महाकुंभ छोड़ने की खबरों पर आईआईटी बाबा ने दिया सीधा जवाब

खबरें थीं कि कुंभ मेले में मशहूर हो रहे आईआईटी वाले बाबा महाकुंभ छोड़ रहे हैं। लेकिन उन्होंने खुद सामने आकर पूरी सच्चाई बताई है। कहा जा रहा था कि वे मीडिया को इंटरव्यू देते-देते थक गए हैं और उन्होंने कुंभ छोड़ने का फैसला किया।

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Ravi Singh
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Prayagraj Maha Kumbh IIT Baba Abhay Singh

Prayagraj Maha Kumbh IIT Baba Abhay Singh Photograph: (the sootr)

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महाकुंभ मेले में मशहूर हो रहे आईआईटी बाबा के महाकुंभ छोड़ने की खबरें आई थीं। लेकिन उन्होंने खुद सामने आकर पूरी सच्चाई बताई है। कहा जा रहा था कि वह मीडिया को इंटरव्यू देते-देते थक गए और उन्होंने कुंभ छोड़ने का फैसला किया, लेकिन अब उन्होंने खुद मीडिया को बताया कि ऐसा कहा गया कि मैं वहां गुप्त साधना के लिए गया हूं। जबकि मुझे आश्रम भेजा गया था। उन्होंने (मड़ी आश्रम के संचालकों ने) मेरे बारे में झूठी खबर फैलाई।

अफवाहों का खंडन

अभय सिंह ने इन खबरों का पुरजोर खंडन करते हुए कहा कि मड़ी आश्रम के साधु उनके बारे में झूठी खबरें फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें रात में आश्रम छोड़ने को कहा गया और इसके बाद कुछ लोगों ने अफवाह फैला दी कि वह गुप्त साधना के लिए चले गए हैं। अभय सिंह ने कहा, "वे लोग बकवास कर रहे हैं, मुझे जाने को कहा गया था, इसलिए मैं चला गया।"

मानसिक स्थिति पर बाबा का जवाब

उन्होंने अभय सिंह के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर उठ रहे सवालों का भी कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि उनकी मानसिक स्थिति का विश्लेषण कोई मनोवैज्ञानिक नहीं कर सकता। उन्होंने दावा किया कि उनका मन शांत और स्थिर है और वे किसी दबाव में नहीं हैं।

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गुरु-शिष्य संबंधों पर हुआ विवाद

आईआईटी बाबा के गुरु को लेकर भी कुछ विवाद हुआ। जूना अखाड़े के संत सोमेश्वर पुरी ने दावा किया कि वे अभय सिंह के गुरु हैं। लेकिन अभय सिंह ने इससे इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने कभी सोमेश्वर पुरी को अपना गुरु नहीं माना। उन्होंने कहा कि वे जो भी सीखते हैं, उसे ही अपना गुरु मानते हैं।

आईआईटी से बाबा बनने तक का सफर

अभय सिंह की जीवन यात्रा काफी रोचक रही है। हरियाणा के झज्जर जिले के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले अभय ने आईआईटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में मास्टर डिग्री हासिल की। ​​उन्होंने एक एयरप्लेन बनाने वाली कंपनी में काम करना शुरू किया, लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान उनका झुकाव आध्यात्म की ओर बढ़ गया। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने भारतीय तीर्थ स्थलों की यात्रा की और धीरे-धीरे साधु बनने की राह पर चल पड़े।

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घरवालों से रिश्ते: परिवार की चिंता

अभय सिंह का परिवार उसकी नई जीवनशैली से काफी चिंतित था। परिवार वालों के मुताबिक अभय का ध्यान आध्यात्म की ओर बढ़ रहा था, जिससे परिवार में तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी। वह अक्सर घर से बाहर रहता था और एक दिन बिना बताए घर से निकल गया। उसके परिवार के सदस्य, खास तौर परर माता-पिता, अभय की वापसी के लिए आशान्वित थे, लेकिन अभय ने उनसे संपर्क नहीं किया और उनका नंबर भी ब्लॉक कर दिया।

महाकुंभ में मीडिया से उनकी बातचीत

महाकुंभ में अभय सिंह का मीडिया से बातचीत करते हुए कहना था कि वह किसी भी दबाव में नहीं हैं और जो निर्णय लिया है वह उनका सही निर्णय है। वह अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर संतुष्ट हैं और इस रास्ते पर चलने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। परिवार के बारे में उनका कहना था कि वह अपने फैसले पर पूरी तरह से कायम हैं और उनकी ज़िंदगी का मार्ग अब पूरी तरह से अलग है।

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