News Strike: वर्ग संघर्ष से सुलगा ग्वालियर चंबल, बीजेपी क्यों मौन, कांग्रेस को मौके का इंतजार ?

मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में जाति संघर्ष तेज हो गया है। इसका कारण बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की एंट्री मानी जा रही है। बीजेपी और कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप हैं। क्षेत्र की जातीय तनावपूर्ण स्थिति राजनीतिक लाभ के लिए अवसर की तलाश में है।

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Harish Divekar
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news strike 10 november

Photograph: (The Sootr)

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मध्यप्रदेश में वर्ग संघर्ष लगातार जोर पकड़ रहा है। पहले ये लड़ाई ब्राह्मण वर्सेज दलित की राह पर थी। लेकिन बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की एंट्री के बाद से अब संघर्ष त्रिकोणिय हो गया है। जिसकी वजह से ग्वालियर चंबल में हलचल तेज हो गई है। चौंकाने वाली बात ये है कि इस मामले में राजनीतिक सन्नाटा पसरा हुआ है जो चौंकाने वाला है। बीजेपी ने अब तक इस पूरे मामले में सनातन या हिंदुओं का पक्ष लेते हुए राजनीतिक रोटियां सेंकनी शुरू नहीं की हैं। कांग्रेस भी किसी खास मौके के इंतजार में नजर आ रही है।

बदली हुई है ग्वालियर-चंबल की फिजा

अक्टबर के सेकंड हाफ के बाद से ही ग्वालियर-चंबल की फिजा बदली हुई है। वैसे तो ये इलाका ही रगों में जोश भर देने वाली रवानी है। जहां कभी डकैत तो कभी डाकुओं का बोलबाला रहा है। कहने का मतलब ये कि इस जगह की तासीर ही कुछ ऐसी है कि छोटी सी बात पर ही बड़ा बवाल हो सकता है। मध्यप्रदेश के दूसरे हिस्सों के मुकाबले यहां वर्ग और जातियों में विभाजन और आपसी टकराव भी ज्यादा रहा है। पान सिंह तोमर, मलखान सिंह, फूलन देवी जैसे दस्यू ऐसे ही टकराव का नतीजा रहे हैं।

हालांकि लंबे समय से चंबल के बीहड़ संघर्ष के ऐसे उदाहरणों से मुक्त हो चुके थे। पर एक बार फिर वर्ग संघर्ष या जातियों का आपसी मनमुटाव यहां तेज होता जा रहा है। हमने कुछ समय पहले आपको न्यूज स्ट्राइक के ही एक एपिसोड में बताया था कि एक ब्राह्मण वकील के बाबा साहेब आंबेडकर पर दिए बयान ने किस कदर माहौल को गर्मा दिया है। उसके बाद बहुत सारी नौटंकी भी हुई। और मामला ब्राह्मण वर्सेज दलित का बन गया। नौबत यहां तक आ गई कि ग्वालियर की सरहदों पर चाकचौबंद सिक्योरिटी लगानी पड़ी।

सिक्योरिटी जरूर चाक चौबंद थी। लेकिन, चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती का मतलब हर बार ये नहीं होता कि अब शांति व्यवस्था कायम हो चुकी है। उस वक्त लोग जरूर शांत नजर आते हैं पर वो चिंगारी अंदर ही अंदर सुलगती रहती है। जिसे फिर से आग दी बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की सनातन एकता पदयात्रा ने। अब हालात क्या हैं और अनिल मिश्रा के बयान से लेकर अब तक क्या क्या हो चुका है। एक नजर में वो भी जान लीजिए।

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वर्ग संघर्ष ने पकड़ा जोर 

इस पूरे वर्ग संघर्ष ने जोर पकड़ा है दस अक्टूबर के बाद से। इस तारीख के इर्द-गिर्द ग्वालियर के वकील अनिल मिश्रा ने बीआर अंबेडकर पर संविधान से जुड़ा एक बयान दिया। उन्होंने साफ कहा कि वो संविधान के असल रचियता नहीं थे। इस बात ने इतना तूल पकड़ा कि अनिल मिश्रा के खिलाफ दलित और अंबेडकरवादी संगठन एकजुट हो गए। उनके खिलाफ प्रदर्शन भी हुए। साथ ही एफआईआर भी दर्ज करवा दी गई। इस मामले में ट्विस्ट तब आया जब एफआईआर से डरने की जगह अनिल मिश्रा खुद ही थाने में गिरफ्तारी देने पहुंच गए। उन्हें स्वर्णों से जुड़े संगठन और स्वर्ण तबके के वकीलों का साथ भी मिला। इसके बाद मिश्रा के खिलाफ भीम आर्मी और करणी सेना का प्रदर्शन तेज हो गया। और आंदोलन तक की चेतावनी दी गई। इस मामले से प्रशासन जैसे तैसे फारिग हुआ ही था कि भिंड का पेशाब कांड सामने आ गया। 

