NEW DELHI: चुनाव के दौरान विभिन्न दलों के नेताओं का पाला बदलना एक आम वाकया है। हाल के वर्षों की बात करें तो कांग्रेस ( congress ) इस मसले पर सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है। कांग्रेस के युवा नेता ( youth leaders ) तो पार्टी को छोड़कर जाते रहे हैं, अब इस कड़ी में वे पार्टी प्रवक्ता ( spokesperson ) भी कांग्रेस छोड़ रहे हैं जो पार्टी की बुलंद आवाज हुआ करते थे और मीडिया या उससे जुड़ी बातचीती में पार्टी का मजबूत पक्ष रखते थे, साथ ही बीजेपी ( BJP ) का परेशानी में डाले रखते थे। अब कांग्रेस की इन आवाजों ने बीजेपी का सुर साधने के लिए उसे अपना लिया है। नई कड़ी में गौरव वल्लभ से लेकर कई प्रवक्ता शामिल हैं। आपको यह भी बताते चलें कि इस हृदय परिवर्तन में इन नेताओं को कभी देशहित पसंद आता है तो कभी सांप्रदायिकता से चिढ़ होने लगती है।
गौरव वल्लभ की बात में दम है तो विजेंदर दमदार हैं
कांग्रेस के युवा नेताओं के हाल के हृदय परिवर्तन की बात करें तो प्रवक्ता गौरव वल्लभ व देश के पूर्व बॉक्सर विजेंदर सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। परेशान से चेहरे लेकिन आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ वल्लभ ने बड़े ही मासूमियत व तर्क से कांग्रेस छोड़कर खुद को चर्चा में ला दिया है। उन्होंने कहा था कि ‘मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह शाम वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता हूं। इसलिए पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।’ इनके यह विचार सोशल मीडिया व आम मानस में छा गए। बॉक्सर विजेंदर सिंह आधिकारिक तौर पर कांग्रेस के प्रवक्ता नहीं रहे, लेकिन वह यूथ आइकन हैं और जब वह बोलते हैं तो उन्हें सुना जाता है। उन्होंने भी बीजेपी की आइडियोलॉजी और पीएम मोदी से प्रभावित होकर कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी का परचम लहरा दिया।
रीता बहुगुणा से लेकर शेरगिल और पूनावाला
ये तीनों नेता कांग्रेस के मजबूत प्रवक्ता माने गए हैं, लेकिन अब ये बीजेपी में हैं और अब बीजेपी का पक्ष रख रहे हैं। रीता बहुगुणा उम्र के चलते कम एक्टिव हैं, लेकिन कभी अपनी तीखी आवाज और पार्टी हित की बातें कांग्रेस को खूब भाती थीं। वह वर्ष 2016 में बीजेपी में इसलिए शामिल हुई, क्योंकि पार्टी ने उनके बजाय दिल्ली की सीएम शीला दीक्षित को यूपी का सीएम प्रोजेक्ट कर दिया था। जयवीर शेरगिल अपनी बातों से बीजेपी व अन्य दलों के नेताओं को भन्ना देते थे, लेकिन एक दशक कांग्रेस में बिताने के बाद 2022 से बीजेपी की बांसुरी बजा रहे हैं। शहजाद पूनावाला ने भी कांग्रेस में खूब सुर्खियां बटोरी हैं लेकिन बाद में बीजेपी में शामिल हो गए। उन्हें तभी बीजेपी का प्रवक्ता बना दिया गया था। अब वह बीजेपी के सोशल मीडिया विंग के प्रभारी भी हैं ओर जब-तब अपनी बातों से विपक्ष को मिर्ची लगाते रहते हैं।
संजय निरूपम और प्रियंका चतुर्वेदी
पहले संजय निरूपम की बात करें। उन्होंने हाल ही में कांग्रेस छोड़ दी है। वैसे तो वह महाराष्ट्र के नेता हैं, लेकिन अपने बेबाक विचारों के चलते उनकी कांग्रेस में तूती बोलती थी। मीडिया बहस में वह मुखरता से पार्टी का पक्ष रखते दिखाई देते थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर बीजेपी और पीएम की कुछ तारीफ कर दी थी, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं, क्योंकि उसके आला नेताओं में अहंकार भर गया है और अब उसका कोई भविष्य नहीं है। फिलहाल वह पैदल हैं। उनका कहना है कि नवरात्र के दौरान वह अपनी राजनीति को तय करेंगे। इसी तरह महाराष्ट्र की एक बड़ी नेता प्रियंका चतुर्वेदी भी पहले कांग्रेस प्रवक्ता थीं, वह साल 2019 में शिवसेना में चली गई थीं। शिवसेना में विभाजन के बाद, चतुर्वेदी शिवसेना यूबीटी में शामिल हो गईं। उन्होंने भी जनमानस में कांग्रेस का पक्ष बड़ी ही मजबूती से रखा था।
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