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Photograph: (the sootr)
केंद्र में बीते 11 साल से और प्रदेश में करीब बीस साल से सत्ता में रहने के बाद अब बीजेपी में अब नेताओं को नया पाठ पढ़ाने की नौबत आ गई है। चंद घंटे बाद बीजेपी नेताओं को बातचीत करने के तरीके और बयान देने के गुर सिखाए जा रहे होंगे। जो नेता सियासत में आधे से ज्यादा उम्र गुजार चुके हैं वो रिटायरमेंट की दहलीज पर पहुंचते पहुंचते इस क्लास के स्टूडेंट बनेंगे। कुछ नेता ऐसे भी होंगे जो बेतुके बयान, बेसिर पैर के बयान या अभद्र बयान देने में नया रिकॉर्ड बना चुके हैं वो भी इस क्लास में नया सबक सीखेंगे। पर, इसका फायदा क्या होगा। क्या ये बीजेपी ने सोचा है।
बीजेपी पचमढ़ी में एक प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने जा रही है। ये शिविर 14 जून से शुरू होगा और 16 जून तक चलेगा। इन तीन दिनों में पार्टी के बड़े बड़े सांसद और विधायक किसी क्लास के बच्चे की तरह चुपचाप पार्टी की रीति नीति सीखेंगे और फोन पर बात करने का तौर तरीका जानेंगे। एक आम क्लास की तरह इस क्लास में भी नेताओं के फोन यूज करने पर पाबंदी होगी। कोई भी सांसद या विधायक इस क्लास में फोन ऑन रख कर नहीं जा सकेगा। फोन पर एक पर्ची चिपका कर उनके फोन जमा कर लिए जाएंगे।
अमित शाह होंगे पहले टीचर
नेताओं की इस क्लास को अलग अलग सेक्शन में बांटा गया है। खबर है कि इस क्लास के सबसे पहले टीचर अमित शाह ही बनेंगे जो पहले दिन अपनी पार्टी के नेताओं को विचार और पंच निष्ठा का पाठ पढ़ाएंगे। इसके अगले दिन की क्लास में सारे नेताओं को अलग अलग ग्रुप्स में बांटा जाएगा। हर ग्रुप को उनसे ज्यादा अनुभवी नेता मार्गदर्शन देगा। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का एक सत्र हो सकता है जो समय के उपयोग के बारे में बताएंगे। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और सीएम मोहन यादव भी एक एक सत्र लेंगे। इन सत्रों में पीएम मोदी के विजन के बारे में भी बताया जाएगा। एक सत्र में खासतौर से भाषण देने की कला सिखाई जाएगी। सोसायटी में लोगों के साथ कैसे व्यवहार करना है। मोबाइल के उपयोग का सलीका क्या है। ये सब पार्टी अपने नेताओं को सिखाएगी। इस दौरान दिमाग को कूल रखने के लिए योगा के सत्र भी होंगे।
पहले ही हो चुकी हैं ऐसी क्लास
ये तो हुई बैठक की बात जिसमें बीजेपी सत्र दर सत्र एक नया पाठ सिखाने वाली है। वैसे ये पहला मौका नहीं है जब बीजेपी ने अपने नेताओं के लिए ऐसी कोई क्लास आयोजित की है। लेकिन नेता इस क्लास में जा कर क्या सीख पाए। देश की सबसे बड़ी पार्टी बनने के लिए बीजेपी किसी महासागर की तरह हर पार्टी के नेता को खुद में समाती जा रही है। आप गौर से देखेंगे तो पार्टी में बीजेपी के पुराने नेताओं के अलावा देश के तकरीबन हर राजनीतिक दल से आए नेता दिखाई देंगे। मध्यप्रदेश में तो कांग्रेस के ही सैकड़ों नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। अलग अलग स्तर पर पार्टी में माइग्रेट करने वाले दल बदलू नेताओं पर हमेशा ही ये इल्जाम लगता रहा है कि वो पार्टी के तौर तरीके नहीं जानते।
कितने अनुशासित हैं पार्टी नेता?
साल 2020 के बड़े दल बदल के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए उनके समर्थकों पर भी ऐसे इल्जाम लगे। ये खबरें भी आईं कि नए आए हुए नेता बीजेपी का सलीका नहीं जानते इसलिए क्षेत्र में माहौल खराब हो रहा है। लेकिन, क्या बीजेपी के पुराने नेता। ऐसे नेता जिनकी सियासत ही इस अनुशासित पार्टी के साथ ही शुरू हुई है। ऐसा नेता जो बीजेपी के तौर तरीको में रचे बसे हैं। क्या वो भी बहुत सलीकेदार हैं। आप प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक गौर करेंगे तो आपको बीजेपी के ही ऐसे बहुत से ऐसे नेता मिल जाएंगे जिनके बयानों पर पार्टी को चुप रहना पड़ा, पल्ला झाड़ना पड़ा या फिर सवाल जवाब झेलने पड़े।
ताजा उदाहरण कुंवर विजय शाह का ही लिया जा सकता है जिनकी जुबान पर कब लगाम लगी दिखी है ये कहना मुश्किल है। जो छात्राओं से लेकर ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी साहसी सैनिक पर भी बेतुका बयान दे चुके हैं। कैबिनेट में रहते हुए उन्होंने सीएम की पत्नी पर भी भद्दा बयान दिया। ये सारे बयान आप न्यूज स्ट्राइक के ही पुराने आर्टिकल्स में जान सकते हैं।
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विजय शाह के बयान ने कराई पार्टी की किरकिरी
कुंवर विजय शाह के इन बयानों पर पार्टी को जबरदस्त आलोचना का सामना करना पड़ा। कुंवर विजय शाह को राजनीति करते हुए कई बरस बीत चुके हैं। क्यों वो अपनी पार्टी की रीति नीति को नहीं समझ सके।
दूसरा उदाहरण है जगदीश देवड़ा का। ऑपरेशन सिंदूर पर उनका बयान वायरल हुआ तो खुद ही यू टर्न ले लिया। गिनती इतने पर ही खत्म नहीं होती। बीजेपी सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने तो पहलगाम हमले में विधवा हुई महिलाओं पर ही विवादित बयान दे दिया था। ये सारे उदाहरण ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े हुए ही हैं क्योंकि ये मामला ही सबसे ज्यादा ताजा है और संवेदनशील भी। जिस पर दिए बयान आपके जेहन में भी अब तक ताजा ही होंगे।
अब तक क्यों नहीं सीख सके बोलने का सलीका
ये सभी वो नेता हैं जो राजनीतिक करियर की पीक पर पहुंच चुके हैं। ये नेता अब तक क्यों बीजेपी के तौर तरीके और सलीका नहीं सीख सके। अब क्या ये गारंटी ली जा सकती है कि पचमढ़ी के इस शिविर के बाद अजीबोगरीब बयान देने के लिए मशहूर रहे ऐसे नेता सलीकेदार बयान देने लगेंगे। बीजेपी कैसे सुनिश्चित करेगी कि स्लीप ऑफ टंग कह कर अपने बयानों बचने वाले नेता अब इन सब बातों पर ज्यादा ध्यान रखेंगे। इसकी मॉनिटरिंग कैसे होगी और फिर इस तरह के बयान सामने आए तो क्लास के पुराने और तजुर्बेराकर स्टूडेंट्स को क्या सजा दी जाएगी ये भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
News Strike Harish Divekar | न्यूज स्ट्राइक हरीश दिवेकर