की संख्या में यह वृद्धि, खासकर सरकारी इंस्टीटूशन्स में, इन छात्रों को देश में रहने और क्वालिटी एजुकेशन प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
फंडिंग पैटर्न: केंद्र और राज्यों का सहयोग
इस महत्वाकांक्षी विस्तार योजना को सफल बनाने के लिए 15,034 करोड़ रुपए का भारी-भरकम निवेश किया जाएगा।
फंडिंग सोर्स | अमाउंट | एक्सप्लनेशन |
सेंट्रल गवर्नमेंट | 10,303 करोड़ रुपए | सेंट्रली स्पॉन्सर्ड स्कीम (CSS) के तहत प्रमुख |
स्टेट गवर्नमेंट | 4,731 करोड़ रुपए | राज्य सरकारें भी इस योजना के क्रियान्वयन में |
यह साझा वित्तीय भागीदारी सुनिश्चित करती है कि देश के विभिन्न राज्यों में, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है, नए मेडिकल कॉलेज स्थापित हों और मौजूदा कॉलेजों की क्षमता बढ़ाई जा सके।
नेशनल हेल्थ और मेडिकल एजुकेशन पर प्रभाव
यह फैसला केवल छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे नेशनल हेल्थ लैंडस्केप के लिए दूरगामी परिणाम लाएगा।
NEET कॉ्मपटीशन और क्वालिटी
बढ़ता कॉम्पटीशन: यूजी और पीजी सीटें (UG and PG Seats) बढ़ने से निश्चित रूप से नीट यूजी (NEET UG) और नीट पीजी (NEET PG) में आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ेगी। हालांकि सीटों में वृद्धि हुई है, फिर भी क्वालिटी बनाए रखने के लिए कॉ्मपटीशन करना पड़ेगा।
रूरल हेल्थ: अधिक डॉक्टर तैयार होने से ग्रामीण और रिमोट एरियाज में डॉक्टरों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी। भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुसार डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात (Doctor-Patient Ratio) को बेहतर बनाने के लिए अधिक डॉक्टरों की आवश्यकता है।
स्पेशलाइजेशन को बढ़ावा: पीजी सीटें (PG Seats) बढ़ने से विभिन्न स्पेशलाइजेशन में ट्रेन्ड डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी, जिससे देश की समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रणाली उन्नत होगी।
यह ऐतिहासिक निर्णय (Historical Decision) दर्शाता है कि सरकार चिकित्सा शिक्षा (Medical Education) के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और देश के हर कोने तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह आने वाले वर्षों में भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव (Positive Change) लाएगा।
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