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Photograph: (the sootr)
आप मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारी हैं या फिर मध्यप्रदेश की सरकारी नौकरियों की एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो आज का न्यूज स्ट्राइक पूरा गौर से पढ़िए। क्योंकि हम आपको बताने जा रहा हैं कि मोहन सरकार ने प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए कौन सा बड़ा फैसला लिया है और उसमें क्या क्या खास हो सकता है। ये फैसला जुड़ा है सरकारी कर्मचारियों की यूनिफाइड पेंशन स्कीम से जिसके लिए मोहन सरकार एक बड़ा और जरूरी फैसला ले चुकी है और इस तरफ बड़ा कदम उठा भी चुकी है।
सरकारी कर्मचारियों की फिक्र का एक विषय हमेशा ही रहा है। ये विषय है उनकी पेंशन का। सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित राशि हर माह मिलती है जिसे पेंशन कहा जाता है। इस पेंशन को लेकर मोहन सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। मोहन सरकार ने प्रदेश में यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू करने का मन बना लिया है। असल में प्रदेश में अगले दो से तीन साल में ढाई लाख सरकारी पदों पर भर्तियां हो सकती हैं। इन नई भर्तियों के लिए प्रदेश सरकार यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू कर सकती है। इस फैसले पर मुहर लगाने से पहले मध्यप्रदेश सरकार को इसका पूरा प्रारूप तय करना होगा।
असल में केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना के साथ राष्ट्रीय पेंशन योजना के कुछ प्रावधानों को शामिल कर दिया है। अब प्रदेश सरकार भी इस मामले में सोच समझ कर फैसला लेना चाहती है। इसलिए हर पहलू पर गौर करने के लिए एक कमेटी तैयार कर दी है। इस कमेटी के अध्यक्ष हैं अपर मुख्य सचिव अशोक बर्णवाल। ये छह सदस्यीय कमेटी है जो पेंशन से जुड़े सारे पहलुओं का अध्ययन करेगी। कमेटी को करीब दो माह में अपना काम पूरा करना है और सरकार के सामने रिपोर्ट पेश करनी है।
2025 से भर्ती अधिकारी-कर्मचारियों के लिए NPS
अभी प्रदेश में भी साल 2005 से भर्ती हुए अधिकारी और कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना यानी कि एनपीएस ही लागू है। लेकिन इस योजना को लेकर कुछ दिक्कतें हैं। इस योजना में सरकार और कर्मचारी का अंशदान बराबर का होता है। रिटायरमेंट के बाद हर कर्मचारी को न्यूनतम पेंशन साढ़े सात हजार रुपये तक मिलना चाहिए। लेकिन कुछ विसंगतियों के चलते कर्मचारियों को इतनी पेंशन नहीं मिल पाती है। प्रदेश में कुछ पेंशनर ऐसे हैं जिन्हें महीने के पांच हजार रुपये ही मिल रहे हैं। इस वजह से कर्मचारी संगठन अक्सर ये मांग करते हैं कि प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना ही लागू होनी चाहिए।
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विस्तार से समझिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम
ये विसंगति और विवाद प्रदेश के स्तर पर ही नहीं था बल्कि राष्ट्रीय स्तर भी यही विसंगति बरकरार थी। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने नेशनल लेवल पर यूनिफाइड पेंशन योजना लागू की है। इस पेंशन योजना का लाभ एक जनवरी से केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने भी लगा है। इस योजना को थोड़ा विस्तार से समझ लेते हैं।
सबसे पहले ये समझिए कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम के पात्र कौन-कौन होंगे।
- यूनिफाइड पेंशन स्कीम चुनने वाले कर्मचारियों को दूसरी पॉलिसी रियायतें, पॉलिसी चेंज या अन्य कोई फाइनेंशियल बेनिफिट नहीं मिलेगा।
- एक बार यूपीएस चुनने के बाद वो अपना फैसला नहीं बदल सकेंगे।
- इस योजना के तहत सरकार का कॉन्ट्रिब्यूशन बेसिक पे और महंगाई भत्ते (DA) की कुल राशि का 18.5% हो जाएगा, जो पहले 14% था।
- पेंशन के वही कर्मचारी हकदार होंगे जिनकी सर्विस लेंथ 25 साल की हो चुकी होगी।
- कर्मचारी की मौत होने पर परिवार को या आश्रित को साठ प्रतिशत तक पेंशन मिलेगी।
- दस साल तक नौकरी करने वालों को दस हजार रुपये मासिक पेंशन मिलेगी। इससे कम पेंशन किसी भी कर्मचारी को नहीं मिलेगी।
- आखिरी नियम को आसान भाषा में कुछ यूं समझें कि अगर किसी कर्मचारी ने पंद्रह साल तक काम किया है तो उसकी पेंशन होगी पंद्रह हजार रुपये प्रति माह प्लस डीआर जिसे 30 परसेंट की दर से गिना जाएगा। इसी तरह से मासिक वेतन के आधार पर पेंशन फिक्स होगी।
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कमेटी की रिपोर्ट के बाद लागू हो सकती है नई पेंशन स्कीम
मध्य प्रदेश की मोहन सरकार भी नेशनल पेंशन स्कीम और यूनिफाइड पेंशन स्कीम की इन्हीं पेचिदगियों को समझने की कोशिश में जुटी है। सरकार इसमें कुछ और भी तबकों को शामिल करने के मूड में है। मध्य प्रदेश सरकार की कोशिश है कि विधवा, परित्याक्ता या बुजुर्ग महिलाएं भी किसी तरह पेंशन स्कीम का हिस्सा बन सकें जिसे अमलीजामा पहनाने की शुरुआत कमेटी से हुई है।
कमेटी के अध्यक्ष वरिष्ठ आईएएस अशोक बर्णवाल हैं, ये हम आपको बता चुके हैं। इसके अलावा वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, सचिव लोकेश कुमार जाटव, संचालक तन्वी सुंद्रियाल और सामान्य प्रशासन विभाग के उपसचिव अजय कटेसरिया इस कमेटी के सदस्य हैं। पेंशन के मसले देखने वाले विभाग के सचिव जेके शर्मा इस कमेटी के सदस्य सचिव हैं। उम्मीद की जा रही है कमेटी की रिपोर्ट पेश होने के बाद मध्य प्रदेश सरकार भी जल्द नई पेंशन स्कीम लागू करेगी।
News Strike Harish Divekar | न्यूज स्ट्राइक हरीश दिवेकर | मोहन यादव