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इसलिए सुलगा दतिया

इस मामले में सुरपुरा गांव के ज्ञान सिंह जाटव ने आरोप लगाया कि उन्हें बंधक बनाकर रखा गया और पेशाब पीने पर मजबूर किया गया। इस मामले पर भी भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी जोर-शोर से आगे आईं। भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष सत्येंद्र विद्रोही और ओबीसी समाज के नेता दामोदर यादव ने पीड़ित और उसके परिवार से मुलाकात की और न्याय के लिए लड़ाई लड़ने की बात कही। इस मामले पर दामोदार यादव ने कुछ खास जातियों के संगठन पर निशाना साधा और उन्हें गुंडा औऱ आतंकवादी तक कह दिया।

अनिल मिश्रा भी इस मामले पर चुप नहीं रहे। उन्होंने भिंड के एसपी ऑफिस में पहुंच कर आला अफसरों से मुलाकात की। उन्होंने ये दावा भी किया कि जिन सवर्ण युवकों को इस घटना के बाद गिरफ्तार किया गया है। उन पर लगे सभी आरोप बेबुनियाद हैं। और अब मामला और भी आगे पड़ चुका है। धीरेंद्र शास्त्री की सनातन एकता यात्रा के खिलाफ भीम आर्मी और दलित पिछड़ा समाज संगठन ने विरोध शुरू कर दिया है। इस यात्रा को दलित पिछड़ा समाज संगठन ने असंवैधानिक बताया है। दामोदर यादव ने इस बारे में कहा कि ये यात्रा बाबा साहेब के संविधान के खिलाफ हैं। उन्होंने इस यात्रा के खिलाफ संविधान बचाओ यात्रा निकालने का ऐलान भी कर दिया है। ये यात्रा तो बाद में होगी। उससे पहले दतिया सुलग उठा। यानी जो आग ग्वालियर में उठी थी वो भिंड होते हुए अब दतिया तक पहुंच गई है।

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भीम आर्मी और हिंदू संगठन आमने-सामने

यहां धीरेंद्र शास्त्री की यात्रा के खिलाफ बड़ा आंदोलन हुआ। धीरेंद्र शास्त्री के पुतला दहन को लेकर भीम आर्मी और हिंदू संगठन आमने-सामने आ गए। दोनों के बीच तनाव ज्यादा बढ़े उससे पहले ही उन्हें काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। वॉटर कैनन भी चलाई। इस पूरे तनाव में तीन लोगों के घायल करने की खबर भी आई। हुआ यूं कि भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता बड़ी तादाद में पहुंचे और तयशुदा जगह से पहले ही धीरेंद्र शास्त्री का पुतला जला दिया। दूसरी तरफ हिंदू संगठनों ने दामोदर यादव का पुतला फूंक दिया। इसके बाद झड़प हुई। तनातनी रोकने के लिए पुलिस ने भी पूरी ताकत लगा दी।

चौंका रही बीजेपी की चुप्पी

इस पूरे मामले पर सबसे ज्यादा चौंकाने वाली है बीजेपी (BJP) की चुप्पी। हिंदुओं से जुड़े मुद्दे पर कई रीजनल और नेशनल लेवल के बीजेपी नेता बेबाक बयान देते हैं। पर एमपी में हो रहे इस घटनाक्रम पर बीजेपी पूरी तरह खामोश है। क्या अभी बीजेपी इस मोड में है कि तेल देखो और तेल की धार देखो। या किसी का भी पक्ष लेने से पहले बिहार चुनाव में नफा नुकसान का तकाजा किया जा रहा है। कांग्रेस भी सही मौके के इंतजार में है। जो संविधान की प्रति लेकर चुनाव तो लड़ती है। पर फिलहाल किसी पक्ष की खातिर मैदान में उतरी नहीं है। क्या दोनों पार्टियां इस मुद्दे को सियासी तूल नहीं देना चाहती या फिर किसी ऐसे वक्त के इंतजार में हैं जब मौके को ज्यादा से ज्यादा कैश किया जा सके। क्योंकि इसे शांत करने की मंशा भी किसी सियासी दल ने जाहिर नहीं की है।

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इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं

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