राकेश निखाज की Invisible Helping Hand ने बदली कई जिंदगियां, फ्री गाइडेंस से 86 छात्रों ने पास किया UPSC CAPF इंटरव्यू

राकेश निखाज, जो सीआईएसएफ के डिप्टी कमांडेंट हैं, ने अपनी 'इनविजिबल हेल्पिंग हैंड' पहल से कई युवाओं को UPSC इंटरव्यू में सफलता दिलाई। इस पहल ने 86 उम्मीदवारों को CAPF में ग्रेड-ए अधिकारी बनने में मदद की, जो पिछले साल के रिकॉर्ड को तोड़ता है।

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Kaushiki
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Success Story: यूपीएससी की तैयारी एक मुश्किल सफर है जहां रिटेन एग्जामिनेशन पास करने के बाद भी कई मेधावी छात्र इंटरव्यू के आखिरी पड़ाव पर आकर हार मान लेते हैं।

ऐसे में लखनऊ से एक ऐसी कहानी सामने आई है जो दिखाती है कि अगर सच्ची लगन और सेल्फलेस सर्विस हो तो कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है।

राकेश निखाज जो 2012 बैच के सीआईएसएफ (CISF) के डिप्टी कमांडेंट हैं उन्होंने अपने 'इनविजिबल हेल्पिंग हैंड' नामक पहल से कई युवाओं की जिंदगी बदल दी है।

यह एक वॉलंटरी पहल है जिसने इस साल 86 उम्मीदवारों को सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेस (CAPF) में ग्रेड-ए सिविल सेवा अधिकारी बनने में मदद की है। 

यह आंकड़ा पिछले साल के 53 के रिकॉर्ड को तोड़ता है। उन्होंने उम्मीदवारों को मॉक इंटरव्यू और पर्सनलाइज्ड मेंटरशिप देकर उनकी कमियों को दूर करने में मदद की। यह आंकड़ा पिछले साल के 53 के रिकॉर्ड को तोड़ता है।

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एक टीम और एक सपना

'इनविजिबल हेल्पिंग हैंड' की शुरुआत एक छोटी सी कोशिश के तौर पर हुई थी लेकिन आज यह एक बड़ा आंदोलन बन गया है। इस साल यह सिर्फ निखाज का प्रयास नहीं था बल्कि एक कलेक्टिव मिशन बन गया था। इस टीम में कैबिनेट सेक्रेटेरिएट के निदेशक देवेंद्र कुमार, शिक्षाविद अमित अक्षय और एग्जाम मेंटर्स और पूर्व यूपीएससी टॉपर्स जैसे कि भूवैज्ञानिक अ​र्पिता गुप्ता भी इस काम में शामिल हुए।

इनके साथ भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी, अनुभवी फैकल्टी और यहां तक कि नए रिक्रूट्स ने भी अपना सहयोग दिया। पूरी टीम ने मिलकर यूपीएससी के असली इंटरव्यू बोर्ड जैसा माहौल बनाया। हर उम्मीदवार को तीन से पांच पैनलिस्ट के सामने कठिन सवालों का सामना करना पड़ा।

निखाज बताते हैं कि "हम यूपीएससी (Free UPSC Coaching) के धौलपुर हाउस, दिल्ली में होने वाले असली इंटरव्यू का माहौल तैयार करते हैं, सिवाय फिजिकल सेटिंग के।" श्रीनगर में सेंट्रल जेल में एक अस्थायी असाइनमेंट पर होने के बावजूद वह अपनी व्यस्तता से समय निकालकर उम्मीदवारों को तुरंत फीडबैक देते हैं।

वह कहते हैं, "यह सिर्फ ड्यूटी नहीं, बल्कि समाज की सेवा है।" इस साल इस पहल ने कुल 121 घंटों के मॉक इंटरव्यू आयोजित किए जिससे देश भर के 1514 CAPF उम्मीदवारों में से 262 को फायदा हुआ। हर उम्मीदवार को कम से कम 30 मिनट का डीप फीडबैक मिला, जो अक्सर जूम की समय सीमा के बावजूद 40 मिनट तक चला।

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Dy. Commandant Rakesh Nikhaj (@Rakeshnikhaj) / X

सफलता की कहानियां

आकाश कुमार

इस पहल ने कई ऐसे उम्मीदवारों को मौका दिया जो सुविधाओं से दूर थे। राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक छोटे से गांव कनकारिया के आकाश कुमार की कहानी इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। 

आईआईटी बॉम्बे से इकोनॉमिक्स ग्रेजुएट आकाश ने अपने पहले ही CAPF प्रयास में अखिल भारतीय रैंक 6 हासिल की। वह अपने गांव के पहले कमीशन ऑफिसर बने हैं।

आकाश इस सफलता का श्रेय निखाज की पहल को देते हैं। आकाश कहते हैं, "राकेश सर के मॉक इंटरव्यूज ने मेरा आत्मविश्वास बहुत बढ़ाया। उन्होंने हाशिए पर रहने वाले ग्रामीण छात्रों पर ध्यान दिया, जिससे मुझे ऐसी विश्वसनीय गाइडेंस मिली जो मुझे कहीं और नहीं मिल सकती थी।"

