BHOPAL. भारत ( India ) में CAA लागू होने के बाद पाकिस्तान ( Pakistan ) में खलबली बची हुई है। पाकिस्तान में CAA लागू होने को लेकर सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी पीएम शाहबाज शरीफ ( Shahbaz Sharif ) का एक ट्वीट जमकर वायरल हो रहा है । वायरल ट्वीट ( Tweet ) में दावा किया जा रहा है कि भारत सरकार के अलोकतांत्रिक और सांप्रदायिक सीएए के जवाब में सरकार ने पाकिस्तान में अपना नागरिकता संशोधन अधिनियम ( CAA ) लागू करने का फैसला लिया है। जिसमें भारत में प्रताड़ित मुसलमानों को पाकिस्तान की नागरिकता दी जाएगी। यूजर ट्वीट को सही मानते हुए इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।
11 मार्च को भारत में लागू हुआ था CAA
भारत में केंद्र सरकार सोमवार 11 मार्च को सीएए का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। नोटिफिकेशन के जारी होते ही देशभर में नया नागरिकता कानून लागू हो गया। भारत में CAA लागू होने के बाद सोशल मीडिया पर तमाम फेक न्यूज भी फैलने लगीं। कुछ लोग दावा करने लगे कि इस कानून से देश में मुस्लिम समाज के लोगों की नागरिकता छीन ली जाएगी। जबकि सच्चाई यह है कि यह कानून नागरिकता छीनने के लिए नहीं बल्कि नागरिकता देने के लिए लाया गया है इसके साथ ही हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के ट्वीट का एक स्क्रीनशॉट वायरल होने लगा।
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ट्वीटर में क्या हुआ वायरल?
इस वायरल ट्वीट में लिखा गया, भारत सरकार के अलोकतांत्रिक और सांप्रदायिक CAA का मुकाबला करने के लिए, पाकिस्तान सरकार ने भी अपने CAA को अधिसूचित करने का निर्णय लिया है। जिसमें भारत में प्रताड़ित महसूस करने वाले भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान की नागरिकता दी जाएगी।
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द सूत्र के फैक्ट चेक में सामने आई सच्चाई
शाहबाज शरीफ के इस स्क्रीनशॉट के साथ हमने कई ऐसे पोस्ट देखे। वायरल हो रही इस स्क्रीनशॉट का द सूत्र ने फैक्ट चेक किया। फैक्ट चेक में इसकी सच्चाई सामने आ गई। हमने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का आधिकारिक एक्स एकाउंट खंगाला। हमें ऐसा कोई भी ट्वीट उनकी टाइम लाइन पर नजर नहीं आया।
फैक्ट चेक में क्या निकला?
द सूत्र के फेक्ट चेक में यह साबित हो गया कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के नाम से वायरल हो रही यह पोस्ट पूरी तरह से फर्जी है। इसे किसी असामाजिक तत्व ने एडिट करके पोस्ट किया है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने भारत में लागू हुए CAA को लेकर कोई भी बयान और टिप्पणी अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर साझा नहीं की है। द सूत्र के फैक्ट चेक में यह साबित हो गया कि यह दावा पूरी तरह से गलत है।