Bhopal. मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में बने बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र शास्त्री पर नागपुर की संस्था आरोप लगा रही है। वहीं उनके पक्ष में अनेक लोग सामने आ चुके हैं। दूसरी तरफ संत समाज भी धीरेंद्र शास्त्री को लेकर अलग-अलग विचार रख रहा है। तो अब उनके गुरू रामभद्राचार्य ने अपने शिष्य का खुलकर समर्थन किया है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने किया था कटाक्ष
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कटाक्ष करते हुए कहा था कि अगर बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के पास इतनी ही शक्ति है तो वह इसकी मदद से जोशीमठ की दरारों को भरने का चमत्कार क्यों नहीं कर देते? जिसके बाद धीरेंद्र शास्त्री की गुरू स्वामी रामभद्राचार्य खुलकर अपने शिष्य के समर्थन में आए और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री का आचरण और चरित्र काफी उत्तम है। इसलिए मैने उन्हें दीक्षा दी थी। हमारे यहां चरित्र की पूजा होती है। एक अच्छे शिष्य में जितने गुण होने चाहिए वे सभी गुण उनके पास हैं।
कौन हैं रामभद्राचार्य?
14 जनवरी 1950 को उत्तरप्रदेश के जौनपुर में जन्मे जगदगुरू रामभद्राचार्य का प्रारंभिक नाम गिरधर मिश्रा है। दो साल की उम्र में ही उन्हें ट्रकोम नामक बीमारी हो गई जिसके कारण उनकी आंखों से खून निकलने लगा और वे दृष्टिहीन हो गए थे।
नेत्रहीन होने की वजह से उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके पिता मुंबई में नौकरी करने चले गए थे। तब उनके दादा ने उन्हें प्रारंभिक शिक्षा दी। रामायण, महाभारत और अनेक उपनिषदों को पढ़-पढ़कर उन्हें सुनाया। बाल्यकाल में महज 3 वर्ष की आयु में जब उन्होंने श्रीराम से जुड़ी अपनी रचना दादा को सुनाई तो सभी दंग रह गए। ये रचना अवधि भाषा में थी। बड़े हुए तो उन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री की उपाधि हासिल की।
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बागेश्वर धाम सरकार के लिए यह कहा
बागेश्वर धाम सरकार पं. धीरेंद्र शास्त्री को लेकर चल रहे विवाद पर रामभद्राचार्य ने कहा कि मेरा शिष्य बहुत अच्छा है। वह जो कुछ करता है प्रमाणिक करता है। उसे निशाने पर लेकर सनातन धर्म को बदनाम करने का षड़यंत्र चल रहा है। पृथ्वी पर सब कुछ संभव है। साधना और तपस्या से कुछ भी हासिल किया जा सकात है। केवल मूर्खों की डिक्शनरी में ही असंभव जैसा शब्द है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को भी दिया जवाब
रामभद्राचार्य ने कहा है कि जोशीमठ की दरारों को भरने का पहला कर्तव्य खुद अविमुक्तेश्वरानंद का है। वही खुदको शंकराचार्य होने का दावा करते हैं। हां अगर वे सार्वजनिक तौर पर कह दें कि वे ऐसा नहीं कर सकते, तो मैं अपने शिष्य से बोल दूंगा। रामभद्राचार्य ने यह भी बताया है कि वे पाक अधिकृत कश्मीर को भारत में शामिल कराने के लिए वर्तमान में तप कर रहे हैं।