मोदी के सहारे सरपंच से सांसद बनना चाहते हैं महेश कश्यप, विधायकी का छक्का जड़ने वाले कवासी को जमीनी नेटवर्क का भरोसा

चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी ने यहां से 81 हजार से ज्यादा मतों की लीड ली है। बस्तर लोकसभा में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें पांच बीजेपी ने जबकि तीन कांग्रेस ने जीते हैं...

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Sandeep Kumar
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अरुण तिवारी@. RAIPUR.  छत्तीसगढ़ में पहले चरण का चुनाव सिर्फ एक लोकसभा सीट बस्तर में 19 अप्रैल को होगा। बस्तर में किसका बंधेगा बोरिया बिस्तर। इस समय यह सबसे बड़ा सवाल है। बीजेपी के कैंडिडेट महेश कश्यप ( Mahesh Kashyap ) प्रधानमंत्री मोदी के सहारे सरपंच से सांसद बनना चाहते हैं। वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार कवासी लखमा को छह बार की विधायकी में तैयार किए गए जमीनी नेटवर्क का भरोसा है। बस्तर जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस में रायपुर से दिल्ली तक की ताकत लगा दी गई है। मोदी की सभा यहां हो चुकी है। अब बारी राहुल गांधी की है। राहुल 13 अप्रैल में यहां सभा करने वाले हैं। आइए आपको बताते हैं बस्तर की पूरी सियासी तस्वीर। 

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बीजेपी पांच सीटों पर आगे निकली

चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी ने यहां से 81 हजार से ज्यादा मतों की लीड ली है। बस्तर लोकसभा में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें पांच बीजेपी ने जबकि तीन कांग्रेस ने जीते हैं। यहां पर कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ है। कांग्रेस ने 2018 में यहां से विधानसभा की सात सीटें हासिल की थी जबकि बीजेपी को एक सीट ही मिल पाई थी। इस बार कांग्रेस तीन पर रह गई और बीजेपी पांच सीट पर आगे निकल गई। बस्तर जीत के लिए बीजेपी ने छह विधानसभा सीटें जीतने पर फोकस किया है। पार्टी को लगता है यदि छह सीटों पर उसे बढ़त मिल गई तो भारी मतों से उसकी जीत पक्की है। बीजेपी तीन रणनीति के आधार पर यह चुनाव जीतना चाहती है। पहली मोदी की सभा जो यहां हो चुकी है। दूसरी आदिवासियों को तेंदुपत्ता खरीदी के लिए किए गए वादे को पूरा करना जो प्रदेश सरकार ऐलान कर चुकी है। और तीसरी सबसे बड़ी उम्मीद महतारी वंदन से है। महिला वोटर यहां पर गेम चेंजर साबित हो सकती हैं। महिला वोटरों की संख्या यहां पर पुरषों से ज्यादा है। छह लाख से ज्यादा महिला वोटरों में तीन लाख को महतारी योजना का एक हजार रुपए महीना मिल रहा है। बस्तर आए नरेंद्र मोदी ने इस बात पर खास फोकस भी किया। जाते जाते उन्होंने यह भी कहा कि मोदी का जोहार घर घर तक पहुंचाना है। जाहिर है मोदी का जुहार यानी बीजेपी को वोट देने की गुहार। इसी के सहारे बीजेपी के उम्मीदवार महेश कश्यप सरपंच से सीधे सांसद बनने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। 

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लखमा को अपने जमीनी नेटवर्क पर भरोसा

अब बात कांग्रेस की करते हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार छह बार के विधायक और पूर्व मंत्री कवासी लखमा हैं। पार्टी को कवासी लखमा से बहुत उम्मीदें है यही कारण है कि कवासी ने टिकट मांगी तो पार्टी ने यहां के सिटिंग सांसद और पीसीसी चीफ दीपक बैज की टिकट काटने में देर नहीं की। कोंटा के विधायक कवासी लखमा को अपने जमीनी नेटवर्क पर बहुत भरोसा है। कवासी की लगातार जीत के पीछे उनकी आदिवासियों में अंदर तक की पैठ को बड़ी वजह माना जाता है। युवाओं से बुजुर्गों तक उनका सीधा संपर्क है। वे अपने इलाके के बच्चे_बच्चे को नाम से जानते हैं। जरुरत के वक्त काम आते हैं। यही कारण है कि उनका यहां के लोगों से सीधा जुड़ाव माना जाता है। यहां पर 13 अप्रैल को राहुल गांधी आने वाले हैं। राहुल यहां पर मोदी के उठाए मुद्दों का तोड़ निकालेंगे। कांग्रेस ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा है कि वे कांग्रेस के सवालों पर मौन रहे और आदिवासियों के बीच जुमलों की बरसात करके चले गए। 

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आइए आपको बताते हैं बस्तर लोकसभा क्षेत्र की खास बातें

बस्तर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें
बीजेपी के पास विधानसभा सीटें : कोंडागांव, नारायणपुर, जगदलपुर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा
कांग्रेस पास विधानसभा सीटें : बस्तर,बीजापुर,कोंटा
विधानसभा चुनाव में बीजेपी की लीड : 81646 वोट
कुल वोटर :14 लाख 66 हजार 337
महिला वोटर : 7 लाख 68 हजार 88 
पुरुष वोटर : 6 लाख 98 हजार 197
वोटिंग : 19 अप्रैल

बस्तर सीट जीतने में सफल रही थी कांग्रेस 


मोदी लहर के बाद भी पिछले लोकसभा चुनाव में बस्तर सीट जीतने में कांग्रेस सफल रही थी। इस विधानसभा चुनाव में भी बस्तर सीट कांग्रेस के हिस्से में आई है। यही कारण है कि बस्तर को जीतने में बीजेपी ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया है वहीं इसे बचाने में कांग्रेस ने पूरी ताक झोंक दी है। अब देखना है कि वोटर बस्तर से किसका बोरिया बिस्तर बांधता है।

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