BHOPAL. लोकसभा चुनाव 2024 ( Lok sabha election 2024 ) में मतदान की प्रक्रिया में लगाई जाने वाली प्राइवेट गाड़ियों का मामला इन दिनों खूब चर्चा में है। दरअसल, मतदान की पूरी प्रक्रिया को सहज बनाने के लिए प्राइवेट कार मालिकों को तलब किया जा रहा है। उनकी गाड़ियों को चुनाव ड्यूटी में लगाया जा रहा है। यदि आपके पास भी निजी वाहन है तो उसका उपयोग भी चुनाव ड्यूटी में किया जा सकता है। आइए जान लेते हैं निजी वाहन को लेकर क्या हैं चुनाव आयोग के दिशा निर्देश...
प्राइवेट वाहन को लेकर आयोग के निर्देश
1. रीप्रजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट की धारा 160 के तहत प्राइवेट गाड़ियों को निर्वाचन आयोग कब्जे में ले रहा है। गाड़ी को दी गई तारीख पर पुलिस लाइन्स में जमा करवाना होगा।
3. गाड़ी की मरम्मत अपने खर्चे पर करवा कर दुरुस्त हालत में लाएं।
4. गाड़ी में पेट्रोल और डीजल इस्तेमाल करने वाला विभाग या व्यक्ति भरवाएगा।
5. मालिक को गाड़ी के हिसाब से हर दिन का भाड़ा मिलेगा।
6. गाड़ी के साथ तिरपाल की भी व्यवस्था मालिक करेगा।
क्या है रिप्रजंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट की धारा ?
चुनाव आयोग प्राइवेट गाड़ियों को भी चुनाव ड्यूटी में लगा सकता है। अब उस कानून को भी जान लेते हैं जिसके तहत ये ऑर्डर निर्वाचन आयोग जारी कर रहा है। रिप्रजंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट की धारा 160 में साफ कहा गया है कि इलेक्शन कमीशन ( Election Commission ) चुनाव के लिए किसी भी जगह और प्राइवेट वाहन की मांग कर सकता है। मतपेटियों को लाने ले जाने, पुलिस की सवारी या किसी अन्य ड्यूटी में इस्तेमाल के लिए वाहन, जहाज या जानवर को लिखित आदेश देकर अपने कब्जे में ले सकता है। इसके लिए एक महीने के अंदर सरकार को ई-पेमेंट के जरिए किराया भुगतान करना होगा।
वाहन देने से कोई इनकार नहीं कर सकता
अब सवाल ये बचता है कि अगर कोई आदमी अपनी प्राइवेट गाड़ी, जानवर और जहाज देने से इनकार करे या न दे पाए तो उसका क्या होगा? इस पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील श्वेता कपूर का कहना है कि इसे लेकर प्रावधान है और अगर कोई इसके लिए मना नहीं कर सकता। अगर कोई वाहन देने से इनकार करता है तो एक साल की सजा का प्रावधान है। हालांकि, कोई जैनुअन रीजन हो तो वह इसका हवाला दे सकते हैं, लेकिन इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
प्राइवेट गाड़ी को चुनाव ड्यूटी में लगा सकता है आयोग
मान लीजिए घर में एक ही गाड़ी है। कोई इमरजेंसी है या कोई और जरूरी काम है। कई वजह हो सकती हैं। सरकारी ऑर्डर के बाद अगर कोई आदमी अपनी प्राइवेट गाड़ी चुनाव ड्यूटी में नहीं देना चाहता तो क्या करना होगा। इस सवाल के जवाब में पूर्व चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने बताया कि ज्यादातर हम पैसेंजर व्हीकल या सामान्य सिक्योरिटी फोर्सेज के व्हीकल लेते हैं और सुनिश्चित यह किया जाता है कि उसका किराया समय से दिया जाए ताकि जिसकी गाड़ी ली गई है उसको कोई नुकसान न हो। इमरजेंसी व्हीकल्स जैसे एंबुलेंस को एक्वायर नहीं करते हैं, लेकिन अगर वह अपनी व्यक्तगित जरूरत साबित कर सकता है कि इमरजेंसी बहुत ज्यादा है तो कुछ हो सकता है। अब ये बात क्लियर है कि जरूरत पड़ने पर चुनाव आयोग प्राइवेट गाड़ी की चुनावी ड्यूटी लगा सकता है।