छत्तीसगढ़ : यहां लहर नहीं कोई और तय करता है चुनाव के नतीजे, इसकी मुट्ठी में बंद एक तिहाई सीटों का भविष्य

छत्तीसगढ़ की तीस फीसदी सीटों पर तीसरे मोर्चे का सीधा असर है। प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में से चार सीटों पर जीत हार तीसरा मोर्चा ही करता है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि यहां पर किसी दल या किसी व्यक्ति की कोई लहर काम नहीं करती। 

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Sandeep Kumar
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अरुण तिवारी@. RAIPUR. लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections ) में कोई कह रहा है कि मोदी की लहर है, तो कोई राहुल के न्याय के असर का दावा कर रहा है। पूरे देश के चुनाव इसी के इर्द गिर्द घूम रहे हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ ( Chhattisgarh ) एक ऐसा राज्य है जहां चुनाव की किसी लहर या किसी अंडर करंट का असर नहीं होता। यहां पर चुनाव परिणाम कोई और ही तय करता है। जो ये चुनावी नतीजे तय करता है उसकी मुट्ठी में प्रदेश की एक तिहाई सीटों का भविष्य बंद है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि पिछले तीन लोकसभा चुनाव के नतीजे कह रहे हैं। इन सीटों के नतीजों पर न कांग्रेस के मनमोहन की मोहनी चली और न ही बीजेपी के मोदी की सुनामी। यह बीजेपी,कांग्रेस नहीं तो फिर तीसरा कौन है। आइए आपको बताते हैं। 

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तीसरे मोर्चे के हाथ तीस फीसदी सीटों का नतीजा 

छत्तीसगढ़ की तीस फीसदी सीटों पर तीसरे मोर्चे का सीधा असर है। प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में से चार सीटों पर जीत हार तीसरा मोर्चा ही करता है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि यहां पर किसी दल या किसी व्यक्ति की कोई लहर काम नहीं करती। ये चार सीटें हैं जांजगीर,कांकेर,बस्तर और कोरबा। इन चार सीटों पर बसपा,गोंगपा,सीपीआई और कहीं निर्दलीय वोट कटवा साबित होकर जीत-हार का पूरा खेल बिगाड़ देते हैं। कहीं ये कांग्रेस के लिए घातक साबित होते हैं तो कहीं बीजेपी की जीत को हार में बदल देते हैं। 

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हाथी बिगाड़ता है कांग्रेस की सूरत

 बसपा का हाथी कांग्रेस का पूरा समीकरण रौंद डालता है। बसपा को यहां 10 से 24 फीसदी तक वोट मिले हैं। इसके अलावा सीपीआई और निर्दलीय ने भी कांग्रेस के हाथ कमजोर किए हैं। यदि बसपा,सीपीआई और निर्दलीय के वोट कांग्रेस को मिल जाते तो इन सीटों पर नतीजा कुछ और ही होता। 

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लोकसभा सीट जांजगीर चांपा 2009 में

बीजेपी को 41 फीसदी वोट 
कांग्रेस को 29 फीसदी वोट
बसपा को 24 फीसदी वोट

2014 में
बीजेपी को 41 फीसदी वोट 
कांग्रेस को 28 फीसदी वोट
बसपा को 10 फीसदी वोट

2019 में 
बीजेपी को 46 फीसदी वोट 
कांग्रेस को 39 फीसदी वोट
बसपा को 10 फीसदी वोट

लोकसभा सीट बस्तर 2009 में

बीजेपी को 44 फीसदी वोट 
कांग्रेस को 26 फीसदी वोट
सीपीआई को 14 फीसदी वोट

2014 में
बीजेपी को 42 फीसदी वोट 
कांग्रेस को 29 फीसदी वोट
सीपीआई को 4 फीसदी वोट

2019 में
कांग्रेस को 44 फीसदी वोट 
बीजेपी को 40 फीसदी वोट
सीपीआई को 4 फीसदी वोट

लोकसभा सीट कांकेर 2009 में

बीजेपी को 46 फीसदी वोट 
कांग्रेस को 43 फीसदी वोट
निर्दलीय को 4 फीसदी वोट

2014 में
बीजेपी को 40 फीसदी वोट 
कांग्रेस को 37 फीसदी वोट
सीपीआई को 2 फीसदी वोट

2019 में 
बीजेपी को 47 फीसदी वोट 
कांग्रेस को 47 फीसदी वोट
बसपा को 1 फीसदी वोट

लोकसभा सीट कोरबा 2009 में 

कांग्रेस को 42 फीसदी वोट 
बीजेपी को 39 फीसदी वोट
गोंगपा को 4 फीसदी वोट

2014 में
बीजेपी को 39 फीसदी वोट 
कांग्रेस को 38 फीसदी वोट
गोंगपा को 5 फीसदी वोट

2019 में
कांग्रेस को 46 फीसदी वोट 
बीजेपी को 44 फीसदी वोट
गोंगपा को 3 फीसदी वोट

तीसरे मोर्चे की टेंशन 

एक कहावत है तीन तिगाड़ा,काम बिगाड़ा। ये तीन पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस दोनों का काम बिगाड़ती आ रही हैं। बीजेपी के 11 सीटें और कांग्रेस के 6 सीटें जीतने के टारगेट के बीच में तीसरा मोर्चा सबसे बड़ा रोड़ा है। फिलहाल तो दोनों ही दल तीसरे मोर्चे की टेंशन में हैं और इनसे निपटने का रास्ता तलाश रहे हैं।

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