Bhopal. 12 साल पहले राजधानी की बसाहट से 20 किलोमीटर दूर एक कॉलोनी काटी गई थी। भोपाल-इंदौर हाईवे पर फंदा ब्लॉक के खारखेड़ी गांव में 21 एकड़ भूमि पर डाउन टाउन कॉलोनी के नाम से लॉन्च किए गए प्रोजेक्ट में प्रमोटर्स ने इलाके में होने वाले इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट का सपना दिखाकर सैकड़ों लोगों का इनवेस्टमेंट कराया था। इन्हीं में से 30 परिवार आज तक अपने प्लॉट पर काबिज नहीं हो पाए हैं। कागजों पर मालिकाना हक मिला लेकिन जमीन पर कब्जा नहीं मिल सका। रसूखदारों ने अधिकारियों के साथ मिलकर जमीन का दोबारा सौदा कर दिया। अब ये परिवार अपने हक के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं।
धोखे से दोबारा बेच दी जमीन
2010 में इन इंवेस्टर्स ने प्लॉट खरीदा था। कॉलोनी की जमीन आनंद चंदनानी की थी और इसे डेवलप कर बेचने का काम प्रमोटर्स के तौर पर मनीष वर्मा और मनीष मोटवानी कर रहे थे। प्रमोटर्स ने मौके पर इन लोगों को प्लॉट की लोकेशन दिखाई थी। जिसके बाद सभी ने पैसा जमा करके रजिस्ट्री करा ली। लेकिन कॉलोनी के प्रमोटर, नामांतरण कराने की बात टालते रहे। 2015 में जमीन के मालिक आनंद चंदनानी ने डाउन टाउन कॉलोनी के उस हिस्से को दोबारा बेच दिया, जिस पर इन 30 परिवारों के प्लॉट थे। इश्वर ललवानी नाम के शख्स ने जमीन खरीद ली।
साठगांठ से नामांतरण भी करा लिया
जिस जमीन पर 30 प्लॉट पहले ही कट चुके थे। उनकी रजिस्ट्री भी हो चुकी थी। उसे ही आनंद चंदनानी ने ईश्वर ललवानी को बेचा था। उप पंजीयक ने दोबारा रजिस्ट्री कर दी और इन भू-माफियाओं ने जिला प्रशासन के अधिकारियों से साठगांठ कर जमीन का नामांतरण भी अपने नाम करा लिया। बताया जा रहा हैं कि ईश्वर ललवानी का तो सिर्फ नाम हैं, परदे के पीछे विकास जैन ने ये सारा खेल खेला हैं। विकास जैन भाजपा नेता हैं और उनकी प्रोफाइल के मुताबिक वें भोपाल सांसद प्रज्ञा ठाकुर के सांसद प्रतिनिधि हैं।
कॉलोनी के अंदर दूसरी कॉलोनी काट दी
विकास जैन ने डाउन टाउन कॉलोनी के अंदर ही वृंदावन नगर नाम से कॉलोनी काटना शुरु कर दिया। 30 प्लॉटो पर कब्जा कर बाउंड्रीवॉल बना दी और इन्हें दोबारा बेचना शुरु कर दिया।
कमलनाथ सरकार में जागी उम्मीद
अपने प्लॉट के लिए 2015 से जंग लड़ रहे इन 30 परिवारों की उम्मीद 2019 में अचानक जाग उठी। कमलनाथ सरकार एंटी माफिया मुहिम चला रही थी। लिहाजा एक इंवेस्टर ने अपनी समस्या को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को ट्वीट कर दिया। जिस पर त्वरित कार्रवाई हुई और तत्कालीन भोपाल कमिश्नर कल्पना श्रीवास्तव को जांच के निर्देश दिए गए। कमिश्नर की जांच में फर्जीवाड़े की सारी परतें खुल गई। जिला प्रशासन ने ईश्वर ललवानी के नाम पर हुए नामांतरण को कैंसल कर दिया और इंवेस्टर्स के नाम पर अलग-अलग प्लॉटो का नामांतरण कर दिया गया।
कब्जा नहीं दिला पाया प्रशासन
नामांतरण के बाद इन इंवेस्टर्स ने प्लॉटों पर कब्जा दिलाए जाने के लिए तहसीलदार को आवेदन दिया। सीमांकन कराने के लिए जिला प्रशासन की टीम मौके पर भी पहुंची लेकिन कब्जा नहीं दिला पाई। इंवेस्टर्स का कहना हैं कि विकास जैन ने मौके पर सैकड़ों गुंडे बुला लिए थे। उनके सामने जिला प्रशासन बौना साबित हुआ और टीम वापस लौट गई। जिसके बाद एक बार फिर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
बुलडोजर अभियान से फिर जागी उम्मीद
अपने प्लॉट के लिए 12 साल से दर-दर भटक रहे परिवारों की एक बार फिर उम्मीद जागी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बार-बार कह रहे हैं कि उनका बुलडोजर माफियाओं पर चल रहा है। ऐसे में इंवेस्टर्स को भी लग रहा हैं कि प्रशासन उनके प्लॉटों को भी कब्जे से मुक्त कराएगा। वहीं कलेक्टर अविनाश लवानिया का कहना हैं कि दस्तावेजों की जांच कर दोषियों के खिलाफ शख्त कार्रवाई की जाएगी।