श्याम यादव

इसी तरह की कहानी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के श्याम यादव की भी है। वह यूपी के राजस्व विभाग में लेखपाल के रूप में ट्रेनिंग ले रहे थे और उन्होंने अखिल भारतीय रैंक 2 हासिल की।

पांच बार कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज और तीन बार एयरफोर्स एग्जाम के इंटरव्यू में फेल होने के बाद, श्याम को 2023 में 'इनविजिबल हेल्पिंग हैंड' के वर्कशॉप्स से मदद मिली।

श्याम कहते हैं, "इनविजिबल हेल्पिंग हैंड के इंटरव्यू पैनल ने ऐसे इनसाइट्स दिए, जिसने मेरी अप्रोच को पूरी तरह से बदल दिया।" इस साल भले ही वह 2024 के मॉक्स में शामिल नहीं हो पाए, लेकिन पिछले साल का फीडबैक उनके लिए बहुत निर्णायक साबित हुआ।

रुपाली सिंह

रुपाली सिंह जिन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस से बीएससी फिजिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया है, उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में 365वीं रैंक हासिल की। वह कहती हैं, "'इनविजिबल हेल्पिंग हैंड' एक लाइफ चेंजिंग पहल है। मॉक इंटरव्यू ने मेरी क्षमता को समझने में मेरी मदद की।"

मंगलदीप पाल

पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना के एक बॉर्डर इलाके के गांव सदिगछी से आए मंगलदीप पाल ने 313वीं रैंक हासिल की। वह कहते हैं, "सच कहूं तो, 'इनविजिबल हेल्पिंग हैंड' को मेरे चयन पर मुझसे ज्यादा भरोसा था।

मैं एक सामान्य परिवार से आता हूं और मैंने कई बार सीडीएस, एएफकैट और कोस्ट गार्ड असिस्टेंट कमांडेंट की लिखित परीक्षा पास की, लेकिन इंटरव्यू में कभी सफल नहीं हो पाया। लेकिन राकेश निखाज सर की इस पहल ने CAPF के लिए मेरी मदद की।" 

यूपीएससी के मुताबिक, CAPF 2024 परीक्षा के बाद कुल 459 उम्मीदवारों को नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई है।

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सेल्फलेस सर्विस का रिजल्ट

निखाज की इस पहल का मकसद उन ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की मदद करना है (टॉपर्स और यूपीएससी) जिन्हें सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता। शहरी छात्रों को अक्सर दिल्ली के बड़े कॉलेजों और कोचिंग सेंटरों में अच्छा एक्सपोजर मिल जाता है, जबकि दूर-दराज के इलाकों से आने वाले उम्मीदवारों को ऐसे मौके नहीं मिलते।

निखाज कहते हैं, "मुकाबला सबके लिए एक जैसा है, लेकिन दिल्ली यूनिवर्सिटी से आने वाले छात्र को सिर्फ एक्सपोजर की वजह से एक बढ़त मिल जाती है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों में उस मौके की कमी होती है, और हम उसी कमी को भरने की कोशिश करते हैं।"

इस पहल के आंकड़े इसकी सफलता की कहानी खुद बयां करते हैं। मेंटर किए गए 262 उम्मीदवारों में से 86 ने CAPF परीक्षा पास की।

निखाज और उनकी टीम ने अपनी आधिकारिक ड्यूटीज के साथ-साथ, 130 घंटे से ज्यादा के वर्चुअल सेशंस जूम कॉल के जरिए आयोजित किए। वे उम्मीदवारों को व्यक्तिगत रूप से फीडबैक देते हैं ताकि वे असली इंटरव्यू के लिए तैयार हो सकें।

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सिर्फ कोचिंग नहीं, बल्कि क्षमता का विकास

'इनविजिबल हेल्पिंग हैंड' सिर्फ मॉक इंटरव्यू तक सीमित नहीं है। यह उम्मीदवारों की सोच को भी आकार देता है। उन्हें करंट अफेयर्स पर सवालों को संभालने, अपने डिटेल्ड एप्लीकेशन फॉर्म को आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत करने और एक वर्दीधारी अधिकारी के लिए आवश्यक गुणों को दिखाने का तरीका सिखाया जाता है।

विभिन्न क्षेत्रों के अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ मोटिवेशनल सेशंस भी आयोजित किए जाते हैं। निखाज का कहना है, "हम चाहते हैं कि वे यूपीएससी इंटरव्यू रूम (यूपीएससी कहानियां) में इस विश्वास के साथ जाएं कि वे वहां सेलेक्ट होने के लायक हैं। यह बोर्ड को यह समझाने के बारे में है कि आप उस नौकरी के लिए सभी गुण रखते हैं जिसका आप सपना देखते हैं।"

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