News Strike: क्या हिट होगा कांग्रेस का ‘विदिशा मॉडल’? सत्ता वापसी की है बड़ी तैयारी

कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की सत्ता वापसी के लिए देर से ही सही लेकिन रणनीति बदल ली है। 2023 के चुनाव में हार के बाद अब तीन साल पहले से ग्रास रूट स्तर पर काम शुरू किया है। पार्टी सीएम पद हासिल करने को आसान नहीं समझती।

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Harish Divekar
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news strike 21 may

Photograph: (the sootr)

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मध्य प्रदेश की सत्ता में कमबैक के लिए तरस रही कांग्रेस को देर से ही सही पर ये समझ में आ गया है कि सीएम की कुर्सी हासिल करना कोई केक वॉक नहीं है। इसलिए अब एक नई प्लानिंग के साथ ग्रास रूट लेवल से काम करने की योजना तैयार कर चुकी है। आपको याद होगा साल 2023 में हुए चुनाव में कांग्रेस की वापसी श्योर शॉट नजर आ रही थी। कांग्रेस को पूरा कॉन्फिडेंस था कि इस बार पार्टी का सत्ता में लौटना तय है। लेकिन, ये कॉन्फिडेंस कब ओवर कॉन्फिडेंस में तब्दील हुआ और कब हार का कारण बन गया खुद कांग्रेस भी समझ नहीं सकी। इसलिए अब चुनाव से तीन साल पहले ही तैयारी शुरू कर दी है।

ग्रासरूट लेवल- इस दो शब्दों का क्या अर्थ होता है। ग्रास रूट लेवल को शब्दशः समझें तो किसी जमीन की एकदम प्रारंभिक अवस्था में जाकर उसे समझना जिसे मोटे तौर पर जमीनी स्तर भी कहा जाता है। कांग्रेस को खुद को समझना है और नई मजबूती के साथ खड़े होना है तो उसका ग्रास रूट लेवल क्या होता है। आपके पास जवाब कई हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल कांग्रेस ने ग्रास रूट लेवल का स्तर प्रदेश की पंचायतें और उनसे ऊपर उठते हुए जिले को फोकस किया है।

संगठन मजबूत करने पर जोर

आपको पता ही होगा दिग्विजय सिंह सरकार के बाद साल 2003 के बाद से कांग्रेस की सत्ता में वापसी नहीं हो सकी है। 2018 में बनी कमलनाथ सरकार के 15 महीने की सरकार को गिनना न के ही बराबर कहा जा सकता है। कमलनाथ सरकार का गिरना भी कांग्रेस के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था। लेकिन, कांग्रेस ने 2023 के चुनाव में सबक नहीं लिया और, नतीजा ये हुआ कि फिर एक बार हार का मुंह देखना पड़ा। पर अब कांग्रेस की जो तैयारी है उसे देखकर लगता है कि ये पार्टी अपने परफॉर्मेंस को लेकर थोड़ी सिनसियर हो गई है। बीजेपी से लगातार हारने के बाद कांग्रेस को भी अब संगठन की वैल्यू समझ में आ चुकी है। इसलिए सारी नई कवायदें पहले संगठन को कसने के लिए तैयार की जा रही हैं। इस साल को कांग्रेस संगठन महापर्व के रूप में मना रही है जिसके तहत हर जिले में संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा।

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विदिशा से शुरू किया पायलट प्रोजेक्ट

इसकी शुरुआत गुरुवार, 22 मई से होने जा रही है। विदिशा जिले को कांग्रेस ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना है। अगर विदिशा का प्रयोग सफल हो गया तो कांग्रेस हर जिले में उसी पैटर्न पर संगठन को मजबूत करने का अभियान चलाएगी। इस पायलट प्रोजेक्ट के बारे में खुद विदिशा जिले के कांग्रेस अध्यक्ष मोहित रघुवंशी ने जानकारी भी शेयर की है। कांग्रेस जिले की 577 ग्राम पंचायतों तक जाएगी। पंचायतों में संगठन की मजबूती के बाद वार्ड्स पर नजर होगी। करीब 139 वार्ड में पार्टी के नए कार्यकर्ता तैयार किए जाएंगे। पंचायत और वार्ड के नए कार्यकर्ताओं के जरिए बूथ लेवल पर पार्टी का सपोर्ट सिस्टम खड़ा करने की प्लानिंग की गई है।

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90 ट्रेंड पार्टी वर्कर्स को सौंपी गई जिम्मेदारी

नए कार्यकर्ताओं को जोड़ने की जिम्मेदारी 90 ट्रेंड पार्टी वर्कर्स को सौंपी गई है। जो पार्टी लाइन के अनुसार ही नए कार्यकर्ता तैयार करेंगे। कांग्रेस के ये 90 टीचर्स विदिशा के ही 125 मंडलम तक जाएंगे। हर ट्रेंड वर्कर को अर्बन और रूलर एरिया का एक एक एरिया संभालना है। इस तरह बनाए गए नए सदस्य एक कमेटी का हिस्सा बनेंगे जिनका काम होगा गांव और शहरी लेवल पर कांग्रेस का प्रचार प्रसार करना।

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कट्टर कांग्रेसी परिवारों की बनेगी लिस्ट 

इसके अलावा कांग्रेस एक और जरूरी काम की शुरूआत करने जा रही है। नई कमेटियों के जरिए उन परिवारों को भी तलाशा जाएगा जो कभी कट्टर कांग्रेसी रहे हैं या कांग्रेस के समर्थक हैं। ऐसे भूले बिसरे परिवारों की एक लिस्ट तैयार होगी जिसमें कांग्रेस के पुराने लीडर्स को भी जगह मिलेगी। कांग्रेस का प्लान है कि अपने पुराने नेताओं को वापस मेन स्ट्रीम में जोड़कर उन्हें क्षेत्र में एक्टिव करना। इसलिए कांग्रेस अब ऐसे लीडर्स के बर्थडे मनाएगी, जो नेता अब नहीं रहे। उनकी डेथ एनवर्सरी पर कार्यक्रम होंगे। ताकि लोगों के जेहन में उन नेताओं की यादें ताजा की जा सकें। विदिशा में इस अभियान की कामयाबी कांग्रेस का अगला कदम तय करेगी। वैसे कांग्रेस ने प्लानिंग तो ठीक की है, लेकिन ये सब बस कागजी बातें बन कर न रह जाएं या कांग्रेस की कलह और गुटबाजी का शिकार न हो जाएं। जैसा कांग्रेस में अक्सर होता रहा है।

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कांग्रेस पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को उनकी घोषणाओं के लिए घोषणावीर का टैग देती रही है। अब जिस तेजी से कांग्रेस खुद के लिए योजनाएं बना रही है। वो पूरी नहीं हुईं तो क्या कांग्रेस को योजनावीर कहना गलत होगा। अगले चुनाव में कांग्रेस को जीत मिलेगी या हार ये तो अभी कहना मुश्किल है, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि इतने साल सत्ता से दूर रहने की कसक अब कांग्रेस में नजर आने लगी है।

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