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Photograph: (the sootr)
मध्य प्रदेश में लगता है बीजेपी ही ये भूल गई है कि उसे नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान करना था। अब प्रदेश बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेता इस काम में उलझने की जगह दूसरे काम में खुद को मसरूफ कर चुके हैं। वैसे तो यही कहा जाता है कि वक्त और मौका किसी के लिए इंतजार नहीं करते। पर, बीजेपी के कुछ लोगों के लिए मौके का इंतजार बहुत लंबा खिंचता जा रहा है। जिला स्तर पर बीजेपी को ही इसका अच्छा खासा नुकसान भुगतना पड़ सकता है। एक नाम तय करने में चूक रही बीजेपी की कई संस्थाओं में नियुक्तियां अटक चुकी हैं।
मध्य प्रदेश में प्रदेशाध्यक्ष से जुड़ी हर खबर का हम लगातार अपडेट आपको देते रहे हैं। हम यही कोशिश करते रहे हैं कि सियासी अटकलों से परे जाकर कुछ सटीक जानकारी आप तक पहुंचा सकें। जैसे हमने आपको ये पहले ही बताया था कि इस पद के लिए एक नाम तय हो चुका है। बस ऐलान भर की देर है। हमने न्यूज स्ट्राइक में ही आप को ये जानकारी भी दी थी कि पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर नेताओं का आनाजाना बढ़ गया है। इसके पीछे कोई नाराजगी थी या मान मनुहार की दरकार, वो अलग बात थी। और, कुछ ही दिन पहले हमने ये आंकलन भी किया था कि कुंवर विजय शाह के अभद्र बयान वाले एपिसोड के बाद क्या बीजेपी का फोकस किसी नए आदिवासी चेहरे पर हो सकता है। और, आज इसी मुद्दे से जुड़ा एक और अपडेट हम आपको बताने जा रहे हैं।
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वीडी शर्मा संभाल रहे जिम्मेदारी
सुनने में आपको ये जरूर लगता होगा कि प्रदेश में नए अध्यक्ष का ऐलान बीजेपी नहीं कर पा रही है तो क्या हुआ। वीडी शर्मा इस जिम्मेदारी को संभाल ही रहे हैं। उनका परफॉर्मेंस कार्ड देखें तो भी वो हर कसौटी पर खरे ही नजर आएंगे। तो फिर प्रदेशाध्यक्ष का ऐलान नहीं हो सका तो उसमें भला नुकसान भी क्या है। आज नहीं तो कल हो ही जाएगा, लेकिन ये मसला जितना आसान दिखता है उतना है नहीं। क्योंकि एक नाम न तय कर पाने की वजह से बीजेपी बहुत बड़े नुकसान से गुजर रही है। पार्टी के दूसरे नेता भी कब तक इस ऐलान का इंतजार करते। वो भी इस काम को भूल कर अब दूसरे कामों में लग चुके हैं।
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संगठन के सारे काम अटके
संगठन के वरिष्ठ नेता अब तक नए ऐलान के इंतजार में रूके हुए थे, लेकिन वो भी अब अपने अपने कामों में जुट चुके हैं। सभी नेताओं ने कोर कमेटी से जुड़े कामों के साथ-साथ पदाधिकारियों के साथ बैठकें करने का सिलसिला शुरू कर दिया है। ये बैठकें इसलिए भी जरूरी हैं ताकि संगठन के दूसरे नेताओं को स्लीप मोड में जाने से बचाया जा सके। असल में अध्यक्ष तय न होने से संगठन के सारे काम अटके पड़े हैं। बीजेपी अब तक जिलों में कार्यकारिणी का गठन भी नए सिरे से नहीं कर सकी है। निगम मंडलों में नियुक्ति का काम भी अटका हुआ है। सदस्यों की बात तो भूल ही जाइए। बीजेपी की अलग-अलग समितियों में भी बहुत से कार्यकर्ता नियुक्त होते हैं। वो कार्यकर्ता भी नियुक्त नहीं हो सके हैं।
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55 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं की होनी है नियुक्ति
मोटे-मोटे अनुमान के तहत प्रदेश की अलग-अलग संस्थाओं में भी बीजेपी के करीब 55 हजार कार्यकर्ताओं की नियुक्ति होना है। सहकारी संस्थाओं में भी कई कार्यकर्ता एडजस्ट होंगे। इन संस्थाओं में राज्य सहकारी संघ, मार्केटिंग सोसायटियां, विपणन संघ, सहकारी आवास संघ, सहकारी उपभोक्ता संघ, सहकारी उपभोक्ता संघ, सहकारी भंडार गृह, शक्कर कारखाना, महिला वित्त विकास निगम जैसी कई संस्थाएं शामिल हैं जिनमें नियुक्तियां होना है। लेकिन, परंपरा ये रही है कि ये सारी नियुक्ति होने से पहले प्रदेशाध्यक्ष तय होता है। ऐसी संस्थाओं के अलावा एल्डर मैन की नियुक्ति, नोटरी और शासकीय अभिभाषक तय होना और युवा, बाल, महिला आयोग में भी नई नियुक्तियां पेंडिंग है।
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बीजेपी के लिए यह है बड़ी चुनौती
आमतौर पर जब ये सारे काम थमते हैं तो कार्यकर्ताओं में उदासीनता लगने लगती है। इससे निपटना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन रहा है। अब प्रदेश स्तर पर नेता अपने हिसाब से प्रदेशाध्यक्ष तो तय नहीं कर सकते। पर, इतना जरूर कर सकते हैं कि कार्यकर्ताओं को एक्टिव बनाए रखें। इसके लिए बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश बीजेपी प्रभारी डॉ. महेंद्र सिंह और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंत शर्मा ने एक युक्ति निकाल ही ली है। ये सब मिलकर अब अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं। यहां पहुंच कर कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें भी कर रहे हैं। उनकी शिकायतें और सुझावों पर भी गौर हो रहा है। हितानंद शर्मा ने इस हफ्ते की शुरुआत बालाघाट में बैठक से की। डॉ. महेंद्र सिंह ग्वालियर में कोर कमेटी और पार्षदों से मुलाकात कर चुके हैं। संगठन ने तय किया है कि नया संगठन तय होने तक मौजूदा पदाधिकारियों के साथ ही बैठकों का दौर जारी रहे, ताकि निचले लेवल पर पार्टी थमी हुई न लगे। लेकिन, ये कवायद भी कब तक होंगी। सिर्फ बैठकों के बहाने कब तक कार्यकर्ताओं को एक्टिव रखा जा सकेगा, ये भी देखने वाली बात होगी।
News Strike Harish Divekar | न्यूज स्ट्राइक हरीश दिवेकर