BHOPAL. भोपाल में कुछ समय पहले हुई एक स्कूल बस हादसा के बाद क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO) जितेंद्र शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। लेकिन अब इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए उन्हें बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने यह साफ किया कि जब तक यह साबित न हो कि उनकी किसी तरह की लापरवाही या नियमों के उल्लंघन के कारण यह हादसा हुआ हो, तब तक उन्हें दोषी करार नहीं दिया जा सकता।
सुनवाई के दौरान सामने आई अहम जानकारी
हाईकोर्ट में 19 मई 2025 को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने कुछ दस्तावेज पेश किए। इनसे यह साफ हुआ कि जिस स्कूल बस से दुर्घटना हुई, उसे परमिट और फिटनेस प्रमाण पत्र जितेंद्र शर्मा ने नहीं, बल्कि उनके पहले पदस्थ आरटीओ संजय तिवारी ने जारी किया था। दस्तावेजों के अनुसार, इस बस के पास वैध परमिट था जो 11 दिसंबर 2021 से 12 दिसंबर 2026 तक मान्य था और उसकी फिटनेस 7 नवंबर 2023 से 28 नवंबर 2024 तक प्रमाणित थी।
जिस अधिकारी ने दस्तावेज जारी नहीं किए वह नहीं है अपराधी
कोर्ट ने कहा कि जब जितेंद्र शर्मा ने न तो परमिट जारी किया और न ही फिटनेस प्रमाणपत्र, तो उन्हें कैसे दोषी ठहराया जा सकता है? वाहन यदि दुर्घटनाग्रस्त हुआ है, तो यह जिम्मेदारी वाहन मालिक की बनती है कि वह सभी दस्तावेजों की वैधता की जांच करे और समय-समय पर RTO से उनका सत्यापन कराए।
सुनवाई की अगली तारीख तक बहाली के आदेश
इन तथ्यों के मद्देनजर हाईकोर्ट ने शर्मा के निलंबन आदेश के प्रभाव और संचालन पर रोक लगा दी है और यह निर्देश भी दिया है कि उन्हें उनके पूर्व के पद पर कार्य करने की अनुमति दी जाए। यानी कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब आरटीओ जितेंद्र शर्मा का निलंबन निरस्त हो गया है और वह कम से कम अगली सुनवाई तक तो आरटीओ पद पर कार्यरत रहेंगे। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर इस याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया है।
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