News Strike: बयान देने से पहले बोलना सीखेंगे BJP नेता, एक्सपर्ट देंगे नई टिप्स

बीजेपी नेताओं को अब बोलने के सही तरीके सीखने होंगे। एक नेता के बयान पर डैमेज कंट्रोल होते-होते दूसरा विवादित बयान आ जाता है। पार्टी ने नए एटिकेट्स सिखाने का फैसला किया है।

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Harish Divekar
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news strike 1 june

Photograph: (the sootr)

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कब बोलना है, कितना बोलना है और कैसे बोलना है। ये तौर तरीके आमतौर पर छोटे बच्चों को सिखाए जाते हैं। लेकिन, अब देश की सबसे बड़ी पार्टी के बड़े बड़े नेताओं को ये सब सिखाने की नौबत आन पड़ी है। हालात बिलकुल पुराने पाइप की तरह हो गई है जिसका लीकेज रोकने के लिए एक जगह पैबंद लगाते हैं तो पानी दूसरी जगह से लीक होने लगता है। ठीक बीजेपी का भी यही हाल है कि एक नेता के किसी बयान पर डैमेज कंट्रोल पूरा नहीं होता कि दूसरा कोई नेता ऐसा बयान दे देता है कि लीपापोती की नौबत आ जाती है। सो अब पार्टी ने तय कर लिया है कि ऐसे नेताओं को नए जमाने की पॉलीटिक्स और सीनेरियो के हिसाब से नए एटिकेट्स सिखाए जाएंगे।

बीजेपी नेताओं के पिछले कुछ दिनों के बयान सुने तो वाकई ये लगेगा कि उन्हें इस तरह की क्लास की जरूरत है। ऊलझलूल बयान देने वालों में अव्वल हैं कुंवर विजय शाह। विज शाह का बयान आप लोग भी सोशल मीडिया पर इतनी बार सुन या पढ़ चुके होंगे कि अब उन्हें दोहराने की जरूरत नहीं है। उसके बाद डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा का भी बयान वायरल हुआ। इन बयानों की वजह से हाल ये हुआ कि पार्टी पर ही सवाल उठने लगे इसलिए अब बीजेपी ने अपने बेलगाम हो रहे नेताओं को लाइन पर लाने के लिए उनकी क्लास लगाने का फैसला किया है। इस क्लास में बीजेपी के सारे प्रतिष्ठित सदस्यों को कब कहां कितना बोलना है और कब नहीं बोलना है। ये सारे टिप्स दिए जाएंगे।

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पचमढ़ी में ट्रेनिंग कैंप

इसके लिए बकायदा पचमढ़ी में एक ट्रेनिंग कैंप लगाने की प्लानिंग की जा रही है। ये कैंप 14 से 16 जून में आयोजित हो सकता है। इस कैंप में प्रदेश के सारे बीजेपी विधायकों को मौजूद रहने के निर्देश दे दिए गए हैं। विधायकों के अलावा सारे मंत्री और सांसद भी इस कैंप का हिस्सा बनेंगे। वैसे तो बयानबाजी करना नेताओं के खून में ही होती है, लेकिन इसका सलीका सबको नहीं आता। ये सलीका सिखाने के लिए बीजेपी कितनी संजीदा है इसका अंदाजा भी आपको खास मेहमानों का नाम सुनकर लग जाएगा।

फिलहाल जो खबरें आ रही हैं उन्हें सही माने तो बोलचाल के गुर सिखाने वाली इस क्लास के हेडमास्टर होंगे बीजेपी के राष्ट्रीय जेपी नड्डा जो कैंप का उद्घाटन करेंगे। प्रिसिंपल होंगे अमित शाह जो कैंप के समापन में खुद आएंगे और खास टिप्स देकर जाएंगे। असल में बीजेपी इन दिनों ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जन जन को बताने की कोशिश कर रही है। पार्टी की मंशा है कि लोग भारतीय सेना के इस शौर्य को जाने और समझें। पार्टी चाहती तो है कि नेता इस बारे में बात करते रहें। सभाओं को संबोधित भी करें, लेकिन थोड़े संयम और जिम्मेदारी के साथ बयान दें।

