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मध्यप्रदेश की राज्य सरकार ने लाखों गरीब और वंचित वर्ग के परिवारों के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब राज्य सरकार प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की भारी-भरकम फीस का बोझ खुद उठाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस योजना को आगे बढ़ाते हुए आज (29 सितंबर, 2025) को हरदा जिले के खिरकिया से एक ही क्लिक में 489 करोड़ रुपए की राशि सीधे 20 हजार 652 निजी स्कूलों के बैंक खातों में ट्रांसफर की।
ये पैसा शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत 2023-24 में पढ़ रहे 8 लाख 45 हजार बच्चों के फीस का मुआवजा के लिए दिया गया है।
RTE के तहत लाखों परिवारों को बड़ी राहत
आज के दौर में, प्राइवेट स्कूलों की फीस एक आम अभिभावक के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई है। बड़े और नामी स्कूलों की सालाना फीस तो 1 लाख रुपए से भी ज्यादा हो चुकी है।
ऐसे में मामूली आमदनी वाले माता-पिता के लिए अपने बच्चे को अच्छे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का सपना टूट जाता था। तो ऐसे में राज्य सरकार ने इसी आर्थिक बोझ को समझते हुए यह इम्पोर्टेन्ट डिशन्स लिया है।
RTE के नियम
शिक्षा का अधिकार (Right to Education - RTE) अधिनियम, 2009, भारत में 6 से 14 वर्ष की आयु के हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का कानूनी अधिकार देता है।
इसका सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि गैर-अनुदान प्राप्त सभी निजी स्कूलों को अपनी न्यूनतम 25% सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों को निःशुल्क प्रवेश देना अनिवार्य है।
इन बच्चों की फीस का भुगतान राज्य सरकार द्वारा स्कूल को प्रतिपूर्ति के रूप में किया जाता है। इसका उद्देश्य शिक्षा में समानता लाना है।
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योजना से जुड़े जरूरी पॉइंट्स
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अब तक 19 लाख बच्चों को लाभ
बता दें कि, मध्य प्रदेश सरकार की इस पहल ने शिक्षा के क्षेत्र में समानता लाने का बड़ा काम किया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जब से यह योजना शुरू हुई है (2011-12 से) 19 लाख बच्चों को इसका सीधा लाभ मिल चुका है।
इन वर्षों में सरकार 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक की फीस का भुगतान कर चुकी है। यह आंकड़ा केवल एक स्टैटिस्टिक नहीं है बल्कि लाखों परिवारों के लिए इकनोमिक रिलीफ और बच्चों के उज्जवल भविष्य का प्रतीक है।
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क्या कहा सीएम ने
सीएम मोहन यादव ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम केवल अवसर का द्वार नहीं खोल रहा है बल्कि यह शिक्षा को समानता का माध्यम भी बना रहा है। इस कदम से गरीब और अमीर के बच्चों को एक साथ पढ़ने का मौका मिलगा जिससे सामाजिक समरसता और समान विकास का बढ़ावा होगा।
मुख्यमंत्री ने खिरकिया में इस कार्यक्रम के दौरान अन्य विकास कार्यों का भूमि-पूजन और लोकार्पण भी किया जो दिखाता है कि राज्य सरकार शिक्षा के साथ-साथ समग्र विकास पर भी जोर दे रही है। यह फैसला उन अभिभावकों के लिए बड़ी राहत है, जो फीस की वजह से अपने बच्चों को अच्छे निजी स्कूलों में दाखिला नहीं दिला पाते थे।
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