MP की पॉलिटिक्स में मिस्टर बंटाधार रिटर्न्स, चुनाव में दिग्विजय का नाम लेकर लोगों को डराएगी BJP; 2003 में दिग्गी को मिला था ये नाम

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Rahul Garhwal
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MP की पॉलिटिक्स में मिस्टर बंटाधार रिटर्न्स, चुनाव में दिग्विजय का नाम लेकर लोगों को डराएगी BJP; 2003 में दिग्गी को मिला था ये नाम

अरुण तिवारी, BHOPAL. चुनाव के ऐन पहले मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर मिस्टर बंटाधार की वापसी हो गई है। बीजेपी कमलनाथ को कमीशननाथ के तौर पर प्रचारित करने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को खासतौर पर टारगेट कर रही है। बीजेपी दिग्विजय के 10 साल के कार्यकाल को लालटेन युग बताकर एक बार फिर डराने जा रही है। बीजेपी के नारे में इस बार कमलनाथ की जगह दिग्विजय सिंह का नाम आया है। साल 2003 का जीत का फॉर्मूला अपनाते हुए बीजेपी लोगों के बीच दिग्विजय सिंह को मिस्टर बंटाधार बताते हुए सामने आएगी। हाल ही में हुई प्रदेश कार्य समिति की बैठक में ये पूरी रणनीति तैयार की गई है। बीजेपी ने नारा दिया है कि अबकी बार 200 पार-बंटाधार से आरपार।



वीडी शर्मा ने कार्यकर्ताओं को बताया जीत का सूत्र



वीडी शर्मा ने 19 मई को बीजेपी मुख्यालय में हुई प्रदेश कार्य समिति की बैठक में कार्यकर्ताओं को चुनाव में जीत का सूत्र बताया। ये सूत्र वाक्य था मिस्टर बंटाधार यानी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्वजय सिंह। वीडी शर्मा के 32 मिनट के भाषण में करीब एक दर्जन बार दिग्विजय का नाम आया। मतलब साफ था कि इस बार भी प्रदेश के चुनाव शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह सरकार के कार्यकाल की तुलना पर फोकस रहने वाले हैं। बीजेपी की कार्य समिति में ये रणनीति बनाई गई कि लोगों को दिग्विजय के लालटेन युग की याद दिलाकर डराना पड़ेगा। यही कारण है कि इस बार बीजेपी ने नारा दिया कि अबकी बार 200 पार-बंटाधार से आर-पार। बीजेपी ये बात अच्छी तरह जानती है कि दिग्गी भले ही एक बुरी याद हों मगर हर जिले में कार्यकर्ता उन्हीं के पास हैं और जिस तरह से वे प्रदेशभर में कार्यकर्ताओं की मीटिंग कर रहे हैं। उनकी ये रणनीति बीजेपी के लिए खतरा साबित हो सकती है। यही वजह है कि प्रदेश की सियासत में मिस्टर बंटाधार रिटर्न्स हो गया है। कमलनाथ को पार्टी कमीशननाथ बताने लगी है। बीजेपी दिग्विजय को प्रदेश का सबसे बड़ा खलनायक बताकर उनके कार्यकाल को फिर से लोगों के जेहन में बैठाने की तैयारी कर चुकी है।



दिग्विजय पर क्यों लगा मिस्टर बंटाधार का तमगा



15 साल पहले, 2003 में जब दिग्विजिय सिंह, 10 साल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के बाद चुनाव हारे थे, तब तक उनका नाम 'मिस्टर बंटाधार' के तौर पर मशहूर हो चुका था। 2003 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिग्विजय सिंह को ये नाम बीजेपी की फायर ब्रांड नेता और तत्कालीन सीएम इन वेटिंग उमा भारती ने प्रचारित किया था, जो चुनाव जीतकर बाद में राज्य की मुख्यमंत्री भी बनी थीं। दिग्विजय को ये नाम उस समय पर्दे के पीछे से काम कर रहे पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार और संघ से जुड़े नेता अनिल माधव दवे ने दिया था। रणनीति ये बनाई गई थी कि दिग्विजय को प्रदेश की जनता के बीच मिस्टर बंटाधार के रूप में कुख्यात किया जाए और इन 10 सालों को प्रदेश के सबसे खराब दौर के रूप में बताया जाए। चुनाव के दौरान उनकी पहचान ऐसे नेता की बन चुकी थी जिसने मध्यप्रदेश के लोगों का बंटाधार कर दिया। प्रदेश में बिजली, सड़क और पानी को लेकर आम लोगों में 2003 में इतनी नाराजगी थी कि वो आने वाले 10 सालों तक खत्म नहीं हुई थी। उस हार से दिग्विजय सिंह इतने आहत हुए थे कि उन्होंने 10 साल तक सार्वजनिक जीवन से एक तरह का संन्यास ले लिया था, 10 साल तक वे सक्रिय राजनीति से दूर रहे, लेकिन उन्हें 2003 की हार सालती रही थी।



66 सीटों पर जीत की इबारत लिखने में लगे दिग्विजय



दिग्विजय सिंह को कमलनाथ ने प्रदेश में 66 सीटों की जिम्मेदारी सौंपी है। दिग्गी के दौरों ने बीजेपी के नेताओं की हार्ट बीट बढ़ा दी है। वे उन विधानसभा क्षेत्रों में जा रहे हैं, जहां पर कांग्रेस लगातार हार रही है। वे मंडलम-सेक्टर के कार्यकर्ताओं की बैठक कर रहे हैं, नाराज नेताओं को मना रहे हैं तो वरिष्ठ नेताओं से मेल-मुलाकात भी कर रहे हैं। पंगत में संगत कर वे आम लोगों से सीधे कनेक्ट हो रहे हैं। वे बीजेपी की कमजोर कड़ियों पर भी फोकस कर रहे हैं। वे अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने के साथ बीजेपी सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे हैं।



वीडियो देखने के लिए क्लिक करें.. चुनाव से पहले बीजेपी ने सेट किया नया टारगेट, क्यों लाने जा रही बंटाधार रिटर्न्स ?



इस बार जीत आसान नहीं



इस बार बीजेपी हो या कांग्रेस किसी के लिए भी विधानसभा चुनाव में जीत आसान नहीं है। दोनों ही पार्टियां हर वो रणनीति अपना रही हैं, जो जीत की राह को आसान बना सके। सरकार के खिलाफ प्रदेश में एंटीइन्कमबेंसी है तो कांग्रेस के सामने इसको वोट में बदलने की बड़ी चुनौती है।


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