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Photograph: (The Sootr)
मध्यप्रदेश कांग्रेस में एक नई जोड़ी अपना असर दिखा रही है। अब आप कह सकते हैं कि इसमें कौन सी नई बात है। नई जोड़ी तो खुद कांग्रेस के आलाकमान ने ही तामीर कर दी थी। वो भी विधानसभा चुनाव होने के कुछ ही दिन बाद। ये जोड़ी थी जीतू पटवारी की और उमंग सिंघार की। पर आपको ताज्जुब होगा ये जानकर कि हम जिस जोड़ी की बात कर रहे हैं, वो ये जोड़ी नहीं है।
कांग्रेस में अब जो नई जोड़ी बनी है वो सुनने में जरा बेमेल है पर युवा कांग्रेस के चुनाव में बहुत रंग जमा रही है। ये जोड़ी एक बार फिर साबित कर रही है कि राजनीति के कट्टर दुश्मन कब दोस्त बन जाएं या कब साथ आ जाएं ये कहा नहीं जा सकता।
आपने भी कई बार ये सुना होगा कि राजनीति अनिश्चितताओं से भरी दुनिया है। यहां कब कौन किसके साथ होगा। कब कौन किसका साथ छोड़ जाएगा ये कहना मुश्किल है। हालांकि एमपी के मामले में एक बात ये अच्छी थी कि यहां राजनीति हमेशा से स्थिर रही। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि राजनीति की धारा यहां हमेशा थमी ही रही।
न कोई उतार न कोई चढ़ाव। जो जैसा चल रहा है। वैसा ही चलता चला आ रहा है। पर 2020 के बाद से मध्यप्रदेश की राजनीति ने भी कई उतार-चढ़ाव देखे। और उतार-चढ़ाव ही क्यों यहां तो दलबदल का राजनीतिक सैलाब देखा गया। इसके बाद सियासी भूचाल भी आया। यानी कुदरत जिस क्रम में खेल दिखाती है। वही खेल मध्यप्रदेश की राजनीति में भी हो रहे हैं।
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आती रहीं हैं गुटबाजी-मनमुटाव की खबरें
इस बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल के बाद कांग्रेस ने साल 2023 की चुनावी हार के बाद खुद में भी फेरबदल किया। पार्टी पर काबिज हो चुके कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को हाशिए पर डाल दिया और दो युवा चेहरे जीतू पटवारी और उमंग सिंघार को दो बड़े पदों पर मौका दिया। लेकिन अफसोस ये जोड़ी भी एक साथ कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकी।
और, जैसे कि कांग्रेस की परंपरा रही है। उसी तरह गुटबाजी और आपसी मनमुटाव की खबरें भी आती रहीं। इस बीच कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी भी टूट सी ही गई। दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में बयान दिया। जिस पर कमलनाथ ने उनके दलबदल और सरकार गिरने पर इनडायरेक्टली सफाई दी। जिसके बाद इस जोड़ी में भी दरार आ गई। इस पर हम न्यूज स्ट्राइक के कई कॉलम लिख चुके हैं।
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ये बनी है नई जोड़ी
तो बात हुई उन दो जोड़ियों की जो बनी या बनाई गईं। लेकिन अब जोड़ीदार साथ नहीं है। अब बताते हैं उस जोड़ी के बारे में जो नई-नई सुर्खियां बटोर रही हैं। ये जोड़ी है कमलनाथ और उमंग सिंगार की। अगर राजनीति की थोड़ी भी समझ रखते हैं तो इस खबर ने आपको जरूर चौंकाया होगा। ये वो जोड़ी है जो कभी आमने-सामने हुआ करती थी। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले तो दोनों नेताओं के समर्थक एक-दूसरे के दुश्मन तक बने नजर आ रहे थे।
उमंग सिंगार के समर्थक आदिवासी मुख्यमंत्री के नाम पर उनका फेस प्रोजेक्ट कर रहे थे तो कमलनाथ के समर्थक उन्हें ही फेस बनाने की मांग कर रहे थे। इस मामले में दोनों नेताओं ने जमकर बयानबाजी भी की थी। हालांकि अब समीकरण बदलते दिख रहे हैं। ये बदलाव हुआ है हाल ही में हुए युवा कांग्रेस के चुनावों बाद जिसके नतीजे सामने आए और दोनों नेताओं का दबदबा साफ दिखा। जबकि प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का औरा इस बार जरा ढलता हुआ सा नजर आया।
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टीम में दिखे बदले-बदले चेहरे
युवा कांग्रेस के चुनाव में यश घनघोरिया ने बाजी मारी है और युवा कांग्रेस अध्यक्ष बन गए हैं। यश घनघोरिया कांग्रेस नेता लखन घनघोरिया के बेटे हैं। ये बात किसी से छिपी नहीं है लखन घनघोरिया कमलनाथ के कट्टर समर्थक रहे हैं। उनके बेटे यश को 3 लाख 13 हजार वोट मिले। जाहिर तौर पर उन्हें कमलनाथ का समर्थन हासिल था।जबकि दूसरे नंबर पर आए अभिषेक परमार को 2 लाख 38 हजार वोट मिले।
अभिषेक परमार दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी के समर्थक बताए जाते हैं। इस चुनाव का ऐलान मध्यप्रदेश में मई को ही हो गया था। उसके बाद से ही कांग्रेस दो अलग-अलग धड़ों में बंटी हुई थी। यूं धड़ों में बंटना कांग्रेस के लिए नया नहीं है। पर इस बार टीम में कुछ बदले-बदले चेहरे भी दिखाई दिए।
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कमबैक करने वाले हैं कमलनाथ?
यश घनघोरिया को जिताने के लिए नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने जमकर मेहनत की। बताया जाता है कि अभिषेक परमार को दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी का सपोर्ट मिल रहा था। और, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, गोविंद सिंह, पूर्व यूथ कांग्रेस अध्यक्ष प्रियव्रत सिंह, कुणाल चौधरी, विक्रांत भूरिया और विपिन वानखेड़े जैसे नेता उनके लिए वोट मांग रहे थे। इसके बाद भी अभिषेक परमार दूसरे नंबर पर रहे।
ये नतीजे साफ जाहिर कर रहे हैं कि अब दिग्विजय सिंह का जादू प्रदेश कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सिर से उतर रहा है। ये भी साफ दिख रहा है कि जीतू पटवारी और उमंग सिंघार एक टीम के रूप में काम नहीं कर रहे हैं। तो क्या इसे कमलनाथ के कमबैक के रूप में देखा जाए और क्या ये भी मान लिया जाए कि बतौर अध्यक्ष जीतू पटवारी अपनी साख नहीं बचा सके हैं।
इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं
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