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कैंप में आएंगे चार एक्सपर्ट

बात सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर की नहीं है। बीजेपी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ये भी सिखाएगी कि पार्टी की योजनाओं के बारे में किस तरह से बात करनी है। दो आला नेताओं के अलावा कैंप में चार खास एक्सपर्ट भी आएंगे। ये चार एक्सपर्ट्स सारे सांसदों और विधायकों को बताएंगे कि उन्हें किस तरह से जनता से रूबरू होना है। और, योजनाओं के बारे में जानकारी कैसे देना है। मजेदार बात ये है कि जो विधायक और सांसद अपनी रैली और चुनावी भाषणों के जरिए सदन तक पहुंचे हैं। अब उन्हें ही ये सिखाने की तैयारी है कि भाषण कैसे देना है। केंद्र सरकार की नल योजना और आयुष्मान भारत योजना के साथ ही प्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी योजना के बारे में खास टिप्स दिए जाने की भी खबर है।

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मंत्री-विधायक की लगातार बयानबाजी

सुनने में ये बात थोड़ी दिलचस्प लगती है कि पार्टी विद अ डिफरेंस, पार्टी विद डिसिप्लीन जैसी बातें करने वाली बीजेपी को अपने ही नेताओं पर लगाम कसने के लिए ये कवायद करनी पड़ रही है। पर जिस तरीके से बीजेपी के नेता इन दिनों बयान दे रहे हैं। उसे देखकर ये कैंप बेमानी नहीं लगता। उन बयानों को सुनने के बाद सही में ये लगने लगा है कि बीजेपी को अपने नेताओं की जुबान पर लगाम कसने की जरूरत है। हालांकि पार्टी ने अब तक कुंवर विजय शाह पर कोई एक्शन लेकर एग्जाम्पल भी सेट नहीं किया है। अगर कोई सख्ती होती तो शायद ये मैसेज लाउड एंड क्लियर होता कि हर कुछ बयान देने से पहले थोड़ा सोच समझ लिया जाए। अब हालत ये है कि कुंवर विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर अभद्र बयान दिया तो देवड़ा के बयान में सेना के नतमस्तक होने जैसे शब्द सुनाई दिए। सिर्फ यही दो नहीं बल्कि सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, विधायक नरेंद्र प्रजापति के बयानों से भी विवाद बढ़ा। बीजेपी के ही विधायक चिंतामणि मालवीय ने सिंहस्थ मेला क्षेत्र में किसानों की जमीन अधिग्रहण पर अपनी ही सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाए दिए।

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बीजेपी नहीं लेना चाहती अब और रिस्क

साल 2024 में राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल बेटे से मारपीट के बाद राजधानी भोपाल के शाहपुरा थाने में ही बवाल खड़ा कर दिया था। ये सब तो छोड़िए प्रहलाद पटेल जैसे मैच्योर नेता भी जनता को भिखारी बोलकर विवादों में फंस गए थे। वन विभाग का जिम्मा छिनने के बाद नागर सिंह चौहान भी पार्टी की खिलाफत पर अमादा नजर आए थे जिसे देखते हुए बीजेपी अब और ज्यादा रिस्क लेने को तैयार नहीं है।

ये अच्छी बात है कि बीजेपी अपने नेताओं की बयानबाजियों में मैच्योरिटी और रिसपोंसिबिलिटी देखना चाहती है। पर, ये मंशा सिर्फ मध्यप्रदेश तक क्यों सिमटी हुई है। देखा जाए तो नेशनल लेवल पर भी बहुत से नेताओं के बयानों ने पार्टी की उलझने बढ़ाई हैं। फिर वो चाहें वक्फ संशोधन कानून का मुद्दा हो, पहलगाम अटैक हो या फिर उसके बाद हुआ ऑपरेशन सिंदूर ही क्यों न हो। क्या आपको नहीं लगता कि बीजेपी को बोलने का सही तरीका सिखाने की ये क्लास नेशनल लेवल पर भी लगानी चाहिए।

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